जैन समाज ने जिला प्रशासन को सौपा ज्ञापन
कत्लखाने बंद रखवाने की मांग
बाड़मेर। विश्व मैत्री व करूणा के संदेश को देश व लोक व्यापी बनाने वाला पर्वाधिराज पयर्ुषण महापर्व पर 8 दिन तक देश भर के समस्त मांस -मटन, अण्डा बिक्री केन्द्र, बूचड़खाने व कत्लखाने बंद रखवाने के लिए जैन समाज की अग्रणीय संस्थाओं ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौपा।
इंडिया एगेंस्ट वाइलेंस के प्रवक्ता चन्द्रप्रकाश छाजेड़ ने बताया कि कैलाश कोटडि़या, महेन्द्र चोपड़ा(बी.आर्इ.), मुकेश जैन एडवोकेट, मुकेश बोेहरा के नेतृत्व में इंडिया एगेंस्ट वाइलेंस, अखिल भारतीय मूर्तिपूजक जैन युवा संघ, अणुव्रत समिति, कुशल वाटिका युवा परिषद के पदाधिकारियों एवं कार्यकताओं ने अपर जिला कलक्टर अरूण पुरोहित को ज्ञापन सौपते हुए बताया सम्पूर्ण विश्व में 2 से 9 सितम्बर तक पर्वाधिराज पयर्ुषण पर्व हर्षोल्लास से मनाया जायेगा। अंहिसा की गरिमा को प्रधानता देते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के तहत राजस्थान सरकार के स्वायत शासन विभाग के नोटिफिकेशन क्रमांक 72702010एच.111.05 के द्वारा पूरे राज्य में उक्त अवधि के दौरान समस्त प्रकार के बूचड़खाने एवं कसार्इ खाने व पशुओं को कत्ल कर मांसादि का विक्रय करना कानूनन बंद रखने के आदेश दिये गये है। तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी जैन धर्म के पावन पर्व पयर्ुषण के दौरान 8 दिन तक कत्लखाने, बूचड़खान इत्यादि को बंद रखे जाने का आदेश पारित किए गए है।
इस अवसर पर नरेश लुणिया, जितेन्द्र बांठिया, पारसमल गोलेच्छा, कपिल मालू शिवसेना, सुनिल छाजेड, संजय छाजेड़, अशोक पनपालिया, दिनेश खत्री, ओम जोशी, पवन संखलेचा, गौरव बोहरा, दीपक संखलेचा, भूरचंद, रवि लूणिया, अंकित छाजेड़ सहित कर्इ कार्यकर्तागण उपसिथत थे।
आत्मचेतना का पावन पर्व है पयर्ुषण - बोहरा
बाड़मेर। जैन धर्म के पयर्ुषण सोमवार से प्रारम्भ होकर आगामी 9 सितम्बर तक चलेगें। पर्वाधिराज पर्व पयर्ुषण के दौरान जैन समाज के लोग इन आठ दिनो में जप, तप, ध्यान, साधना, पुण्य आदि-आदि कर जीवन को संयम एवं प्राणीमात्र के कल्याण का अग्रसर करेगें।
इणिडया एंगेस्ट वार्इलैन्स एवं अहिंसा ग्रुप के संयोजक मुकेश बोहरा ने पयर्ुषण की पूर्व संध्या पर कहा कि यह पर्वाधिराज पर्व पयर्ुषण जीवमात्र की आत्मा चेतना की जागृति एवं सब जीवो में समता की भावना भरने वाला हैं। प्रत्येक जैन अर्थात आत्मा में विश्वास रखने वाले प्राणीमात्र को इन दिनो में आकण्ठ डूबकर जप-तप ध्यान आराधना आदि करनी चाहिए जिससे उसका वर्तमान एवं भावी जीवन अच्छार्इयो की ओर प्रवृत हो सके। हमें भकित में उसी प्रकार मन लगाना चाहिए, जिस प्रकार प्रचून की दूकान सीजन के दौरान एक कारोबारी मन लगाता हैं।
क्यो खास है संवत्सरी
जैन धर्म के पयर्ुषण पर्व के अंतिम दिन मनाया जाने वाला संवत्सरी अपने आप में बहुत ही खास हैं। इस दिन को क्षमापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं। इस दिन मात्र जैन धर्म के लोग ही नही बलिक अन्य धर्मो के लोग भी बैर भाव को भुलकर आपस में क्षमापना करते हैं।
इस दिन समाज के सभी लोग प्राणीमात्र से वर्ष भर मे हुर्इ गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं एवं क्षमा करते हैं। तथा सभी लोग आपस में एक-दूसरे से खम्मत-खामणा करते हैं। इस दिन समाज के लोग प्रतिक्रमण करते हैं जिसमें जीव-अजीव जैसे नाना तत्वो से निर्मल एवं पवित्र मन से क्षमा मांगते हैं तथा उन्हे स्वयं की तरफ से क्षमा करते भी हैं। एक दूसरे से क्षमा मांगने एवं आशीर्वाद लेने-देने का क्रम अगले दिन तक बदस्तूर चलता रहता हैं।
श्रावक-श्राविकाऐं करेगी जप-तप
पयर्ुषण के दिनो में जैन समाज की श्रावक व श्राविकाऐं मौजूद साधु साधिवयों के सानिध्य में अठठम, तेला, आयंबिल, उपवास, अठठार्इस, आदि-आदि आराधनाऐं कर कषायों का नाश करेगें। तथा सभी दिनो के दौरान प्रतिक्रमण कर साल वर्ष में किसी से जाने-अनजाने, बोलने-चलने मे, लेने देने मे, राग-द्वेष में व्यवहार आदि में कोर्इ वैर-भाव बंध गया हो तो मन के मेल को दूर कर मित्र एवं दुश्मन से भी क्षमा मांगेगे तथा स्वयं को भगवान की आराधना में लगायेगें।
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