मंगलवार, 26 नवंबर 2013

जाति हावी, मुद्दे गौण

बाड़मेर। विधानसभा में जनप्रतिनिधियों को भेजने की तैयारी में लगे थार के मतदाताओं को रिझाने के लिए मुद्दे तो हैं लेकिन प्रचार-प्रसार में गौण हो रहे हैं। मतदाताओं से बात करें तो जातिगत समीकरण हावी हो रहा है। प्रत्याशी भी मतदाता को लुभाने के लिए जाति के आधार पर नेताओं को जोड़ने और प्रभाव के लिए जातिगत सभाएं करवाने में जुटे हैं।

जाति से जीत
जीत के लिए गठबंधन पर जोर दिया जा रहा है। बड़ी जातियों को अपनेे पक्ष में लेने और उनके नेताओं को इसके लिए तैयार करने पर जोर है ताकि वहां जाति एक साथ एक ही प्रत्याशी या पार्टी के पक्ष में मतदान करे। इसके लिए पूरी नेताओं की जमात लगी हुई है। समझौते और गठबंधन भी इस बात पर होने लगे हैं कि कौनसी जाति किस ओर जाएगी।

रिफाइनरी बड़ा मुद्दा
सबसे बड़ा मुद्दा है रिफाइनरी। बायतु में रिफाइनरी प्रस्तावित थी, पचपदरा में शिलान्यास हो गया। अब दोनों ही पार्टियां इस पर खुलकर बात नहीं कर रही हैं।

औद्योगिक हब
रिफाइनरी के साथ ही औद्योगिक हब की दरकार है। इसकी स्थापना कहां और कैसे करवाई जाएगी इस पर जोर नहीं दिया जा रहा।
मीठा पानी
1957 में हरिके बैराज से हिमालय का पानी थार के लिए रवाना हुआ था। अभी भी अधिकांश जगह यह नहीं पहुंचा है। पिछले सालों में कार्य जरूर हुआ है। इस मुद्दे पर हर चुनाव में बात होती है।
बालोतरा बने जिला
क्षेत्रफल की दृष्टि से बाड़मेर बड़ा जिला है। कई चुनावों में बालोतरा को जिला बनाने की मांग उठी है लेकिन पांच साल बाद वही ढाक के तीन पात। इस बार फिर यही स्थिति है।
डीएनपी
डेजर्ट नेशनल पार्क में रहने वालों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। बाड़मेर-जैसलमेर के 73 गांव परेशान हैं। यह फिर मुद्दे में शामिल किया गया है,लेकिन पांच साल तक लोग सशक्त पैरवी को तरसते रहे।
विभागों में पदरिक्तता
सीमांत जिले की यह बड़ी समस्या है। चिकित्सक, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी यहां नियुक्त तो होते हंै लेकिन फिर अपने अपने जिलों में चले जाते है। यहां पदरिक्तता ही रहती है। इससे हर सरकारी सेवा प्रभावित हो रही है। इसके स्थायह समाधान की बात नहीं हो रही।
क्राप कटिंग आधारित बीमा
किसानों को क्राप कटिंग आधारित फसल बीमा की जरूरत है, जो पहले दिया जाता था। अब बीमा का पैमाना बदल दिया गया है।
बड़ी दूरी की रेल
बाड़मेर अब औद्योगिक विकास कर रहा है। यहां से बड़ी दूरी की रेलोे की दरकार है। विशेषकर महाराष्ट्र व गुजरात को जोड़ने वाली। बैंगलोर के लिए एक रेल घोषित हुई थी लेकिन प्रारंभ नहीं हो पाई।
तकनीकी शिक्षा
रिफाइनरी, पेट्रोलियम उत्पादन, लिग्नाइट कोयला और अन्य उत्पाद से विकास के द्वार खुले हैं। हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है। लाखों के पैकेज पर जिले में इंजीनियर व अन्य जानकार कार्य कर रहे हैं। बाड़मेर के युवा इससे वंचित हैं। यहां इस प्रकार की पढ़ाई का प्रबंध नहीं है। चुनावों में इसकी बात नहीं हो रही है।
जीरा मण्डी
बाड़मेर जीर उत्पादन में पूरे पश्चिमी राजस्थान में अव्वल है। जिले का सारा जीरा गुजरात के ऊंझा जा रहा है। बाड़मेर में जीरा मण्डी की स्थापना की मांग हो रही है।
खेल विद्यालय
खो-खो, कबड्डी, जिम्नास्टिक, वालीबॉल सहित कई खेलों में लड़के ही नहीं जिले की लड़कियां भी प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल हैं। जिले में खेल विद्यालय की स्थापना की दरकार है।
लघु उद्योग विकास
खादी उत्पाद, कशीदाकारी सहित ऎसे कई कार्य हंै जिसमें ग्रामीण महिलाएं सिद्धहस्त है। स्वयं सहायता समूह भी हैं लेकिन कार्य का नतीजा नहीं आ रहा है। इसको लेकर योजना की दरकार हैं।
दोनों शहर परेशान
बाड़मेर और बालोतरा दोनों शहरों में मास्टर प्लान के अनुरूप विकास, सफाई व्यवस्था , जलापूर्ति, सड़कों की बेकार स्थिति, रोड़ लाइटों का बंद रहना आम समस्या हो गई है। इसको लेकर प्रतिदिन लोग परेशान हैं। चुनावों में इस पर बात ही नहीं हो रही।
विकास कहां
बाइपास और रिंग रोड को अधिकांश कस्बे और दोनों मुख्य शहर तरस रहे हैं। रिंग रोड तो सबसे बड़ी जरूरत है। दोनों ही शहरों में ढंग के पार्क नहीं है। बाड़मेर में बस स्टैंड जरूर बना है,बालोतरा तरस रहा है।
इन पर भी हो बात
विकास के साथ अवैध खनन, भूमाफिया, शराब तस्करी, नशाखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति, अपराधों में वृद्धि, महिला अत्याचार, अतिक्रमण सहित कई मुद्दे हैं जो प्रतिदिन लोगों से जुड़े हैं, इसको लेकर कोई जुबान नहीं खोल रहा।

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