रविवार, 15 सितंबर 2013

चुनावी रणभेरी २०१३। ।विधान सभा क्षेत्र जैसलमेर कांग्रेस चार बार तो भाजपा तीन बार चुनाव जीती अब तक निर्दलियो का भी रहा दबदबा

चुनावी रणभेरी २०१३। ।विधान सभा क्षेत्र जैसलमेर


जैसलमेर की जनता का मूड भाम्पना दुष्कर राजनितिक दलों के लिए

कांग्रेस चार बार तो भाजपा तीन बार चुनाव जीती अब तक निर्दलियो का भी रहा दबदबा 



दुनिया के सबसे बड़े विधानसभा चुनाव क्षेत्र के रूप में जैसलमेर की छठा निराली है।
चुनाव खर्च पर चुनाव आयोग की बंदिशों के कारण राजनीतिक दल असहाय हैं, जबकि हकीकत यह है कि क्षेत्रफल के लिहाज से कई राज्यों को मात देने वाले इस रेगिस्तानी चुनाव क्षेत्र के गाँव-ढाणियों में फैले मतदाताओं तक पहुँचना खासा महँगा सौदा है।
CandidatePartyYear
 हड्वंत सिंह 
  निर्दलिय 
  
1951
हुकम सिंह निर्दलीय 1957
हुकम सिंह निर्दलीय 1962
भोपाल सिंह स्व 1967
भोपाल सिंह कांग्रेस 1972
किशन सिंह  भाटी जनता पार्टी 1977
चंद्रवीर सिंह भाजपा 1980
मुलतान राम निर्दलीय 1985
जीतेन्द्र सिंह जनता दल 1990
गुलाब सिंह कांग्रेस 1993
गोर्धन दास कांग्रेस 1998
सांग सिंह भाजपा 2003
छोटू सिंह भाटी भाजपा 2008
गोवा, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, दिल्ली, अंडमान-निकोबार, दादर, नगर हवेली और लक्षद्वीप वगैरह से भी बड़ा है यह विधानसभा चुनाव क्षेत्र।

इसका क्षेत्रफल 28 हजार 875 वर्ग किलोमीटर है, जिसका करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर भाग भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा है।

विशाल रेगिस्तान में फैले इस विधानसभा क्षेत्र में सभी गाँव और ढाणियों तक पहुँचना उम्मीदवारों के लिए असंभव तो है ही कार्यकर्ताओं के लिए भी संभव नहीं है।


प्रथम विधानसभा चुनाव 1952 पचीस फरवरी को हुए। विधानसभा चुनावो में जैसलमेर में चौपन हज़ार दो सौ छियालीस मतदाता थे जिनमे से पंद्रह हज़ार पचीस ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपना योगदान विधायक चुनने में किया। प्रथम चुनाव में पांच उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आज़माया जिसमे निर्दलीय हडवंत सिंह ,कन्हया लाल ,जीवन लाल कांग्रेस के अब्दुल जलील और हतिरम शामिल थे। चुनावो में हडावंत सिंह को बारह हज़ार छ सौ इकहतर ,कन्हैया लाल को आठ सौ तिरेसठ ,जीवनलाल को छ सौ सतानवे ,कांग्रेस के अब्दुल जलील को पांच सौ सततर और हतिरम को दो सौ सत्रह मत मिले हडवंत सिंह ने पहला चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। वे जैसलमेर के पहले विधायक बने


चुनाव १९५७। ।पचीस फरवरी १९५७ को द्वितिय विधानसभा चुनावो में जैसलमेर के साथ हज़ार तीन सौ असि मतदाताओ में से बीस हज़ार सात सौ तीयासी मतदाताओ ने अपने मतों का उपयोग कर मत डाले। इन चुनावो में सीढ़ी टक्कर हुकम सिंह निर्दलीय और कांग्रेस के सत्यदेव के मध्य थी ,हुकम सिंह को सत्रह हज़ार छ सौ अड़सठ मत और सत्यदेव को तीन हज़ार एक सौ पंद्रह मत मिले। हुकम सिंह करीब चौदह हज़ार मतों से विजयी हुए।


तृतीय चुनाव १९६२। दो सितम्बर १९५७ को तीसरे विधानसभा चुनावो में जैसलमेर के सततर हज़ार चार सौ चौरासी मतदाताओ में से उनतीस हज़ार छ सौ पेंसठ मतदाताओं ने अपने मत का अधिकार किया ,इन चुनावो में कुल पांच उम्मीदवार मैदान में थे ,जिनमे कांग्रेस से हुकम सिंह ,राम राज्य परिषद् के अनोप सिंह ,निर्दलीय अल्लाह एस अलारखा ,आत्माराम और रतन लाल। इनमे से हुकम सिंह को सुलह हज़ार एक सौ सतावन ,अनोप सिंह को आठ हज़ार छ सौ छियालीस ,अल्लारखा को बारह सौ बासठ,आत्माराम को ग्यारह सौ छियालीस और रतन लाल को छ सौ बयासी मत मिले हुकम सिंह करीब सात हज़ार से अधिक मतों से विजयी होकर दूसरी बार विधायक बनाने में सफल रहे। इन चुनावो में करीब सत्रह सौ मत ख़ारिज हुए। 


चौथा चुनाव १९६७। ।जैसल्मेर में चौथा चुनाव इक्कीस फरवरी को हुआ जिसमे जिले के उनसितर हज़ार आठ सौ सत्रह मतदाताओ में से तेबीस हज़ार आठ सौ निन्यानवे ने अपने मताधिकार कर का प्रयोग किया। इन चुनावो में स्वतंत्र पार्टी के बी सिंह ,कांग्रेस के एच सिंह ,पी एस पी के कन्हैया लाल निर्दलीय भगवन दास और अल्लाक एस अल्लाहरख मैदान में थे ,इन चुनावो में बी सिंह को ग्यारह हज़ार आठ सौ सतानवे ,एच सिंह को नौ हज़ार एक सौ अथ्यासी ,कन्हैयालाल को सात सौ छासथ ,भगवन दास को पांच सौ तिरानवे ,अल्लाहरख को चार सौ तिरेपन मत मिले। स्वतंत्र पार्टी के भोपाल सिंह विधायक बने ,करीब ढाई हज़ार मतों से विजयी हुए। 


पांचवा चुनाव १९७२। . छ मार्च उनीस सौ बहतर को पांचवे विधानसभा चुनावो में जैसलमेर विधानसभा के अस्सी हज़ार चार सौ सेंतीस मतदाताओ में से पेंतीस हज़ार एक सौ बरंवे मतदाताओं ने वोट डाले जिसमे चौदह सौ चौदह ख़ारिज हुए ,इन चुनावो में कांग्रेस के भोपाल सिंह ,स्वतंत्र पार्टी के बाल सिंह सोढा और निर्दलीय श्री किशन मैदान में थे ,जिनमे भोपाल सिंह को अठारह हज़ार पांच सौ बहतर मत ,बाल सिंह को चौदह हज़ार छ सौ तेंतीस और श्री किशन को पांच सौ तिहातर मत मिले ,भोपाल सिंह करीब पांच हज़ार मतों से चुनाव जीते।

छठा चुनाव 1977 ।जैसल्मेर विधानसभा का छठा चुनाव तेरह जून को हुआ ,छपन बूथ बनाये गए ,जिसमे जिले के उन नब्बे हज़ार नौ सौ उनपचास मतदाताओं में से अड़तीस हज़ार छ सौ उन्सितर मतदाताओ ने मतों का प्रयोग किया जिसमे तेरह सौ अठाईस मत खारिज हो गए ,इन चुनावो में जनता पार्टी के किशन सिंह बहती ,कांग्रेस के सोहन सिंह रावलोत ,निर्दलीय मोहन लाल पुरोहित और डूंगरा राम मैदान में रहे ,चुनावो में किशन सिंह को तेबिस हज़ार एक सौ पिच्यासी ,सोहन सिंह को बारह हज़ार तीन सौ बाईस ,मोहनलाल पुरोहित को एक हज़ार तेबिस और डूंगर राम को आठ सौ ग्यारह मत मिले। इन चुनावो में जनता पार्टी नके किशन सिंह दस हज़ार से अधिक मतों से विजयी रहे 


सातवाँ चुनाव 1980 . सातवाँ विधान सभा चुनाव राजस्थान में इकतीस मई को हुआ ,जैसलमेर विधानसभा के एक लाख सात हज़ार पांच सौ बयासी मतदाताओं में से छपन हज़ार नौ सौ तीन मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमे बारह सौ छबीस मत खारिज हो गए ,इस बार चुनावो में इक्रनावे बूथों पर चुनाव हुए ,चुनावो में चंद्रवीर सिंह भाजपा से ,सोहन सिंह रावलोत कांग्रेस से ,बाल सिंह सोढा ,आर सी पुरोहित ,और मोहन लाल पुरोहित निर्दलीय मैदान में थे ,चुनावो में चंद्रवीर सिंह को सत्ताईस हज़ार सात सौ तीन मत ,सोहन सिंह रावलोत को सत्रह हज़ार चार सौ छिनु बाल सिंह को तीन हज़ार तीन सौ उनसतर ,आर सी पुरोहित को सात सौ उन नबे और महँ लाल को चार सौ बीस मत मिले। इन चुनावो में राज घराने के चंद्रवीर सिंह दस हज़ार से अधिक मतों से विजयी हो विधानसभा पहुंचे ,साथ ही भाजपा ने पहली बार अपना खाता खोला।

