कुरजां को रास आया रोहट का मैदानी इलाका
रोहट क्षेत्र के आसपास गूंजने लगा कुरजां का कलरव
इको सिस्टम में आए बदलाव से रोहट क्षेत्र में सैकड़ों की तादाद में आए कुरजां पक्षी, वन विभाग ने किया सर्वे
पाली मारवाड़-गोडवाड़ क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र में पिछले कुछ महीनों से बदलाव आने के बाद यहां की धरा को देशी व विदेशी प्रवासी पक्षी पसंद कर रहे हैं। यह बदलाव आने वाले समय में इस क्षेत्र के लिए अलग ही पहचान बना रहा है। पाली व जोधपुर जिले से सटे मैदानी इलाके रोहट व उसके आस-पास क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कुरजां पक्षियों ने डेरा डाल दिया है। इन पक्षियों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। वन विभाग की टीम ने क्षेत्र का दौरा कर इसे सुखद माना है। इनका मानना है कि इस क्षेत्र में आगामी कुछ दिनों में कुरजां के साथ ही अन्य प्रजाति के पक्षी भी आ सकते हैं।
हर समय सतर्कता और नेतृत्व की भावना रखता है कुरजां
कुरजां पक्षी स्वभाव से यह पक्षी शर्मीला स्वभाव का माना जाता है। मनुष्य के पास आते ही यह अपना स्थान छोड़ देता है। इतना ही नहीं इनमें अपने झुंड का नेतृत्व करने की भी क्षमता होती है। खेतों में इन पक्षियों का झुंड दाना चुगता है तो इनमें से एक पक्षी इस झुंड की निगरानी रखता है। इसके लिए वह चारों तरफ देखता हुआ इनकी निगरानी रखता है। जैसे ही खतरे की आशंका होती है तो यह अपनी आवाज से दूसरे पक्षियों को चेतावनी देता है जिससे सारे पक्षी स्थान छोड़ कर उड़ जाते हैं। इनका मुख्यत भोजन इनका मुख्य भोजन मोथ घास की जड़, खेतों में मूंग व बाजरा के दाने होते हैं। यह रात को पानी के आसपास खुले में विश्राम करता है, जिससे की किसी भी तरह के अन्य शिकारी जानवरों जैसे कुत्ता, सियार, लोमड़ी इत्यादि के आक्रमण से बच सके। कई बार यह एक पैर पर एक आंख बंद करके विश्राम करते हुए भी देखा जा सकता है।
वन विभाग कर रहा पक्षियों की मॉनिटरिंग
जिस तरह से क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का आकर्षण क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है, उसको देखते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने भी अपने स्तर पर इनके लिए प्लानिंग शुरू कर दी है। दो दिन पूर्व विभागीय अधिकारियों ने रोहट व उसके आस-पास क्षेत्र का सर्वे किया था, लेकिन इनकी संख्या ओर ज्यादा होने की संभावना के चलते विभाग इसके लिए तीन से चार कर्मचारियों की टीम का गठन कर इसके लिए मॉनिटरिंग की व्यवस्था करेगा। यह टीम आस-पास के ओर क्षेत्रों पर निगरानी रखेगी। इसके साथ ही ऐसे क्षेत्रों को भी चिह्नित करेगी जहां इन पक्षियों की उपस्थिति पाई गई है।
रेगिस्तान से सटे मैदानी इलाके में बना रहे अपना आसरा
कुरजां पक्षी जिले के रोहट सहित भवसागर, निंबली, लालकी, खारा बेरा, निंबला सहित आस-पास क्षेत्रों में यह माइग्रेट कर यहां अपना आश्रय स्थल बना रहे हैं। यहां तालाब, घास के मैदान व भरपूर मात्रा में पानी होने की वजह से यह स्थान इन कुरजां प्रवासी पक्षियों को काफी रास आ रहा है। अधिकारियों के अनुसार पिछले कुछ सालों में मारवाड़-गोड़वाड़ के पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव आया है। नतीजतन यहां का वातावरण इन पक्षियों के हैबिटॉट के अनुसार होने पर यह पक्षी ज्यादा संख्या में डेरा डाले हुए हैं। वहीं विभाग व क्षेत्र के आस-पास के लोग यह भी दावा कर रहे हैं। इस बार जोधपुर के खींचन और बाड़मेर के पचपदरा से ज्यादा जिले के रोहट क्षेत्र में इनकी तादाद ज्यादा है।
एक माह से हुई कुरजां पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी
॥पिछले एक माह में कुरजां पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पंद्रह दिन के बाद यह अपना स्थान छोड़कर अन्य स्थान चले जाते हैं। दो दिन पूर्व विभाग की ओर से सर्वे कराया गया था। जिस तरह से यहां प्रवासी पक्षियों की तादाद बढ़ती जा रही है उसके मुताबिक यहां आने वाले समय में नया डेस्टिनेशन बन सकता है। जोधपुर जिला सटा होने से इसका हमको काफी फायदा मिलेगा। विभाग की ओर से टीम का भी गठन किया गा है, जो इनकी मॉनिटरिंग करेगी। -ओम प्रकाश शर्मा, उप वन संरक्षक, पाली
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जोधपुर जिले से सटे होने की वजह से यहां पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक नया डेस्टिनेशन पॉइंट बन सकता है। खींचन में जिस तरह से पर्यटक वहां इन पक्षियों को देखने के लिए जाते हैं। यहां भी संभव है। माउंट, अहमदाबाद आदि पर्यटन स्थलों पर घूमने के लिए अधिकतर पर्यटक इसी राह से गुजरते हैं। वहीं जोधपुर में भी काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। ऐसे में यदि विभाग अपने स्तर पर प्रयास करें तो यहां बर्ड वाचिंग सेंटर का अच्छा स्थान बन सकता है। ताकि जिले को एक नई पहचान मिलेगी और पर्यटन क्षेत्र में यह आगे भी बढ़ेगा।
नेचुरल डिस्टरबेंस नहीं होने से सुरक्षित महसूस कर रहा कुरजां
सामान्यत: प्रवासी पक्षी और अन्य पक्षियों को जब उनके हैबिटॉट जहां उनके संरक्षण के साथ उनकी सुरक्षा और उनके रहने व खाने पीने के पुख्ता इंतजाम हो वहां अक्सर इतनी तादाद में पक्षी देखने को मिलते हैं। जिले के कई क्षेत्र में भी पारिस्थितिक तंत्र में हुए बदलाव से यह क्षेत्र इनको आकर्षित कर रहा है। यहां इन पक्षियों के लिए तालाब, घास के मैदान और खेतों के साथ खारस वाली भूमि होने की वजह से यह यहां अपना आश्रय स्थल बना चुके हैं। इतना ही नहीं यहां किसी भी प्रकार का नेचुरल डिस्टरबेंस नहीं होने की वजह से यह अपने आप को यहां सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
ठंडे प्रदेश में बर्फबारी के कारण हजारों मील का सफर तय कर आते हैं
यह पक्षी बर्फीले व ठंडे प्रदेशों में अधिक संख्या में पाए जाते हैं, लेकिन ठंडे प्रदेशों में इस समय बर्फबारी ज्यादा होने से यह मैदानी व ज्यादा घास वाले मैदानी इलाकों की ओर रुख करते हैं। कुरजां पक्षी पूर्वी एशिया कजाकिस्तान, मध्य एशिया, उक्रेन, कालमाक्या और मंगोलिया में पाया जाता है। इन क्षेत्रों में बर्फ पडऩे लगती है या फिर ठंड ज्यादा होने पर यह पक्षी हजारों किमी की उड़ान भरकर हमारे यहां आते हैं। माइग्रेट के दौरान यह पक्षी सितंबर में आना शुरू कर देता है। जैसे ही इनके मूल स्थान पर फरवरी माह में बर्फ गिरना बंद हो जाती है तो यह माह के अंत तक फिर अपने मूल स्थान पर लौट जाते हैं।
> मारवाड़-गोडवाड़ क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र में पिछले कुछ महीनों से बदलाव के कारण देशी व विदेशी प्रवासी पक्षी यहां डेरा डाले हुए हैं। पाली व जोधपुर जिले से सटे रोहट क्षेत्र व उसके आस-पास इन दिनों कुरजां पक्षियों के समूह बहुतायत में देखे जा सकते हैं।
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