सोमवार, 28 अक्टूबर 2013

बाड़मेर.संयम की डगर पर पूरा परिवार..पूरे परिवार के एक साथ दीक्षा लेने का यह पहला अवसर

बाड़मेर। आधुनिकता की इस आपाधापी मे जहां लोग सुख-सुविधाओं की चाह में कई शॉर्टकट की राह पर चलते है वहीं बाड़मेर जिले में एक परिवार ने आत्म कल्याण के लिए तमाम सुख सुविधाओं को छोड़ने का निर्णय कर लिया है। बाड़मेर शहर के इस चार सदस्यीय परिवार ने संयम की राह पर चलने का संकल्प लिया है। जिले में पूरे परिवार के एक साथ दीक्षा लेने का यह पहला अवसर है।संयम की डगर पर पूरा परिवार
सिद्धाचल तीर्थ पर खरतरगच्छ संघ में मरूधर मणि उपाध्याय प्रवर मणिप्रभ सागर की निश्रा में आगामी नवम्बर माह में बाड़मेर शहर के बयालीस वर्षीय गौतमचंद बोथरा, उनकी पत्नी 36 वर्षीय उषादेवी, सत्रह वर्षीय पुत्र भरत और बारह वर्षीय पुत्र आकाश एक साथ दीक्षा लेंगे। यह पूरा परिवार 20 नवम्बर को सुबह नौ बजे एक साथ दीक्षा लेगा। दीक्षा के निमित्त इनका वरघोड़ा 19 नवम्बर को निकलेगा। पालीतणा में होने वाले इस दीक्षा कार्यक्रम में बाड़मेर समेत कई शहरों से जैन धर्मावलम्बी भाग लेंगे। इस दम्पती ने वर्ष 2005 में पालीतणा में दीक्षा लेने के लिए मणिप्रभ सागर महाराज से आग्रह किया ,लेकिन उस समय बच्चे छोटे होने के कारण ले नहीं पाए।

बच्चों ने कहा हम भी लेंगे दीक्षा

वर्ष 2007 में हैदराबाद में चातुर्मास के दौरान इस दम्पती के बड़े पुत्र भरत ने भी दीक्षा ग्रहण करने की इच्छा जताई। बड़े भाई के दीक्षा ग्रहण करने की इच्छा सुनकर छोटे भाई बारह वर्षीय आकाश ने भी परिवार के साथ दीक्षा ग्रहण करने की इच्छा जताई। भरत पिछले छह साल से धार्मिक शिक्षा ग्रहण कर रहा है।

हैदराबाद में है बिजनेस

गौतम बोथरा अपने संयुक्त परिवार के साथ हैदराबाद में व्यावसाय रत है। इनके दीक्षित होने के बाद संयुक्त परिवार के अन्य सदस्य व्यापार को सम्भालेंगे।

प्रेरणा ने दिखाई राह

दीक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा उपाध्याय प्रवर मणिप्रभ सागर से मिली। स्वयं के आत्म कल्याण और समाज सेवा के लिए दीक्षा ग्रहण करूंगा। -गौतम बोथरा

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