पूर्णिमा हमें पूर्णता की ओर से जाती है। :- साध्वी प्रियरंजना
बाडमेर:- 17 नवम्बर स्थानीय जिनकानितसागर श्री आराधना भवन में चातुर्मासिक विराजित साध्वीवर्या प्रखर व्याख्यात्री प्रियरंजनाश्री जी आदि ठाणा 3 के चतर्ुमास पुर्ण होने पर चातर्ुमास स्थान परिवर्तन आज प्रात मदनलाल सगतमल मालू परिवार के यहां किया।
स्थानीय जिनकानितसागर श्री आराधना भवन से प्रात 7 बजे बैन्ड बाजे ढोल ढमाके के साथ साध्वीवर्या प्रियरंजनाश्री जी आदि का जुलूस प्रताप जी की प्रोल से होता हुआ करमू जी गली से हमीरपुरा सिथत मदनलाल सगतमल मालु के यहां पहुचा यहा पहुचने पर साध्वीवर्या का रंगोली एंव अक्षत की गुहली के साथ सामैया से स्वागत किया गया बाद में मंगलाचरण से वहां पर धर्मसभा का आयोजन हुआ जिसमें साध्वीवर्या ने आज कार्तिक पुर्णिमा के दिवस पर सिद्वाचल महान तीर्थ की भाव यात्रा के द्वारा श्रद्वालुओं को यात्रा करवाकर अनूठा आनन्द आया
साध्वीवर्या श्री प्रियरंजना श्री ने कहा कि आज कार्तिक पुर्णिमा का अत्यंत महत्व है। यह पूर्णिमा हमें पूर्णता की ओर से जाती है। आज के दिन शत्रुंजय तीर्थ पर दस करोड. मुनि मोक्ष पधारे। दूसरों की बढ.ती देखकर न जाने क्यों मन में र्इष्यों हो जाती है खास कर अपने निकट लोगों की प्रगति के समाचार तो बडें. ही दुख के साथ सुने जाते है। जी चाहता है काश वे मोहताज बने रहते ,उनकी खुशहाली में आग लग जाती और तरक्की रूक जाती ।अपनी एक आंख फोडकर पडोसी की दोनों आंखें फुडवा देने वालों की समाज में कब कमी रही है र्इष्र्या की बीमारी बडी खराब ही नशे के समान होती है। विज्ञान द्वारा सिद्व है र्इष्र्या शरीर में जहर का काम करती है। बडो बडों की मति मारी जाती है इससे दुसरों की बात जाने दीजिये ऋषभदेव भगवान के पौत्र द्रविड और वारिखिल भी इस बीमारी से बच न सके । वे एक दुसरे के वैभव को देख कर जलते थे। इसको लेकर 12 वर्ष तक आपस में युद्व चला । करोडों व्यकित मर गये। एक दिन संतो ंके सानिध्य में आयें। और सुना कि हिंसा मनुष्य को मनुष्य से विलग करती है क्रोध र्इष्या की सत्ता से जीवजगत अपना चैन भुल बैठा है। शांति अंर्तधान हो गर्इ है। वह र्इष्या इसांन को क्या प्राणीमात्र पर कब्जा कर उसे नचाती है। ऐसा सुनकर दोनों भार्इ दिक्षित हो गये। अंत में शंत्रुज्य पर 10 करोड मुनि अनशन करके आज के दिन मोक्ष पधारे। उसी के उपलक्ष्य में आज से नव्वाणु यात्रा प्रांरभ्भ भी करते है।
धर्म सभा के बाद में लाभार्थी परिवार द्वारा प्रभावना दी गर्इ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें