रविवार, 1 सितंबर 2013

जाट अपनी राजनीतिक ताकत पहचानें - बैनिवाल



जाट अपनी राजनीतिक ताकत पहचानें - बैनिवाल

उड़ासर में जाट चेतना सम्मेलन का आयोजन


बाड़मेर

जाट अपनी राजनीतिक ताकत को पहचानें। राजस्थान में 18 फीसदी जाट वोटों के बावजूद उस अनुपात में राजनीतिक पार्टीया टिकट नहीं देती हैं। बोलना सीखों और अपना हक पहचानों। यह बात राजस्थान जाट महासभा के जिला अध्यक्ष कैलाश बैनिवाल ने उड़ासर में गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र के जाट चेतना सम्मेलन में संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सही समझ विकसित कर जागरूक बने। दूसरी किसान जातियों से तालमेल बिठाकर ही आगे बढा जा सकता हैं। बैनिवाल ने कहा कि किसानों को 12 घंटे बिजली, उन्नत किस्म का बीज मिलें। पुरानी फसल बीमा योजना को सरकार पुनरू लागू करें। उन्होंने अधिकार पारित के लिए लड़ना सीखने का आह्वान किया। उन्होंने रिफाइनरी लीलाला में ही लगाने की मांग की ताकि बाड़मेर के युवाओं को रोजगार मिलें। चेतावनी दी कि लीलाला में रिफाइनरी के उदघाटन से पहले बाड़मेर में कोर्इ उदघाटन नहीं करने दिया जाएगा। बैनिवाल ने रोजगारपरक शिक्षा की बात भी कही। तलाक की बढ़ती बीमारी, मोबार्इल संस्—ति से आज के समाज के लिए घातक बताया।

बैनिवाल ने केन्æ व राज्य सरकार में जाटों की घटती संख्या पर चिंता जतार्इ। उन्होंने बाल विवाह, नशा मृत्यु भोज, दहेज प्रथा को अफसोस जनक बताया। महाराजा सूरजमल फाउण्डेशन के जिलाध्यक्ष ड‚. पूनमाराम बैनिवाल ने समाज के महापुरूषों के बताये मार्ग पर चलने का आह्वान किया। ड‚. ने बलदेवराम मिर्धा, रामदान चौधरी, कुम्भाराम आर्य की किसान सेवा को याद किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक असितत्व खत्म के कगार पर हैं, उसे वापस हासिल करना पडेÞगा।

राजस्थान जाट महासभा के गुड़ामालानी ब्ल‚क अध्यक्ष अचलाराम बटेर ने युवाओं की बिगड़ती हालात पर गहरी चिंता व्यä की। उन्होंने मैरिट धारी विधार्थियों को परीक्षा देकर प्रोत्साहित करने की बात की। किसान छात्रावास धोरीमन्ना के कोषाध्यक्ष नवलाराम ने कहा कि जाट महापुरूष के साहस, शä,ि हिम्मत, दान की परम्परा को वापस जागृत करना होगा। खंगाराराम सियाग ने कहा कि जाट संस्—ति स्वावलम्बन से परिपूर्ण हैं। उस परम्परा को वापस जीवित करनी होगी। उन्होंने वर्तमान की शिक्षा व्यवस्था पर अफसोस जताया। जोगाराम सारण ने जाट इतिहास का जिक्र करते हुए स्वाभिमानी कौम के लोगों को स्वाभिमान से जीने की बात कही। प्रो. पीआर चौधरी ने जाट इतिहास पर प्रकाश डाला। जाटों की उत्पति शिव की जटाओं से होना बताया। उन्होंने कहा कि जाट दिमाग, ताकत, वीरता में किसी से कम नहीं, उन्हें चेतन करने की आवश्यकता हैं। जो रौमे इतिहास को भूल गर्इ हैं वो मिट गर्इ है। इसलिए जाटों के गौरवशाली इतिहास को जिंदा रखना आवश्यक हैं। जेताराम कुकणा ने जाट आरक्षण आंदोलन पर प्रकाश डाला। भूराराम गोदारा व भगवानाराम सारण ने खेती की पूरी कमार्इ किसान को नहीं मिलने की पीड़ा जाहिर की। ड‚. अचलाराम खीचड़ ने समाप्त हो रहे संस्कारों पर चिंता व्यä की। चुतराराम हुìा ने निरूस्वार्थ भाव से काम करने का आह्वान किया। मिश्राराम हूìा ने नशा प्रवृत्ति पर लगाम कसने की बात की। नगाराम सियाग ने किसानों को सबिसडी नहीं मिलने की पीड़ा बतार्इ। रामदेव फगोडि़या ने 21वीं सदी का भारत बनाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर भूराराम ढाका, भभूताराम भांभू, पंचायत समिति सदस्य रूपाराम सारण, उड़ासर सरपंच हनुमानराम गोदारा, मूलाराम गोदारा, सोनाराम नेहरा, टीकमाराम पोटलिया, अचलाराम जांणी, सोनाराम के जाट, देवीसिंह आसू, अमराराम बैनिवाल, चेनाराम बैनिवाल, जोगनाथ महाराज सहित कर्इ समाज के प्रबुुद्धजन उपसिथत थें। कार्यक्रम का संचालन पुरखाराम चौधरी ने किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें