हालांकि 163 विधायकों के होने से जाति, संभाग, वरिष्ठता और संघ पृष्ठभूमि वाले नजरिए से संतुलित मंत्रिमंडल बनाने में पहले से माथापच्ची चल रही है, पर नया पेंच इन तीन नेताओं को लेकर सामने आ रहा है।
गृह विभाग का भी चक्कर
सूत्रों के अनुसार, विभागों को लेकर भी कश्मकश चल रही है। चर्चा है कि संघ खेमा चाहता है कि कटारिया को गृह विभाग दिया जाए। एक चर्चा यह भी है कि संघ खेमा कटारिया को उप मुख्यमंत्री बनाने के लिए दबाव डाल रहा है।
तीनों को लेकर यह कशमकश
कटारिया, तिवाड़ी, राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए या नहीं तथा मंत्री बनाने पर इन्हें कौन-कौन से महकमे दिए जाएं, इसको लेकर पार्टी में दो धड़ों में सहमति नहीं बन पा रही है।
इनमें एक धड़ा आरएसएस पृष्ठभूमि वाला है। दारिया मुठभेड़ प्रकरण का नाम लेकर जहां एक खेमा चाहता है कि राजेंद्र राठौड़ को मंत्री नहीं बनाया जाए, वहीं दूसरे खेमे का तर्क है कि इस आधार पर तो कटारिया को भी बाहर रखा जाना चाहिए।
सोहराबुद्दीन प्रकरण में कटारिया भी आरोपी हैं। राठौड़ को बाहर रखने की स्थिति में एक खेमा कटारिया के संग ही तिवाड़ी को भी शामिल नहीं करने का पक्षधर है। इसके पीछे सरकार चलाने में सहजता को लेकर पिछले अनुभव जैसे कई तर्क दिए जा रहे हैं।
स्पीकर कौन
पार्टी के भीतर यह सवाल भी तैर रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष कौन बनेगा? इस पद के लिए घनश्याम तिवाड़ी व राव राजेंद्र सिंह को उपयुक्त माना जा रहा है और दोनों में से किसी एक को स्पीकर बनाने की चर्चा बरकरार है।
इनमें से हो सकते हैं मंत्री
गुलाबचंद कटारिया, घनश्याम तिवाड़ी, नंदलाल मीणा, कैलाश मेघवाल, राजेंद्र राठौड़, प्रभुलाल सैनी, किरण माहेश्वरी, यूनुस खान, अरूण चतुर्वेदी, सांवरलाल जाट, डा.रामप्रताप, कालूलाल गुर्जर, प्रहलाद गुंजल, ओमप्रकाश हुड़ला, बाबूलाल वर्मा, कमसा मेघवाल, मानवेन्द्र सिंह श्रीचंद कृपलानी, वासुदेव देवनानी, कालीचरण सराफ, धनसिंह रावत, पुष्पेंद्र सिंह, अभिषेक मटोरिया। संख्या एक से डेढ़ दर्जन तक।
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