सोमवार, 23 दिसंबर 2013

गुरू गोविंद सिंह की 347वीं जयंती आज

सिक्खों के दसवें गुरू गोबिंद सिंह की आज 347वीं जयंती है। योद्धा, कवि और फिलॉसोफर गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की साजना की थी। उन्होंने मुगल राजाओं के साथ कई युद्ध किया ओर ज्यादातर में विजय भी हासिल की।गुरू गोविंद सिंह की 347वीं जयंती आज
गुरू गोबिंद सिंह का जन्म बिहार के पटना में हुआ। उनके पिता सिक्ख धर्म के नौंवे गुरू तेग बहादुर थे और माता गुजरी थीं। उन्होंने 1699 की बैसाखी वाले दिन अनंदपुर साहिब में एक बड़ी सभा का आयोजन कर खालसा पंथ की स्थापना की थी।
गुरू गोविंद सिंह की 347वीं जयंती आज
उन्होंने अपने जीवन काल में उनका विरोध करने वाले कई हिंदू और मुगल राजाओं के खिलाफ युद्ध किए और इन्हीं सब के दौरान उनके चारों पुत्र - बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह भी शहीद हो गए। इनमें से साहिजादा अजीत सिंह व जुझार सिंह चमकौर में मुगलों के खिलाफ गुरू गोबिंद सिंह के अंतिम युद्ध में शहीद हुए। जबकि छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह व फतेह सिंह को सिरहिंद में वजीर खान ने जिंदा दीवार में चिनवा दिया था।


गुरू गोबिंद सिंह ने प्राण त्यागने से पहले गद्दी गुरू ग्रंथ साहिब को सौंपी और यह एलान किया कि अब से सिक्ख धर्म का कोई देहधारी गुरू नहीं होगा और जब तक दुनिया रहेगी सिक्खों के गुरू ग्रंथ साहिब ही रहेंगे।

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