मंगलवार, 5 नवंबर 2013

इस मंदिर के आगे नतमस्‍तक हो गया था विध्‍वंसकर्ता औरंगजेब!

भारत का वर्तमान जितना दिलचस्प है, इतिहास उतना ही रोचक। यहां मुगल, तुर्क और अंग्रेज शासकों ने या तो राज किया या फिर धन-संपदा लूटकर ले गए। मुगलों और अंग्रेजों ने लंबे समय तक राज किया है। मुगल शासकों का यूपी से गहरा संबंध रहा है। उनसे जुड़े अनेक तथ्य और घटनाएं बहुत दिलचस्प हैं।

आगरा किला से करीब एक किलोमीटर दूर श्‍यामजी मंदिर है। यह मंदिर प्राचीन बताई जाती है। मंदिरों को तुड़वाने के लिए बदनाम मुगल शासक औरंगजेब ने इसे भी ध्‍वस्‍त करने का आदेश दिया था।

लेकिन उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह भी मंदिर के सामने नतमस्‍तक हो गया। उसने मंदिर के खर्च के लिए एक रुपया रोजाना और एक गांव की जागीर भी दे दी थी। इतिहासकारों ने इस घटना को अपनी किताब में लिखा है।

यह मंदिर बिजलीघर चौराहे से छीपीटोला जाने वाली सड़क पर है। इतिहासकार आरके शर्मा अपनी पुस्‍तक ‘तवारीख ए आगरा’ में चौकाने वाली बातें लिखी हैं। उनके मुताबिक औरंगजेब ने सत्‍ता अपने पास लेने के बाद से मंदिर विध्‍वंसक नीति शुरू कर दी थी। उसने श्‍यामजी मंदिर को भी तोड़ने का आदेश दिया। तब मंदिर के पुजारियों को बंदी बना लिया गया था।

आरके शर्मा लिखते हैं कि कि उस रात औरंगजेब ठीक से सो नहीं सका। अगले ही दिन उसने अनोखा आदेश दिया। औरंगजेब ने मंदिर के खर्च के लिए एक रुपया रोजाना देने का ऐलान किया। इसके साथ ही एक गांव भी जागीर में मंदिर को प्रदान की गई। आगरा तहसील का श्‍यामो गांव कभी इस मंदिर की जागीर था। उस वक्‍त एक रुपए की कीमत बेहद ज्‍यादा थी।औरंगजेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश 12 अप्रैल 1679 में सारे मंदिर तोड़ने का आदेश जारी किया था। उसी वक्‍त उसने अकबर द्वारा बंद किया गया जजिया कर भी फिर से लागू कर दिया था। इसी के तहत मथुरा में औरछा के राजा वीरसिंह बुंदेला द्वारा बनवाए गए केशव देव के भव्‍य मंदिर को तुड़वा डाला था। मंदिर विध्‍वंस की नीति के तहत ही औरंगजेब ने आगरा के श्‍यामजी मंदिर को भी तोड़ने का आदेश दिया था।

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