शनिवार, 25 जनवरी 2014

66 वां गणतंत्र दिवस समारोह

>66 वां गणतंत्र दिवस समारोह

हमारा गणतंत्र दिवस भारत की समृद्ध संस्कृति, विरासत एवं गौरवशाली इतिहास का प्रतिबिंब है। इस उत्सव को मनाने के लिए देश का हर नागरिक सहृदय प्रेरित होता है। इस दिन हम देश के वीरों को याद करते हैं तथा उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। हर नागरिक मातृभूमि की रक्षा और उसकी समृद्धि के लिए हर संभव कार्य करने का अपना प्रण दोहराता है। तो आइए, हम मिलकर देश का गणतंत्र दिवस मनाएं.

इतिहास

भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था तथा 26 जनवरी 1950 को इसके संविधान को आत्मसात किया गया, जिसके अनुसार भारत देश एक लोकतांत्रिक, संप्रभु तथा गणतंत्र देश घोषित किया गया।
26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ झंडावंदन कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। यह ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय था। इसके बाद से हर वर्ष इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।
हमारा संविधान देश के नागरिकों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनने की शक्ति देता है संविधान लागू होने के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने वर्तमान संसद भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति की शपथ ली थी और इसके बाद पांच मील लंबे परेड समारोह के बाद इरविन स्टेडियम में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
वो सैनिक, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अतुल्य योगदान दिया है अथवा सर्वोच्च बलिदान दिया है, उन्हें इस वीरता के लिए पदकों से पुरस्कृत किया जाता है। उच्च श्रेणी की वीरता के लिए परम वीर चक्र, वीर चक्र एवं महावीर चक्र दिया जाता है। वीरता का परिचय देने वाले बच्चों को भी गणतंत्र दिवस पर बहादुरी पुरस्कार दिए जाते हैं।
बहादुरी के लिए दिए जाने वाले राष्ट्रीय पदकों की शुरुआत 1957 में भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) द्वारा की गई थी। आईसीसीडब्ल्यू हर वर्ष 16 साल से कम उम्र के बच्चों को चुनकर उन्हें वीरता पुरस्कार देता है।

* पद्म सम्मान
पदम विभूषण
पदम भूषण
पदम श्री
* सुधारात्मक सेवा मेडल
* राष्ट्रपति का विशिष्ट पुलिस सेवा पदक
* उत्कृष्ट सेवा पदक
* राष्ट्रपति का वीरता के लिए पुलिस पदक
* वीरता के लिए पुलिस पदक



समारोह

गणतंत्र दिवस पर विभिन्न क्षेत्रों में देश के सम्मान एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जाता है, सैन्य शक्ति तथा हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दुनियाभर में दिखाया जाता है।

गणतंत्र दिवस को देशभर में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को जिस उत्साह के साथ मनाया जाता है उसे देखकर अनेकता में एकता का कथन चरितार्थ दिखाई देता है। प्रत्येक भारतीय मातृभूमि का वंदन करता है। इससे न केवल धर्मनिरपेक्षता तथा लोकतंत्र परिलक्षित होता है बल्कि देश की समृद्ध संस्कृति, बोलियां, भाषाएं, रीति-रिवाज, परंपराएं तथा धर्मों की झलक भी मिलती है। इस वर्ष हमारा देश 66वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।

देश का हर राज्य गणतंत्र दिवस समारोह को मनाता है। इस अवसर पर सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों, शासकीय कार्यालयों तथा संस्थानों में झंडावंदन किया जाता है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इस समारोह का महा आयोजन राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में किया जाता है, जहां तीनों सेनाओं तथा रक्षा बलों द्वारा मार्च पास्ट किया जाता है। कार्यक्रम की शुरुआत इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति से होती है, जहां प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।

भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज, फहराया जाता है, जिसके बाद राष्ट्रीय गान गाया जाता है तथा 21 तोपों की सलामी दी जाती है। थल सेना, नौ सेना और वायु सेना की अलग अलग रेजिमेंट राष्ट्रपति भवन की ओर से कदम ताल मिलाते हुए राजपथ पर मार्च करती हैं और इंडिया गेट पर भारत के राष्ट्रपति को सलामी देती हैं, जो भारतीय सशस्त्र सेना के कमांडर इन चीफ भी होते हैं। इसके बाद राज्य रेजिमेंट और भारत के पैरामिलीटरी बल परेड करते हैं।

देश के विभिन्न लोक नृत्यों, त्यौहारों, ऐतिहासिक स्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले विहंगम प्रस्तुतीकरण किए जाते हैं। विभिन्न विद्यालयों के बच्चे अलग अलग राज्यों के लोक नृत्य प्रस्तुत करते हैं जो मनोहर तथा उत्साह से भरे हुए होते हैं।

सीमा सुरक्षा बल के मोटरसाइकल शो जांबाज ने परेड का सबसे रोमांचक, आकर्षक एवं हैरतअंगेज करने वाला प्रदर्शन होता है। यह प्रदर्शन लयबद्ध तथा शारीरिक और मानसिक संतुलन का अद्भुत नमूना होता है।
भारतीय वायुसेना के जेट विमान तीन रंगों का धुआं छोड़ते हुए इस महान दिवस के मनोरम कार्यक्रम के समापन की घोषणा करते हुए गुलाब की पंखुडियां बिखेरते हैं। यह परेड के मनोरम दृश्यों में प्रमुख है।
दूरदर्शन का राष्ट्रीय चैनल, दूरदर्शन समाचार तथा दूरदर्शन के अन्य चैनल झंडावंदन तथा परेड सहित पूरे कार्यक्रम का सीधा प्रसारण करते हैं। आकाशवाणी भी रेडियो पर इसका सजीव प्रसारण करता है।

बीटिंग द रिट्रीट

26 लेकर 29 जनवरी तक हर शाम राजधानी दिल्ली के सभी प्रमुख सरकारी भवनों पर रोशनी की जाती है, तथा तीसरे दिन यानी 29 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में बीटिंग द रिट्रीट समारोह का आयोजन किया जाता है।
इस अवसर पर तीनों सेनाओं के बैंड द्वारा आकर्षक परेड की जाती है। शाम को छह बजे राष्ट्रध्वज उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तथा इसे गणतंत्र दिवस समारोह का औपचारिक समापन माना जाता है।
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