गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में मंगलवार को सरदार पटेल को समर्पित संग्रहालय के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बोले कि अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो आज देश की तस्वीर ही कुछ और होती.
मोदी ने कहा कि देश को हमेशा इस बात का गिला-शिकवा और दर्द रहेगा कि पटेल पहले पीएम नहीं बने. जाहिर है कि मोदी का निशाना पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू और उनके गांधी परिवार की तरफ था, जिनकी हासिल की सत्ता के शीर्ष पर डॉ. मनमोहन सिंह पिछले साढ़े नौ साल से विराजमान हैं.
इस निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले मोदी ने एक लंबे आभार क्रम में गुजरात को केंद्र सरकार की तरफ से मिले कई पुरस्कारों का जिक्र करते हुए उन सभी के लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया. फिर उन्होंने आतंकवाद और माओवाद का जिक्र किया और गांधी-पटेल का स्मरण करते हुए कहा कि यहां बम बंदूक कभी सफल नहीं होंगे. यहां इशारा माओवाद पर यूपीए की नाकामी और पटना में हुए सीरियल ब्लास्ट की तरफ था. मोदी ने अपने भाषण के अंत में सरदार पटेल से जुड़े कुछ किस्से सुनाए.
1919 में सरदार पटेल अहमदाबाद नगर पालिका के काउंसलर थे, तब उन्होंने स्थानीय निकाय में महिलाओं के लिए आरक्षण हेतु एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास करवाया था. इसके बाद शहर का मेयर बनने पर उन्होंने अरबन टाउन प्लानिंग शुरू की. इसी जिक्र के बाद मोदी ने पंच मारा और पटेल के पहला पीएम न बन पाने पर अफसोस जताया.
पीएम का मोदी पर पलटवार, पटेल सेकुलर थे
मोदी के बाद बोलने आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की पटेल को हथियाने की रणनीति पर चुटीली टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल सेकुलर थे और देश के हर संप्रदाय के लोगों को अपना भाई-बहन मानते थे. मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि मुझे खुशी है कि मैं उसी राजनीतिक दल से आता हूं, जिसके सरदार पटेल सदस्य थे. उन्होंने कहा कि पटेल ने हमेशा कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम किया.
अपनी स्पीच के आखिर में मनमोहन ने मोदी के उस आरोप को भी दरकिनार करने की कवायद की, जिसके मुताबिक नेहरू और पटेल में मतभेद थे. मनमोहन ने कहा कि सरदार पटेल का मानना था कि महात्मा गांधी उनको उसी तरह का प्यार देते हैं, जैसा उन्हें पिता से मिलता है. गांधी जी भी पटेल को अपने बेटे की तरह मानते थे. दोनों ने यरवदा जेल में 1930 में साथ गुजारे. पटेल का मानना था कि ये 16 महीने बहुत खुशी में गुजरे. पंडित नेहरू के नेतृत्व में जो सरकार बनी, उसमें पटेल डिप्टी पीएम बने. कई बार दोनों के बीच मतभेद का जिक्र आता है. पर ध्यान रखना होगा कि दोनों के बीच सहमति के विषय कहीं ज्यादा थे और दोनों एक दूसरे के विचारों का सम्मान करते थे. पटेल के शब्दों में कहूं तो ‘शासन और संगठन के 7तों में बहुत सारी समस्याओं के बारे में पंडित नेहरू को सलाह देना मेरा सौभाग्य रहा है. मैंने उन्हें सलाह के लिए हमेशा उत्सुक पाया है. हमने उमर भर के दोस्तों और सहयोगियों की तरह काम किया है. परिस्थिति की मांग के अनुसार एक दूसरे के मुताबिक समझौता किया और आपसी राय का सम्मान किया. ऐसा वही कर सकते हैं, जिन्हें एक दूसरे के ऊपर पूरा भरोसा हो.’
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