आठवां चुनाव 1985 राज्य की आठवीं विधान सभा के चुनाव पांच मार्च को हुए ,जैसलमेर की राजनीती में बड़ी उठा पटक इस साल हुई। कांग्रेस ने गाजी फ़क़ीर परिवार की अनदेखी कर पार्टी का टिकेट भोपाल सिंह को दिया जिससे गाजी नाराज हो गए उन्होंने मेघवाल समाज से गत ब्बंधन कर बारुपाल को निर्दलीय प्रत्यासी मैदान में उतार कर कांग्रेस के सारे समीकरण बिगाड़ दिए ,इन चुनावों में जैसलमेर के एक लाख उनतीस हज़ार नौ सौ ग्यारह मतदाताओं में से अड़सठ हजारे सात सौ आठ मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया जिसमे पंद्रह सौ साथ मत ख़ारिज हो गए ,लगभग दौ सौ पोलिंग बूथों पर हुए चुनावो में गाजी फ़क़ीर पार्टी के मुलातना राम को छबीस हज़ार तीन सौ बयालीस ,कांग्रेस के भोपाल सिंह को बीस हज़ार दौ सौ चालीस ,भाजपा के जुगत सिंह को अठारह हज़ार चार सौ तीस ,राजेंद्र वासु को अठारह सौ छेहातर और मोहनलाल को दौ सौ छासथ मत मिले ,मुस्लिम मेघवाल गठजोड़ के निर्दलीय मुलतान राम ने आठ हज़ार से अधिक मतों से विजय हासिल की ,विधान सभा पहुंचे 


नवां चुनाव 1990 …नवॆन विधान सभा के लिए सत्ताईस फरवरी को चुनाव हुए राजस्थान में ,जैसलमेर विधानसभा चुनावो में एक लाख सतावन हज़ार चार सौ पंद्रह मत दाताओं में से बरनावे हज़ार तीन सौ साथ ने मताधिकार का उपयोग किया ,जिसमे सत्रह सौ सतावन मत ख़ारिज भी हुए ,इन चुनावो में दौ सौ बूथों पर चुनाव संपन हुए ,इन चुनावो में जनता दल से राजघराने के जीतेन्द्र सिंह ,कांग्रेस से गोर्धन कल्ला , निर्दलीय जुगत सिंह ,निर्दलीय राज्जेंद्र ,डूंगरा राम ,मोहम्मद जुबेर ,लूना राम और किरण डी डी पी से मैदान में ,उतारे जिनमे जीतेन्द्र सिंह को चौंतीस हज़ार तीन सौ बयालीस मत ,गोर्धन कल्ला को बतीस हज़ार दौ सौ उन्यासी ,जुगत सिंह को उनीस हज़ार चार सौ इक्यासी ,राजेंद्र को दौ हज़ार छ सौ इक्कीस ,डूंगरा राम को ग्यारह सौ बरंवे ,मो। जुबेर को दौ सौ सतर ,लूना राम को दौ सौ पंद्रह ,किरण को दौ सौ तीन मत मिले। भाजपा ने जनता दल प्रत्यासी जीतेन्द्र सिंह को अपना समर्थन दिया था ,जीतेन्द्र सिंह करीब दौ हज़ार मतों से विजयी रहे ,. नवीन विधान सभा में पहुंचे

दसवीं विधानसभा चुनाव 1993 ।मध्यवधि चुनावो के कारन दसवी विधानसभा के चुनाव ग्यारह नवम्बर को आयोजित हुए ,इन चुनावो में जैसलमेर के एक लाख अठातर हज़ार नौ सौ पेंसठ मतदाताओं में से एक लाख सताईस हज़ार एक सौ इक्कीस मतदाताओं से वोट डाले ,जिसमे छबीस सौ इक्यासी मत ख़ारिज हो गए जिसका बड़ा कारन की इस बार मैदान में सर्वाधिक उनीस उम्मीदवार थे। भाजपा से गुलाब सिंह भाटी को तीहातर हज़ार दौ सौ पेंसठ ,निर्दलीय फ़तेह मोहम्मद को त्यालिस हज़ार दौ सौ छबीस ,कांग्रेस के राज परिवार के जीतेन्द्र सिंह को दौ हज़ार पांच सौ इक्कीस ,,नवलराम भील को सुलह सौ चौरासी ,कस्तुरा राम को छ सौ चार ,और अन्य उम्मीदवारों घनश्याम ,महबूब ,सुखदेव ,अशोक मोहता ,हरचंद ,भोमा राम ,सुकरं मेघवाल ,फिदाराम ,राजेंद्र ,पुखराज कुमार ,पुखराज सुराना ,पुखराज दाग ,कमल किशोर ,गिरिराज को पांच सौ से कम मत मिले। इन चुनावो में गाजी फ़क़ीर के छोटे भाई फ़तेह मोहम्मद को निर्दलीय उतारा गया ,इन चुनावो में गुलाब सिंह ने फ़तेह मोहम्मद को तीस हज़ार मतों से पटकनी दी ,गाजी फ़क़ीर की राजनितिक सियासत को लोगो ने काबुल नहीं किया ,

ग्यारहवां चुनाव 1998 … ग्यारवीं विधानसभा के लिए पचीस नवम्बर को चुनाव राजस्थान में संपन हुए ,जैसलमेर में एक लाख अस्सी हज़ार आठ सौ पचास मतदाताओं में से एक लाख छबीस हज़ार चार सौ मतदाताओं से वोट दिए ,जिनमे छबीस सौ चौरानवे खारिज हो गए ,करीब तीन सौ बूथों पर चुनाव हुए ,इन चुनावो में कांग्रेस के गोरधन दास को उन्सात्ढ़ हज़ार तीन सौ तेंतीस मत ,भाजपा के जीतेन्द्र सिंह को अठारह हज़ार चालीस ,निर्दलीय सांग सिंह को तियालीस हज़ार छ सौ इकतालीस ,सी पी आई के चन्द्र सिंह को तीन हज़ार चार सौ अड़तीस ,और निर्दलीय सुकरं म्रेघवल को एक सौ पेंसठ वोट मिले ,कांग्रेस के गोर्धन कल्ला यहाँ से विजयी रहे ,विधानसभा में पहुंचे 


बाहरवीं विधानसभा चुनाव 2003 

राजस्थान में बाहरवीं विधानसभा गठन के लिए एक दिसंबर को चुनाव कराये गए ,जैसलमेर में मतदाताओ की संख्या बढ़ कर दौ लाख अठारह हज़ार तीन सौ तीन तक हो गयी जिसमे से एक लाख बासठ हज़ार अठारह लोगो ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया ,इन चुनावों में भाजपा के सांग सिंह को इक्यासी हज़ार नौ सौ इक्रनावे मत ,कांग्रेस के जनक सिंह भाटी को इक्यावन हज़ार चार सौ आठ मत ,डॉ रामजी राम को सत्रह हज़ार सात सौ पचास मत ,अमर राम को तीन हज़ार पांच सौ छियालीस ,आलामराम को पचीस सौ दस ,मगन लाल को बाईस सौ उन्साथ ,देवेन्द्र को सत्रह सौ उनचालीस और मूल सिंह को एक हज़ार छिहातर मत मिलर ,इन चुनावों में वसुंधरा राजे की परिवर्तन यात्रा की लहर का साफ़ असर दिखा और भाजपा के सांग सिंह तीस हज़ार मतों से विजयी हुए ,


तेहरवीं विधानसभा 2008

तेहरवीं विधानसभा के लिए जैसलमेर में चुनाव आयोजित हुए जिसमे भाजपा ने छोटू सिंह भाटी ,कांग्रेस ने सुनीता भाटी को उम्मीदवार बनाया ,दोनों डालो में उजागर हुई ,कांग्रेस के गोर्धन कल्ला ने निर्दलीय परचा भर कांग्रेस के खिलाफ हुनकर भर दी वही भाजप[अ के वरिष्ठ नेता किशन सिंह भाटी भी निर्दलीय मैदान में उतर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया ,मतदाता असमंज में थे ,चुनावो में अमृत लाल को दौ हज़ार पचास। भाजपा के छोटू सिंह को चौतीस हज़ार बहतर ,बलबीर बसपा को सात हज़ार दौ सौ इकतीस ,कांग्रेस की सुनीता भाटी को अठाईस हज़ार दौ सौ सतानवे ,रूपदान को बाईस सौ सतीस ,सरदार सिंह को सात सौ छियालीस किशन सिंह बहती को ग्यारह हज़ार छ सौ बारह ,गोर्धन कल्ला को बाईस हज़ार चार सौ छियानवे ,रान सिंह को सुलह सौ छ ,और रेशमाराम भील को आठ हज़ार दौ सौ ,इन चुनावों में कांगरी गुटबाजी का शिकार थी कांग्रेस के चार नेता मैदान में थे ,जीने वोटो का योग किया जाये तो भाजपा कही नहीं ठहरती मगर कांग्रेस के मतों के विभाजन के कारन भाजपा प्रत्यासी छोटू सिंह कड़े मुकाबले में दौ हज़ार से अधिक मतों से विजयी हुए। 

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