शुक्रवार, 29 नवंबर 2013

बाड़मेर प्रत्याशियों के छूट रहा पसीना

बाड़मेर। चुनाव आयोग की सख्ती ने चुनावी माहौल को शांत कर दिया हैतो प्रत्याशियों के प्रचार प्रसार में सर्दियों में भी पसीने छूट गए है। बड़ी रैलियां नहीं होने से मतदाताओं के पास गांव- गांव पहुंचना पड़ रहा है। रात के बारह बजे तक प्रचार-प्रसार नहीं थम रहा है।

जिले में भाजपा की ओर से वसुंधराराजे, राजनाथसिंह और जसवंतसिंह की सभाएं मुख्य रही है।कांग्रेस की ओर से कोई बड़ा नेता नहीं आया है।बायतु में हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा की पहली बैठक हो रही है।बड़ी रैलियां नहीं होने से प्रत्याशियों को गांव गांव संपर्क के लिए पहुंचना पड़ रहा है।

कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते

कांग्रेस की ओर से इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी बाड़मेर नहीं है। यहां पर सांसद हरीश चौधरी को ही बागडोर दी है और प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्र में घूम रहे है।

भाजपा में भी नहीं

लोगों को सर्वाधिक इंतजार नरेन्द्र मोदी की सभा का था, जिसको लेकर काफी उत्सुकता थी। मोदी का कार्यक्रम अब तक नहीं बना है। राजनाथसिंह जरूर दो बार जिले में आ गए है। वसुंधराराजे का भी सिणधरी में एक दौरा रहा।

मैदान में उतरी मोदी की टीम

भाजपा ने थार में मोदी की टीम को मैदान में उतारा है। गुजरात से एमएलए, एमपी और संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं को सीमावर्तीक्षेत्र में भेजा गया है। यहां प्रत्येक बूथ की गतिविधि और जीत हार के समीकरण से नरेन्द्र मोदी को अवगत करवाया जाएगा।

गुजरात में नरेन्द्र मोदी की जीत बूथ पर मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में अधिकतम तैयार करने से होती रही है। इस बार यही फार्मूला सीमावर्ती बाड़मेर जिले में भी आजमाया जा रहा है। मोदी की टीम लगातार बाड़मेर जिले के हर बूथ पर पहुंच रही है। प्रचार-प्रसार के साथ सर्वे भी तैयार किया जा रहा है।

भाषण और नारे गायब

चुनावी सभाओं में होने वाले भाषणों को सुनने और नारेबाजी से जोश उत्पन्न करना चुनावों का बड़ा आनंद रहता है। इस बार इससे कार्यकर्ता वंचित है। उन्हें दिनरात मेहनत करनी पड़ रही है।

गुजरात पैटर्न लागू

बाड़मेर गुजरात से जुड़ा हुआ इलाका है। ऎसे मतदाता जो गुजरात में पलायन किए हुए है,उनको बुलाया जा रहा है। उनका मतदान करवाने की जिम्मेवारी गुजरात की इस टीम पररहेगी।

सावधान, कार्रवाई हो सकती है?

चुनावों के दौर में सोशल मीडिया पर युवा वर्ग इतना उत्साहित हो गया है कि टिप्पणियों में व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप पर उतर आया है। इस पर सीधा नियंत्रण तो संभव नहीं हो सकता है, लेकिन पुलिस में मामला जाने पर कार्रवाई का प्रावधान है। सोश्यल मीडिया पर चुनावों को लेकर इन दिनों गर्मी आई हुई है। प्रत्याशियों व पार्टियों के पक्ष विपक्ष में लगातार टिप्पणियां हो रही है। निर्वाचन आयोग ने इस बारे में अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है। लिहाजा सीधा इन पर रोक लगाने का कोई तरीका नहीं है।

इधर निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि व्यक्तिगत टिप्पणी पर पुलिस में कोई मामला दर्ज होता है तो उस पर कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।

अभद्रता हावी

सोश्यल मीडिया में चुनावी जंग के चलते अभद्रता बढ़ती जा रही है। तस्वीरों को तोड़ मरोड़ कर नेताओं के चेहरे बिगाड़े जा रहे है,इसके अलावा उन पर व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोपों की झड़ी लग रही है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें