रविवार, 15 सितंबर 2013

चैत्य परिपाटी पैदल यात्रा संघ में उमड़ा श्रद्धा एवं श्रद्धालुओं का सैलाब



आस्थावान व्यकित संसार में भटक नहंी सकता है-साध्वी प्रियरंजना

चैत्य परिपाटी पैदल यात्रा संघ में उमड़ा श्रद्धा एवं श्रद्धालुओं का सैलाब

बाड़मेर

स्थानीय कानितसागर सूरी आराधना भवन से पूज्य साध्वीवर्या श्री प्रिय रजंना श्री म.सा. की पावन प्रेरण से एवं साध्वी प्रियदिव्याजना एवं साध्वी प्रियाषुुभाजना श्री म.सा. के पावन निश्रा में चैत्य परिपाटी पैदल यात्रा संघ का दूसरे दिन आयोजन संपन्न हुआ।

खरतरगछ जैन श्री संघ के अध्यक्ष मांगीलाल मालू एवं उपाध्यक्ष भूरचंद संखलेचा ने बताया कि आज प्रात: 6 बजे पूज्य साधवीवर्या के मुखारवीन्द से मंगलाचरण से चैत्य परिपाटी पैदल यात्रा संघ सैकड़ों श्रदालुओं के साथ रवाना हुआ चैत्य परिपाटी पैदल यात्रा संघ आराधना भवन से प्रतापजी की प्रोल से जवाहर चौक, सब्जी मण्डी, होता हुआ, शांति नाथ जिनालय के यात्रासंघ के लाभार्थी लूणकरण धनराज संखलेषा परिवार सहित सैकड़ों की संख्या में दर्षन वंदन कर आगे दादावाड़ी यात्रा संघ के लाभार्थी मांगीलाल सुरतानमल भंसाली परिवार के साथ दर्षन वंदन कर आदीनाथ जिनालय के यात्रा संघ के लाभार्थी मांगीलाल राणामल धारीवाल परिवाके साथ दर्षन वंदन कर, बोथरा जिनालय के यात्रा संघ के लाभार्थी मुकेष कुमार जेठमल जैन परिवार के साथ दर्षन वंदन कर, गौडीसा पाष्र्वनाथ जीनालय के यात्रा संघ के लाभार्थी पारसमल धारीवाल चवा वाले परिवार के साथ दर्षन वंदन कर, वहां पैदल यात्रा संघ धर्म सभा में परिवर्तित हुआ।

खरतरगछ संघ के महामंत्री नेमीचंद बोथरा ने बताया कि चेत्य परिपाटी पैदल यात्रा संघ में शहर का सुप्रसिद्ध बैण्ड अपनी मधुर स्वर लेहरिया बिखेरता हुआ वातावरण को धर्ममय बनाता हुआ चल रहा था,बाद में जैन ध्वज लिये युवक एवं यात्रा संघ के लाभार्थीयों के साथ पुरूष वर्ग जयकारों के साथ चल रहे थे, पिछे साध्वी वर्या के साथ मंगल गीत गाती महिलाएं झूमती-नाचती बालिका मण्डल की बालिकाएं चल रही थी।

पैदल यात्रा संघ का जगह-जगह चावल की गहुलियों से स्वागत एंव बधाया गया, गौडीसा पाष्र्वनाथ जिनालय पहुंचने पर गौडीसा ट्रस्ट मण्डल द्वारा स्वागत सामैया एंव अक्षत द्वारा बधाकर किया गया।

विषाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए सांध्वीवर्या श्री प्रियरजना श्री ने कहा कि आस्थावान व्यकित संसार में भटक नहंी सकता है जिस घोड़े की लगाम मालिक के हाथ में होती है वह घोड़ा भटक नहीं सकता एक सुर्इ जो कहीं तुम्हारें हाथ तुम्हारें घर में गिर जाये तो उसे खोजना बहुत मुषिकल हो जाता है यदि सुर्इ में डोरा डाला हुआ रहें तो वह घर में कही भी गिर जाये तो उसे खोजना बहुत आसान है। भीड़ में गिरने के बाद भी सुर्इ भटक नहंी सकती है क्योंकि उसमें एक डोरा डाला हुूआ है। तुम भी अपने गले में परमात्मा के आस्था का एक डोरा डाल दो संसार की भीड़ में चारों गतियों में कही भी चले जाओं भटक नहीं सकते हो। कुछ व्यकित पत्थर का हदय लेकर आते है जैसे पत्थर हजारों वर्ष पानी में पड़ा रहे जिस पत्थर पर पानी हो उस पत्थर को पानी से निकालकर तोड़ा जाये तो आप देखेगें कि सदीयों से पानी में पड़ा हुआ पत्थर अंदर से सुखा पड़ा है कुछ लोगे गिले कपड़े के समान होते है कपड़ें को यदि पानी में डाला जाये तो वो बाहर से एवं अंदर से गिला हो जाता है परन्तु धूप लगते ही कपड़ा सुख जाता है वैसे ही व्यकित कषायों के ताप से सुख जाता है।

साध्वी प्रियदिव्याजना ने कहा कि कुछ व्यकित दूध में पानी के समान होते है वो पानी को भी अपने समान बना लेते है पानी को दूध से अलग करना मुषिकल होता है वैसे ही भक्त भगवान के चरणों में अपने आप को समर्पित कर देता है जब भक्त और भगवान के बीच में कोर्इ तीसरा नहीं आता है तब भकित में मीठास आ जाती है जीवन मीठा हो जाता है।

साध्वी प्रियषुभाजना जी ने कहा कि मंदिर मदिंर ही नहीं विधालय भी है जहां पर जाकर हमें दु:ख में सुख खोजने की षिक्षा मीलती है मंदिर वह स्थान है जहां देह की नहीं आत्मा की भी सुधी होती है। मंदिर से षिक्षा मिलती है जीवन की प्रीति प्रेम के उपवन खिलते है मंदिर तो वह न्यायालय है जहां जाकर हम अपने पूण्य पाप का लेखा जोखा देख सकते है मंदिर से नैतिकता के संस्कार मिलते है। मंदिर लोगों के धार्मिक ही नहीं नैतिक भी बनाते है मंदिर का हमारे जीवन में बहुआयामी महत्व है।

धर्म सभा में चैत्य परिपाटी पैदल यात्रा संघों के लाभार्थी परिवारों का खरतरगछ जैन श्री संघ एवं गौडीसा ट्रस्ट मण्डल द्वारा स्वागत किया गया, बाद में पैदल यात्रा संघ ने श्रद्धालुओं के अल्पाहार की व्यवस्था विरधीचंद छाजेड़ हालों वाला परिवार की ओर से की गर्र्इ, यात्रा संघ के लाभार्थीयों परिवारों द्वारा संघप्रभावना वितरित की गर्इ।

इस अवसर पर मांगीलाल मालू, भूरचंद सखलेषा, नेमीचंद बोथरा, गौतम चंद डंूगरवाल, बाबूलाल छाजेड़, जगदीष बोथरा, पारसमल मेहता, ओमप्रकाष भंसाली, कैलाष कोटडि़या,विरधीचंद हालों वाला, अभय कुमार जैन, पारसमल छाजेड़, मोहनलाल मालू, सोहनलाल सखलेषा, श्ांकरलाल छाजेड, बंषीधर छाजेड़, मांगीलाल छाजेड़, मोहनलाल संखलेषा, पुखराज लूणीया, खेतमल तातेड़, रमेष मालू, नरेष लूणीया, सुनिल छाजेड़, राजेन्द्र वडेरा, केवलचंद छाजेड़, चन्द्र प्रकाष छाजेड़, सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपसिथत थे।

16 सितम्बर सोमवार को चैत्य परिपाटी आराधना भवन से प्रात: 6 बजे से ढाणी जैन मंदिर, सिमन्धर स्वामी जिनालय, जूना कैराडू मार्ग सिथत महावीर जिनालय, विधापीठ जिनालय, आदि के दर्षन वंदन कर वापस आराधना भवन आयेगें।

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