गुरुवार, 23 जनवरी 2014

रिफाइनरी पर खामोशी का पहरा


बाड़मेर/बालोतरा। साढ़े बारह हजार बीघा में प्रस्तावित प्रदेश की जिस पहली रिफाइनरी पर 37 हजार करोड़ रूपए से अधिक खर्च कर चार साल में कार्य पूरा करने का चार माह पहले दावा किया जा रहा था, वह कार्य एक इंच भी आगे नहीं खिसका है।

चार माह पहले 22 सितम्बर को पचपदरा में शिलान्यास स्थल पर हजारों लोग एकत्र हुए अब वहां खामोशी का पहरा है। तमाम विवादों और विरोध के बीच यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने पचपदरा में जब रिफाइनरी की आधारशिला रखी तो उम्मीदे बढ़ी थी कि अब कार्य भी शुरू होगा। इसके बाद आचार संहिता लागू हो गई। चुनाव के बाद प्रदेश में सरकार बदल गई। रिफाइनरी के भविष्य व इसके स्थान को लेकर नई सरकार ने आधिकारिक रूप से कहीं कुछ नहीं कहा है। ऎसे में आमजन में कई तरह की चर्चाएं हैं लोग कयास लगा रहे हैं, पर जमीनी हकीकत यही है कि अब तक सब कुछ कागजों में ही है।




रिफाइनरी पर रूख साफ नहीं होने से पचपदरा में असमंजस का माहौल है। संशय के बादल छंट नहीं रहे। लिहाजा विकास को लेकर संजोई गई उम्मीदें डांवाडोल होती नजर आ रही है। जमीनों के कारोबार व कीमतों पर जैसे नकेल सी लग गईहै। रिफाइनरी की मंजूरी के साथ ही यहां विकास और नए प्रतिष्ठान खुलने की जो बयार शुरू हुईथी, अब उस पर ब्रेक सा लग गया है। फिलहाल एचपीसीएल भी यहां मौन नजर आ रही है। हाइवे की सड़क के अलावा निर्माण का कोई कार्यनहीं हो रहा। लवणीय इलाके में खार से अटे शिलान्यास स्थल पर खामोशी की चादर पसरी है। पचपदरा साल्ट इलाके की वह जमीन जो कुछ माह पहले यूपीए की चेयर पर्सन सोनिया गांधी के साथ ही कईविशिष्ट व अतिविशिष्ट नेताओं-अधिकारियों के जमावड़े का गवाह बनी थी, अब सूनसान नजर आ रही है।

थमी विकास की रफ्तार
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद हालात भी बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। रिफाइनरी की मंजूरी के बाद तेजी के साथ पचपदरा मे विकास कार्यो की दिशा में कदम भरने शुरू ही किए थे कि उस पर ब्रेक सा लग गया। यहां कई नए बैंकों ने दस्तक दी। बड़े पैमाने पर नए प्रतिष्ठान खुले और निर्माण कार्य भी आरम्भ हुए। होटल और रेस्टोरेंट ने रंगत ही बदल डाली। बाहर से आए कईलोगों ने पचपदरा में नए प्रतिष्ठान खोले, लेकिन अब यहां खामोशी की चादर फैली हुई है।

जमीन पर धड़ाम कारोबार
पचपदरा में जमीनों का कारोबार अब अर्श से फर्श पर पहुंच गया है। हालात यह है कि जमीनों के खरीदार नजर तक नहीं आते। जमीनों के कारोबार से जुड़े दलाल जैसे गायब ही हो गए। रिफाइनरी की मंजूरी के समय पचपदरा में
जमीनों के भाव इस कदर बढ़ गए थे कि सुनने वाले भी गश खा जाए। अब जमीनों का कारोबार थम गया है।

अनियमिततताओं का भंडाफोड़
पचपदरा के रिफाइनरी क्षेत्र में बडे पैमाने पर जमीनों की खरीद फरोख्त का दौर चला। अजा-जजा वर्गकी भूमि की बेनामी खरीद तथा पंजीयन में अनियमितताओं को लेकर राजस्थान पत्रिका ने सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित किए। इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने 11 जुलाईको पचपदरा व जसोल पंजीयन क्षेत्रों में पंजीयन पर प्रतिबंध लगा दिया। हाल ही में इस मामले में पचपदरा के तहसीलदार विवेक कुमार व्यास, पचपदरा के तत्कालीन नायब तहसीलदार व हाल उप पंजीयक मूंडवा हीरसिंह चारण, जसोल के उप पंजीयक राजेश मेवाड़ा तथा जसोल के तत्कालीन नायब तहसीलदार व हाल उप पंजीयक आबू रोड ताराचंद वेंकट को निलम्बित कर दिया गया।

नुकसान में नमक उत्पादक
पचपदरा में रिफाइनरी की मंजूरी ने सबसे बड़ा नुकसान इस इलाके में चल रहे सदियों पुरानेे लवण उद्योग को पहुंचाया है। रिफाइनरी के लिए तय इलाके के दायरे में लगभग सवा सौ नमक की खानें आ रही है। जिन्हें सीधा नुकसान पहुंच रहा है। बड़े पैमाने पर नुकसान के बाद भी मुआवजे के नाम पर प्रभावित नमक उत्पादकों को नया धेला तक नहीं दिया गया है।नमक उत्पादकों का विरोध और पीड़ा धरी की धरी रह गई।

एक तिहाई तेल थार से
थार में 3 लाख बैरल तेल प्रतिदिन उत्पादन संभावित है। यह देश के वर्तमान घरेलू तेल उत्पादन का लगभग 35 प्रतिशत होगा। यह देश के राजस्व में 30 हजार करोड़ रूपए का इजाफा करेगा। साथ ही यह हर साल देश के तेल आयात बिल में 57 हजार करोड़ रूपए की बचत करेगा।

अब तक 14 हजार करोड़
बाड़मेर के तेल के बूते राज्य सरकार के राजकोष में अब तक 14 हजार करोड़ रूपए जमा हुए हैं।

2041 तक तेल उत्पादन
थार में मंगला और भाग्यम् के बाद ऎश्वर्या तीसरा बड़ा तेल क्षेत्र है। तेल भंडारों के अध्ययन से संकेत मिले हैं कि यह क्षेत्र 2041 तक और उससे भी आगे तक तेल उत्पादन की क्षमता रखते हैं। इसमें लगभग 5 करोड़ बैरल(लगभग 70 लाख मीट्रिक टन) तेल के भंडार हैं। यदि इसमें उन्नत तेल प्राप्ति (ईओआर) तकनीक के उपयोग से उत्पादन किया जाता है तो इसकी क्षमता में और बढ़ोतरी होने की संभावना है।

कैसे होगा सपना सच
रिफाइनरी के करार में यह शामिल किया गया था कि सवा लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा जो कुशल व अकुशल होंगे। एचपीसीएल प्रशिक्षण देगी और प्राथमिकता स्थानीय युवाओं को रहेगी। 2017 तक रिफाइनरी तैयार होने तक 45 हजार लोग प्रतिदिन रोजगार पाएंगे, ऎसा 2008 से 2012 तक तैयार हुई नौ मिलियन टन की भटिण्डा रिफाइनरी में भी हुआ है। एज्युकेशन हब की कल्पना बाड़मेर में अब साकार होती नजर आएगी,लेकिन अभी तक इस दिशा में कोईकार्य शुरू नहीं हुआ है।

समय पर पूरा हो पाएगा काम?
पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने रिफाइनरी शिलान्यास पर कहा था कि रिफाइनरी का निर्माण चार साल में पूरा कर लिया जाएगा। रिफाइनरी लगने से 129 तरह के प्रोडक्ट बनेंगे, 500 तरह के विभिन्न उद्योग लगेंगे। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सब तय समय पर हो पाएगा।

नहीं होगा रिव्यू
पचपदरा में रिफाइनरी के निर्णय का विषय अभी तक कमेटी के सामने नहीं आया है। रिफाइनरी का एमओयू पहले ही हो चुका था। यह कमेटी तो चुनाव से छह माह पहले हुए तत्कालीन सरकार के निर्णयों का रिव्यू करेगी। वैसे रिफाइनरी को लेकर अब तो कोई विवाद ही नहीं है। पहले स्थान को लेकरजरूर विवाद था।
गुलाबचंद कटारिया, ग्रामीण विकास व पंचायतीराज मंत्री एवं अध्यक्ष मंत्रीमण्डलीय उप समिति

मैं इस पर प्रतिक्रया नहीं दूंगा
मैं रिफाइनरी को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा। इस विषय में मुख्यमंत्री ही बता सकती हैं।
कैलाश मेघवाल, खनिज मंत्री

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