जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र से
कांग्रेस प्रत्यासी को भितरघात का डर ,भाजपा कार्यकर्ता सुस्त
कांग्रेस प्रत्यासी रूपराम धनदे को गाज़ी फ़क़ीर परिवार ने जैसलमेर से टिकट महज इसीलिए दिलाई कि रूपराम पोकरण प्रत्यासी एयर गाज़ी फ़क़ीर के पुत्र सेल मोहम्मद को अनुसूचित जाती के वोट दिलाकर जिताएं मगर ूपोकरण में अनुसूचित जाती के भाजपा प्रत्यासी के पक्ष में लामबंद होने के बाद फ़क़ीर परिवार के तेवर रूपराम के प्रति बदले हुए हें ,फ़क़ीर परिवार जैसलमेर कि कांग्रेस कि राजनीती में आज तक जो भी थोड़ा स्टेंड हुआ उसकी राजनीती ख़त्म कर दी ,सुनीता भाटी इसका ताज़ा उदहारण हें। फ़क़ीर परिवार रूपराम के साथ धोखा कर सकते हें इसका अंदेशा खुद रूपराम को हें। चर्चा हे तीन रोज पूर्व फ़क़ीर परिवार और रूपराम के बीच अनुसूचित जाती के साले मोहम्मद को समर्थन के मुद्दे पर गरमा गरम बहस हो चुकी हें।
सोमवार को जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र के दौरे के बाद स्पस्ट लगा कि लोग कांग्रेस प्रत्यासी से पैसा लूट रहे हें प्रचार भाजपा का कर रहे हें ,जैसलमेर शहर के मतदाता ही इस बार निर्णायक कि भूमिका में हें। शहर में सोमवार को निकली भाजपा प्रत्यासी के समर्थन में रेली को रविवार को कांग्रेस प्रत्यासी रूपराम कि रेली से बेहतर बता रहे हें लोग।
गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर में परिसीमन के बाद दो विधानसभा क्षेत्र हो गए हैं। करीब 38 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैले जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र के दो भाग होने के बाद जैसलमेर के साथ ही पोकरण अलग से विधानसभा क्षेत्र बनाया गया है। आजादी के बाद यह दूसरा मौका होगा जब परमाणु परीक्षणों की स्थली पोकरण की गूंज विधानसभा में गूंजेगी। जैसलमेर में एक बार निर्दलीय प्रत्याशी मुल्तानाराम बारूपाल व दूसरी बार कांग्रेस के गोवर्द्धन कल्ला ने विजयी होकर राजपूत उम्मीदवार के ही विजयी होने की मिथक को तोड़ा है। इस बार भी कांग्रेस व भाजपा ने जातिगत समीकरणों की आस लगा रखी है, लेकिन असंतुष्ट नेताओ की फेहरिस्त ने दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ा दी है।
गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर में परिसीमन के बाद दो विधानसभा क्षेत्र हो गए हैं। करीब 38 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैले जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र के दो भाग होने के बाद जैसलमेर के साथ ही पोकरण अलग से विधानसभा क्षेत्र बनाया गया है। आजादी के बाद यह दूसरा मौका होगा जब परमाणु परीक्षणों की स्थली पोकरण की गूंज विधानसभा में गूंजेगी। जैसलमेर में एक बार निर्दलीय प्रत्याशी मुल्तानाराम बारूपाल व दूसरी बार कांग्रेस के गोवर्द्धन कल्ला ने विजयी होकर राजपूत उम्मीदवार के ही विजयी होने की मिथक को तोड़ा है। इस बार भी कांग्रेस व भाजपा ने जातिगत समीकरणों की आस लगा रखी है, लेकिन असंतुष्ट नेताओ की फेहरिस्त ने दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ा दी है।
बसपा भी मैदान मे
कांग्र्रेस व भाजपा के टिकट वितरण से नाराजगी के बावजूद इस बार भले ही किसी ने बागी के रूप मे चुनावी दंगल मे हिस्सा नहीं लिया है, बावजूद इसके बहुजन समाज पार्टी, तीसरे दल के रूप मे चुनावी मैदान मे है। चुनाव मैदान मे उतरे बसपा प्रत्याशी हुकुमसिंह शेखावत भी नहरी क्षेत्र क्षेत्र के मतों में सेध लगाने की फिराक में है।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण
अनुमान के रूप में एक मोटे तौर पर जातिगत मतों पर नजर डालें तो राजपूत 50 हजार, मुस्लिम 35 हजार, एससी 15 हजार, एसटी 10 हजार, ब्राह्मण, माहेश्वरी व सवर्ण 22 हजार तथा ओबीसी व अन्य 54 हजार मतदाता है।
तब और अब
जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र मे वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान कुल मतदाताओ की संख्या 1 लाख 58 हजार 130 आंकी गई थी, जिनमे पुरूष मतदाता 84 हजार 447 और महिला मतदाताओ की संख्या 73 हजार 683 रही। पांच वर्ष बाद होने वाले इस चुनाव मे इस बार जैसलमेर विधानसभा मे कुल मतदाता बढ़कर 1,8 9,8 32 हो गए हैं, जिनमे महिला मतदाता 8 8 ,0079 और पुरूष मतदाता 1, 01,753 है।
तब और अब
जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र मे वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान कुल मतदाताओ की संख्या 1 लाख 58 हजार 130 आंकी गई थी, जिनमे पुरूष मतदाता 84 हजार 447 और महिला मतदाताओ की संख्या 73 हजार 683 रही। पांच वर्ष बाद होने वाले इस चुनाव मे इस बार जैसलमेर विधानसभा मे कुल मतदाता बढ़कर 1,8 9,8 32 हो गए हैं, जिनमे महिला मतदाता 8 8 ,0079 और पुरूष मतदाता 1, 01,753 है।
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