जोधपुर। नाबालिग के यौन शोषण के इल्जाम में जेल की हवा खा रहे आसाराम की आफत और बढ़ गई है। मंगलवार को जोधपुर हाईकोर्ट में सरकारी वकील ने आसाराम को पीडोफीलिया रोग का शिकार बताया। सरकारी वकील ने साफ कहा कि बच्चों से यौन संबंध बनाने की ‘बीमारी’ के चलते ही आसाराम को जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि अगर वो बाहर आए तो और नाबालिग बच्चियों को शिकार बना सकते हैं। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी की तमाम दलीलों को दरकिनार कर आसाराम की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
जोधपुर हाईकोर्ट में आसाराम की जमानत याचिका पर बहस के दौरान सरकारी वकीलों ने दावा किया कि आसाराम पीडोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। बच्चियों के साथ यौन संबंध बनाने की उम्रदराज लोगों की कुंठा को इस मानसिक बीमारी से जोड़कर देखा जाता है।
राजस्थान हाईकोर्ट में सरकारी वकील ने साफ कहा कि आसाराम को कम उम्र के लड़के-लड़कियों के साथ दुराचार की लत है और वो अक्सर नए शिकार की तलाश में रहते हैं। वकीलों ने दावा किया कि अब तक की जांच में जिस तरह के तथ्य सामने आए हैं उससे ये जाहिर होता है कि आसाराम पीडोफीलिक हैं और नाबालिग के यौन शोषण की घटना उनकी इसी मानसिक विकृति का नतीजा है।
दलील दी गई कि अगर आसाराम को जमानत मिलती है तो वो इस विकृति के कारण फिर किसी कम उम्र की लड़की को अपना शिकार बना सकते हैं, लिहाजा उन्हें जमानत न दी जाए। इन दलीलों के बाद जोधपुर हाईकोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका रद्द कर दी। एक दिन पहले ही सेशन कोर्ट ने आसाराम की न्यायिक हिरासत 11 अक्टूबर तक बढ़ा दी थी।
अदालत में दिए दस्तावेज में सरकारी वकील ने पीडोफीलिया बीमारी के बारे में विस्तार से बताया। पीडोफीलिया एक मानसिक विकृति है जो 16 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में नजर आती है। इस विकृति का मरीज बच्चों में यौन सुख खोजता है। बच्चों का यौन-शोषण करने वालों में ये बीमारी आम है।
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