बाड़मेर बालोतरा। तीन दशक की जुदाई के बाद पिता और पुत्र जब आमने-सामने हुए तो दो दोनों की आंखों से आंसु बह निकले। इस काम में सोश्यल साइट फेसबुक मददगार बनी और 28 साल बाद फिर से बाप-बेटे को आमने-सामने ला खड़ा किया।
उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले के ककरगटा निवासी गंगोत्री प्रसाद अपने भाई के साथ मामूली झगडा होने के बाद घर छोड़कर चले गए। जिस वक्त उन्होंने घर छोड़ा तब इकलौता बेटा महज चौदह साल का था। एक पुत्री थी जिसका विवाह हो चुका था तथा दूसरी पढ़ रही थी।
इसके बाद से गंगोत्री प्रसाद का कोई अता-पता नहीं लगा। परिजन की लाख तलाश के बाद भी उनका सुराग नहीं लगा। थक-हार कर परिजन ने उम्मीद का दामन छोड़ उन्हें मृत मान लिया।
उनका पुतला बना अंतिम संस्कार जैसे कर्मकाण्ड भी कर दिए। पर, वक्त को कुछ और ही मंजूर था। सोश्यल साइट फेसबुक मददगार बनी और 28 वर्ष बाद वक्त ने फिर उन्हें आमने-सामने ला खड़ा किया।
ऎसे हुआ मिलन
यह करिश्मा "पंडितजी" के युवा साथी व केटरर्स सरवड़ी निवासी गौतम मेघवाल की मेहनत की बदौलत हो पाया। गंगोत्री प्रसाद के साथ काम करने वाले गौतम ने कई बार उनके परिवार को लेकर पूछा और जानकारी हासिल की।
वास्तविक नाम पता सामने आने पर गौतम ने फेसबुक पर सर्च किया। सऊदी अरब में रहने वाले गंगोत्री प्रसाद के भतीजे रवि चौबे से फेसबुक पर उनका सम्पर्क हुआ।
गंगोत्री प्रसाद की फोटो व ऑडियो क्लिप भेजकर पहचान की पुष्टि की। रवि ने इसकी सूचना गंगोत्री प्रसाद के पुत्र व परिजन को देते हुए गौतम के मोबाइल नंबर दिए और 28 वर्ष की जुदाई व दूरियो की दीवार एक ही पल में ढह गई, जब परिजन ने अरसे से खोए गंगोत्री प्रसाद को अपने सामने पाया।
पंडितजी को खोई पहचान लौटाकर परिजन तक पहुंचाने की इस मुहिम में अराबा ग्रामसेवक भीमाराम मेघवाल ने भी अहम भूमिका निभाई।
गंगोत्री प्रसाद से मिलने उनके परिजन रविवार को बालोतरा पहुंचे। पिता ने अपने इकलौते बेटे अनिल चौबे को पहली ही झलक में पहचान कर गले से लगा लिया। पिता व पुत्र के इस मिलन को देखकर लोग भावुक हो उठे।
उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले के ककरगटा निवासी गंगोत्री प्रसाद अपने भाई के साथ मामूली झगडा होने के बाद घर छोड़कर चले गए। जिस वक्त उन्होंने घर छोड़ा तब इकलौता बेटा महज चौदह साल का था। एक पुत्री थी जिसका विवाह हो चुका था तथा दूसरी पढ़ रही थी।
इसके बाद से गंगोत्री प्रसाद का कोई अता-पता नहीं लगा। परिजन की लाख तलाश के बाद भी उनका सुराग नहीं लगा। थक-हार कर परिजन ने उम्मीद का दामन छोड़ उन्हें मृत मान लिया।
उनका पुतला बना अंतिम संस्कार जैसे कर्मकाण्ड भी कर दिए। पर, वक्त को कुछ और ही मंजूर था। सोश्यल साइट फेसबुक मददगार बनी और 28 वर्ष बाद वक्त ने फिर उन्हें आमने-सामने ला खड़ा किया।
ऎसे हुआ मिलन
यह करिश्मा "पंडितजी" के युवा साथी व केटरर्स सरवड़ी निवासी गौतम मेघवाल की मेहनत की बदौलत हो पाया। गंगोत्री प्रसाद के साथ काम करने वाले गौतम ने कई बार उनके परिवार को लेकर पूछा और जानकारी हासिल की।
वास्तविक नाम पता सामने आने पर गौतम ने फेसबुक पर सर्च किया। सऊदी अरब में रहने वाले गंगोत्री प्रसाद के भतीजे रवि चौबे से फेसबुक पर उनका सम्पर्क हुआ।
गंगोत्री प्रसाद की फोटो व ऑडियो क्लिप भेजकर पहचान की पुष्टि की। रवि ने इसकी सूचना गंगोत्री प्रसाद के पुत्र व परिजन को देते हुए गौतम के मोबाइल नंबर दिए और 28 वर्ष की जुदाई व दूरियो की दीवार एक ही पल में ढह गई, जब परिजन ने अरसे से खोए गंगोत्री प्रसाद को अपने सामने पाया।
पंडितजी को खोई पहचान लौटाकर परिजन तक पहुंचाने की इस मुहिम में अराबा ग्रामसेवक भीमाराम मेघवाल ने भी अहम भूमिका निभाई।
गंगोत्री प्रसाद से मिलने उनके परिजन रविवार को बालोतरा पहुंचे। पिता ने अपने इकलौते बेटे अनिल चौबे को पहली ही झलक में पहचान कर गले से लगा लिया। पिता व पुत्र के इस मिलन को देखकर लोग भावुक हो उठे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें