जयपुर। तीसरे साल फिर शराब दुकानों का नवीनीकरण किया जाए या नए आवेदन लेकर लॉटरी से आवंटन करें, इसे लेकर राज्य सरकार एक पखवाड़े से मंथन में जुटी है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक फरवरी के अंत तक लोकसभा चुनाव आचार संहिता लगने और नई जगह दुकानें खुलने पर संभावित जन विरोध को देखते हुए सरकार एक बार फिर मौजूदा शराब दुकानों का ही नवीनीकरण कर सकती है। संभवत: हफ्तेभर में राज्य सरकार नई आबकारी नीति की घोषणा कर देगी। इसके अलावा शराब की कीमतों में बढ़ोतरी भी हो सकती है। शराब बनाने वाली कंपनियों ने इस संबंध में सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
राज्य की पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दो साल के लिए आबकारी नीति बनाई थी। उसकी अवधि 31 मार्च को खत्म हो रही है और राज्य सरकार को इससे पहले नई आबकारी नीति लागू करनी है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि शराब दुकान आवंटन के लिए लॉटरी होगी, लेकिन अब इसकी संभावना बहुत कम बताई जा रही है।
राज्य सरकार का मानना है कि लॉटरी के लिए पर्याप्त समय भी नहीं बचा और नए ठेकेदार जहां भी दुकान खोलेंगे, वहां संभवत: जन विरोध झेलना पड़ेगा। इस वष्ाü लोकसभा ही नहीं, नगरीय निकाय और अगले वष्ाü की शुरूआत में पंचायत चुनाव होने हैं। ऎसे में सरकार कोई खतरा नहीं उठाना चाहती।
महंगी हो सकती है शराब
नई आबकारी नीति की सुगबुगाहट के साथ ही शराब निर्माता कम्पनियों ने कीमतों में वृद्धि को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग के अधिकारी डिस्टलरीज संचालकों के साथ पिछले कुछ दिनों में दो-तीन बैठकें कर चुके हैं। उल्लेखनीय है राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए डिस्टलरीज संचालकों के भारी दबाव के बावजूद चालू वित्तीय वर्ष में शराब की कीमत बढ़ाने से मना कर दिया था। इन परिस्थितियों के चलते इस बार शराब की दरें बढ़ाने को लेकर ज्यादा उठापटक चल रही है।
बढ़ सकती है फीस
आबकारी अधिकारियों के अनुसार नवीनीकरण होता है तो भी शराब दुकानों की वर्तमान फीस में बढ़ोतरी होगी। अभी राजधानी, संभाग, जिला व नगर पालिका मुख्यालय की अलग-अलग फीस है। फीस बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। हफ्तेभर से आबकारी मुख्यालय उदयपुर के अधिकारी जयपुर में डेरा डाले हुए हैं।
राज्य की पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दो साल के लिए आबकारी नीति बनाई थी। उसकी अवधि 31 मार्च को खत्म हो रही है और राज्य सरकार को इससे पहले नई आबकारी नीति लागू करनी है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि शराब दुकान आवंटन के लिए लॉटरी होगी, लेकिन अब इसकी संभावना बहुत कम बताई जा रही है।
राज्य सरकार का मानना है कि लॉटरी के लिए पर्याप्त समय भी नहीं बचा और नए ठेकेदार जहां भी दुकान खोलेंगे, वहां संभवत: जन विरोध झेलना पड़ेगा। इस वष्ाü लोकसभा ही नहीं, नगरीय निकाय और अगले वष्ाü की शुरूआत में पंचायत चुनाव होने हैं। ऎसे में सरकार कोई खतरा नहीं उठाना चाहती।
महंगी हो सकती है शराब
नई आबकारी नीति की सुगबुगाहट के साथ ही शराब निर्माता कम्पनियों ने कीमतों में वृद्धि को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग के अधिकारी डिस्टलरीज संचालकों के साथ पिछले कुछ दिनों में दो-तीन बैठकें कर चुके हैं। उल्लेखनीय है राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए डिस्टलरीज संचालकों के भारी दबाव के बावजूद चालू वित्तीय वर्ष में शराब की कीमत बढ़ाने से मना कर दिया था। इन परिस्थितियों के चलते इस बार शराब की दरें बढ़ाने को लेकर ज्यादा उठापटक चल रही है।
बढ़ सकती है फीस
आबकारी अधिकारियों के अनुसार नवीनीकरण होता है तो भी शराब दुकानों की वर्तमान फीस में बढ़ोतरी होगी। अभी राजधानी, संभाग, जिला व नगर पालिका मुख्यालय की अलग-अलग फीस है। फीस बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। हफ्तेभर से आबकारी मुख्यालय उदयपुर के अधिकारी जयपुर में डेरा डाले हुए हैं।
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