रविवार, 29 दिसंबर 2013

शादी के दिन दुल्हन बनी मोटियारी अपने दूल्हे को गोदी में उठाकर मंडप तक लाती है।

शादी के दिन दुल्हन बनी मोटियारी अपने दूल्हे को गोदी में उठाकर मंडप तक लाती है।
अंगूठी पहनाने की मशक्कत


वैसे तो दूल्हे को गोदी में उठाकर मंडप तक पहुंचाने की परम्परा कई जगह है, लेकिन मुरिया जनजाति में यह काम दुल्हन को ही करना होता है। दुल्हन अपने दूल्हे को कमर में उठाकर मंडप से कुछ दूरी पर बने एक शिविर में लाती है। शिविर में पहुंचने के बाद दूल्हा-दुल्हन अपने ससुर की गोद में बैठ जाते हैं। यहां कोई लड़की दुल्हन के हाथ पर तेल लगा देती है और फिर दूल्हा उसे स्वनिर्मित अंगूठी पहनाने की चेष्टा करता है। दुल्हन के हाथ पर तेल के कारण अच्छा संघर्ष चलता है। हंसी-ठिठोली के बीच जब लड़का अंगूठी पहना देता है तो एक मासूम बच्चे की तरह दुल्हन की गोद में जाकर छिप जाता है मानो शरमा रहा हो।

प्रेम गीत : विवाह समारोह में प्रेमगीत भी सुनने को मिलते हैं। वर पक्ष की ओर से कोई लड़का कहता है- "मक्के के दाने-सी सुंदर लड़की तुम कौन हो यह तो बताओ..।" वधु पक्ष की ओर से भी जवाब मिलता है- "सिवाड़ी (एक लता) के पत्तों में रखे मीठे शहद तुम कौन हो, अपना ठिकाना तो बताओ..।"

भाभी की गोद में मीठी थपकियां
दूल्हे को जब दुल्हन के शिविर से वापस लाया जाता है तो उसे भाभी की गोद में बैठना होता है। यहां उसे मुकुट पहनाया जाता है। इस दौरान झिड़कियां और मीठी थपकियां चलती रहती हैं।

यहां प्रेम कभी हारता नहीं
मुरिया समाज के युवक और युवतियों के बीच जब प्रेम पनपता है तो उसकी जानकारी गांव के हर घर को होती है। गांववालों को प्रेमी और प्रेमिका से हंसी-ठिठोली का मौका मिल जाता है। भले दुनिया में अधिकतर प्रेम कहानियों का अंत दुखद होता है, लेकिन मुरिया जनजाति में लड़के और लड़कियों का प्रेम कभी नहीं हारता।
निरंजन महावर, आदिवासी संस्कृति के जानकार

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