पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने सोमवार को एक चौंकाने वाला खुलासा किया है।
उन्होंने दावा किया है कि जम्मू और कश्मीर में स्थायित्व के लिए कुछ मंत्रियों को सेना पैसा देती है और यह सिलसिला आजादी के बाद से बदस्तूर चल रहा है।
सिंह पर अपने सैन्य प्रमुख के कार्यकाल के दौरान रियासत की सरकार को गिराने के प्रयास का आरोप लगा है।
एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद विवादों के घेरे में आए पूर्व जनरल ने टीवी चैनल से कहा कि उन पर लगाए गए आरोप गलत और साजिशन हैं।
एक अंग्रेजी न्यूज चैनल से बात करते हुए पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि सेना जम्मू और कश्मीर के सभी मंत्रियों को धन देती है...क्योंकि राज्य में स्थायित्व कारणों के तहत कई काम करने होते हैं और मंत्रियों को कई चीजें करनी होती हैं तथा साथ ही कई गतिविधियों को अंजाम देना होता है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या सभी मंत्रियों को भुगतान किया जाता है तो उन्होंने अपने बयान में संशोधन करते हुए कहा कि हो सकता है सारे मंत्रियों को नहीं, लेकिन कुछ मंत्री और लोग हैं जिन्हें खास काम करवाने के लिए कुछ पैसा दिया जाता है। इसके तहत किसी खास क्षेत्र में स्थायित्व लाना शामिल है।
इसके वजह पूछे जाने पर उन्होंने तर्क दिया कि कश्मीर प्रीमियर लीग (केपीएल) के लिए किसने पैसा दिया। क्या जम्मू कश्मीर सरकार या उमर अब्दुल्ला ने दिया। सेना ने इसके लिए धन दिया।
अपनी जन्मतिथि को लेकर विवादों में रह चुके जनरल सिंह ने कहा कि कश्मीर बिल्कुल अलग मुद्दा है। कई काम किए जाते हैं, वहां कई सिविल और युवाओं के कार्य करने होते हैं। इनके लिए धन की जरूरत होती है। कुछ पैसा इन कार्यों के लिए दी जाती है। इसमें दिक्कत कहां है।
वह इन आरोपों का जवाब दे रहे थे कि उनके कार्यकाल में जम्मू कश्मीर के एक मंत्री गुलाम हसन मीर को उमर सरकार को अस्थिर करने के लिए टेक्निकल सपोर्ट डिवीजन (टीएसडी) द्वारा 1.19 करोड़ रुपए दिए गए।
उनसे जब पूछा क्या कि मीर जैसे मंत्री पैसा ले और इसे हड़प जाएं तो सिंह ने कहा कि मैं ऐसा नहीं सोचता। हमारे यहां जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक व्यवस्था है। एक उचित रसीद होती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि काम पूरा हो गया।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में यह आजादी के वक्त से चल रहा है।
उन्होंने दावा किया है कि जम्मू और कश्मीर में स्थायित्व के लिए कुछ मंत्रियों को सेना पैसा देती है और यह सिलसिला आजादी के बाद से बदस्तूर चल रहा है।
सिंह पर अपने सैन्य प्रमुख के कार्यकाल के दौरान रियासत की सरकार को गिराने के प्रयास का आरोप लगा है।
एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद विवादों के घेरे में आए पूर्व जनरल ने टीवी चैनल से कहा कि उन पर लगाए गए आरोप गलत और साजिशन हैं।
एक अंग्रेजी न्यूज चैनल से बात करते हुए पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि सेना जम्मू और कश्मीर के सभी मंत्रियों को धन देती है...क्योंकि राज्य में स्थायित्व कारणों के तहत कई काम करने होते हैं और मंत्रियों को कई चीजें करनी होती हैं तथा साथ ही कई गतिविधियों को अंजाम देना होता है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या सभी मंत्रियों को भुगतान किया जाता है तो उन्होंने अपने बयान में संशोधन करते हुए कहा कि हो सकता है सारे मंत्रियों को नहीं, लेकिन कुछ मंत्री और लोग हैं जिन्हें खास काम करवाने के लिए कुछ पैसा दिया जाता है। इसके तहत किसी खास क्षेत्र में स्थायित्व लाना शामिल है।
इसके वजह पूछे जाने पर उन्होंने तर्क दिया कि कश्मीर प्रीमियर लीग (केपीएल) के लिए किसने पैसा दिया। क्या जम्मू कश्मीर सरकार या उमर अब्दुल्ला ने दिया। सेना ने इसके लिए धन दिया।
अपनी जन्मतिथि को लेकर विवादों में रह चुके जनरल सिंह ने कहा कि कश्मीर बिल्कुल अलग मुद्दा है। कई काम किए जाते हैं, वहां कई सिविल और युवाओं के कार्य करने होते हैं। इनके लिए धन की जरूरत होती है। कुछ पैसा इन कार्यों के लिए दी जाती है। इसमें दिक्कत कहां है।
वह इन आरोपों का जवाब दे रहे थे कि उनके कार्यकाल में जम्मू कश्मीर के एक मंत्री गुलाम हसन मीर को उमर सरकार को अस्थिर करने के लिए टेक्निकल सपोर्ट डिवीजन (टीएसडी) द्वारा 1.19 करोड़ रुपए दिए गए।
उनसे जब पूछा क्या कि मीर जैसे मंत्री पैसा ले और इसे हड़प जाएं तो सिंह ने कहा कि मैं ऐसा नहीं सोचता। हमारे यहां जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक व्यवस्था है। एक उचित रसीद होती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि काम पूरा हो गया।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में यह आजादी के वक्त से चल रहा है।
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