शनिवार, 14 सितंबर 2013

वोट की चोट से राजस्थानी की महत्वता समझ जायेंगे नेता। रावत त्रिभुवन सिंह

हिंदी की बिंदी हें राजस्थानी भाषा

वोट की चोट से राजस्थानी की महत्वता समझ जायेंगे नेता। रावत त्रिभुवन सिंह

बाड़मेर हिंदी के विकास में राजस्थानी भाषा का योगदान विषय पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन हिंदी की बिंदी हें राजस्थानी भाषा बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति और जयनारायण व्यास महिला शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ।
हिंदी दिवस पर हिंदी के विकास में राजस्थानी भाषा का योगदान विषय पर गोष्ठी का आयोजन पूर्व पार्षद किशन सिंह राठोड मुख्य आतिथ्य ,रावत त्रिभुवन सिंह राठोड की अध्यक्षता और रणवीर सिंह भादू , रमेश गौड़ ,इन्दर प्रकाश पुरोहित , डॉ कमलेश मुथा और शिक्षाविद महेश दादानी के विशिष्ठ आतिथ्य में महाविद्यालय प्रांगन में किया गया ,मुख्य वक्ता रावत त्रिभुवन सिंह राठोड ने कहा की ने कहा की विश्व की सबसे समृद्ध भाषा हिंदी हें ,हिंदी के विकास में राजस्थानी का विशेष योगदान हें ,प्राचीन ग्रंथो में राजस्थानी भाषा का प्रमाणिक उलेख मिलाता हें ,उन्होंने कहा की हिंदी साहित्य में से राजस्थानी साहित्य मीरा बाई ,चंदर बरदाई आदी को निकाल दे तो क्या रह जाता हें ,उन्होंने कहा की हिंदी हमारी राज भाषा हें तो राजस्थानी हमारी मायड़ भाषा हें जिसे उचित सामान संवेधानिक मान्यता देकर दिलाया जाएगा ,उन्होंने कहा की जिस प्रकार स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भारतीय संस्कृति का बखान हिंदी में किया था उसी में राजस्थानी संस्कृति का समावेश था ,उन्होंने कहा की आज जरुरत हें आम आदमी को रहत देने की ,कोर्ट कचहरियो में अंग्रेजी में फैसले दिए जाते हें जो आम आदमी को समझ में नहीं आती ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा की विशालता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता हें की हिंदी में ४३ बोलिया हें वही राजस्थानी में ७३ बोलियाँ हें ,आज राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक कालबेलिया नृत्य यूनेस्को की धरोहर सूचि में शामिल हो गया वही हमारा लोक प्रिय घुमर नृत्य विश्व में लोक प्रियता में चौथे स्थान पर आया,यह हमारी भाषा ही हे जिसे अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश ने विश्व की सबसे समृद्ध तेरह भाषाओ में शामिल कर मान्यता दी। इस अवसर पर रणवीर सिंह भादू ने कहा की हिंदी को राष्ट्र भाषा का संवेधानिक दर्जा हासिल नहीं हें हिंदी विश्व स्तर की भाषा बन चुकी हें ऐसे में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में अब अपना लेना चाहिए उन्होंने कहा की हिंदी के ख्यातनाम कवी नामवर सिंह ने कहाथा की हिंदी की जननी राजस्थानी भाषा हें ऐसे में माँ का दुत्कार और बेटी का सम्मान भारतीय परंपरा को नहीं दर्शाता ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा को मान्यता देकर ही हिंदी का मान बढ़ाया जा सकता हें .इस अवसर पर किशन सिंह राठोड ने कहा की हिंदी के मान सामान के साथ राजस्थानी भाषा के भारतीय साहित्य में योगदान को भुलाया नहीं जा सकता ,उन्होंने कहा की हमें मिल कर राजस्थानी भाषा को बढ़ावा देना होगा ,उन्होंने कहा की सबके विचार जानने के बाद जो तथ्य सामने आया वो यह की राजनेताओ ने राजस्थानी भाषा का शोषण अपने स्वार्थो के कारन किया ,रमेश गौड़ ने कहा की हिंदी की माँ राजस्थानी हें ,माँ घर पर हो और बेटी का सम्मान हो यह किसी भी पुत्र पुत्री को गवारा नहीं ,हिंदी के मान सम्मान में राजस्थानी को मान्यता देने से बढ़ोतरी होगी ,हम राज भाषा हिंदी का सम्मान करते हें हिंदी हमारा राष्ट्रीय गिरव हें तो राजस्थानी हमारी मायद भाषा हें ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ने कहा की राजस्थानी का इतिहास और भारतीय संस्कृति और साहित्य में अहम् योगदान हें जिसे भुलाया नहीं जा सकता ,उन्होंने कहा की हिंदी के माथे की बिंदी राजस्थानी हें इस अवसर पर चन्दन सिंह भाटी ने कहा की हिंदी हमारी राष्ट्रिय भाषा हें जिसका सामान हम करते हें मगर राजस्थानी की अनदेखी को अब बर्दास्त नहीं किया जाएगा ,राजस्थानी भाषा को मायद भाषा के रूप में संवेधानिक दर्जा देना ही होगा। उन्होंने कहा की अब राजस्थानी भाषा का अधिकार हमें लेना नहीं छीनना होगा यह हमारे घरो से शुरू होगा ,नेता एक ही भाषा समझते हें वो हें वोट की भाषा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा की इस बार नेताओ पर वोट की चोट करेंगे ,राजस्थान पर वाही राज करेगा जो राजस्थानी की बात करेगा महेश दादानी ने कहा की विदेशो में हिंदी सप्ताह पन्द्र दिन का मनाया जा रहा हें जिसमे सात दिन के आयोजन हिंदी और सात दिन राजस्थानी भाषा में आयोजन किये जा रहे हें मगर अपनी ही धरा पर राजस्थानी बेगानी हें ,उन्होंने कहा की प्राथमिक विद्यालयों में राजस्थानी भाषा अनिवार्य करने की आवश्यकता हें में मनाये जाने वाले हिंदी सप्ताह के समस्त आयोजन राजस्थानी भाषा के विषयो पर ही आधारित हें ,भोम सिंह बलाई ने कहा की युवाओं का भविष्य तभी सुरक्षित रह सकता हें जब राजस्थानी को मान्यता मिले। इसके लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हें। इस अवसर पर डॉ कमलेश मूथा ने कहा की राजस्थानी और हिंदी भाषा का मिलन अनोखा हें ,इस अवसर पर महाविद्यालय अनिल सुखानी ,डॉ हितेश आचार्य ,जीतेन्द्र छंगानी ,राजेंद्र सिंह ,रमेश सिंह इन्दा ,सवाई चावड़ा ,जीतेन्द्र फुलवरिया ,स्वरुप सोनी मोढा ,प्रेम सेन ,सेवा राम खत्री सहित कई अतिथि उपस्थित थे। कार्यक्रम का सञ्चालन मांगी दान चारण झानाकाली ने किया।

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