23 साल पुराने मेडिकल एडमिशन फर्जीवाड़ा मामले में कांग्रेस सांसद रशीद मसूद को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने चार साल कैद की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, संसद सदस्यता गंवाने वाले वह पहले सांसद होंगे. लालू प्रसाद यादव की तरह सजा सुनाए जाने के साथ ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया है और अब वह जेल भेज दिए जाएंगे.
80 तरह की दवाएं लेते हैं रशीद
रशीद को 19 सितंबर को जिन धाराओं में दोषी ठहराया गया था, उन्हें अधिकतम 7 साल कैद की सजा हो सकती थी. उन्हें ज्यादा सजा से बचाने के लिए उनके वकील ने उनकी सेहत का हवाला दिया था. उनके वकील ने कोर्ट को बताया था कि रशीद बहुत बीमार है. उन्हें दिल की बीमारी और डायबिटीज. उन्हें हर रोज इन्सुलिन की जरुरत पड़ती है और वह कुल 80 तरह की दवाएं लेते हैं.
लालू से पहले खोएंगे MP की सीट
सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के मुताबिक, अगर किसी सांसद को दो साल कैद से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो उसकी संसद सदस्यता रद्द हो जाएगी और वह जेल से चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा. रशीद मसूद की उम्र को देखते हुए मौजूदा फैसला उनका करियर पूरी तरह खत्म कर सकता है.
19 सितंबर को ठहराए गए थे दोषी
रशीद मसूद ही वह नेता हैं जिन्होंने गरीबों को पांच रुपए में खाना खिलाने का दावा किया था. 1990-91 में मेडिकल कॉलेज में नाकाबिल छात्रों को एडमिशन के लिए सीट देने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत 19 सितंबर को रशीद मसूद को दोषी करार दे चुकी है. फर्जीवाड़े के समय रशीद स्वास्थ्य मंत्री थे.
कोर्ट ने मसूद को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के अलावा आईपीसी की धारा 120बी यानी आपराधिक षडयंत्र, 420 में धोखाधड़ी और 468 के तहत फर्जीवाड़े का दोषी माना है.
सियासत में भी किया है खूब खेल
रशीद मसूद कानून की नजर में फर्जीवाड़े के गुनहगार हैं ही, गरीबों को लेकर फर्जीवाड़े जैसे बयान भी देते रहे हैं. सियासत में भी उन्होंने खूब खेल किया है.
मसूद 1990 में मंत्री थे तो फर्जीवाड़ा किया. फिर दिसंबर 2011 में समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आ गए. कांग्रेस को सब्जबाग दिखाया कि विधानसभा में मुस्लिमों का वोट दिलाकर रहेंगे. खुद तो राज्यसभा के सदस्य बन गए, लेकिन चुनाव में कोई असर नहीं दिखा पाए. हैरानी इस बात की भी है कि कांग्रेस के कई नेताओं को एडमिशन घोटाले का पता ही नहीं था.
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