धारूहेड़ा। इसे कुदरत का करिश्मा कहें या परिजनो का नसीब। एक सैनिक को मौत के 45 साल बाद अंतिम सलामी मिलने जा रही है। दरअसल, सैनिक का शव अब मिला है। बात 1968 की है। एनएच-8 स्थित धारूहेड़ा के मीरपुर गांव के जगमाल की लेह में विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी, लेकिन शव नहीं मिला था। अब एक दिन पहले सेना को शव बर्फ से मिला, जो पूरी तरह सुरक्षित है।
सात साल की उम्र में पिता को खो देने वाले 52 वर्षीय बेटे रामचंद्र ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें पिता को मुखाग्नि देने का सुख मिलेगा। जगमाल की अंत्येष्टि रविवार को सैन्य सम्मान से होगी।
...पर रह गया मलाल
रामचंद्र ने बताया, मां का 2008 में देहांत हो गया था। वे जिंदा होतीं तो सुख मिलता, पर अफसोस कि वह उन्हें आखिरी बार देख न सकीं। सेना ने पेंशन तो चालू कर दी थी, पर शव न मिलने का मलाल लिए ही वे दुनिया को अलविदा कह गईं।
"छुट्टी काटकर गया ही था"
मीरपुर के पूर्व सरपंच कंवर सिंह आज भी उस पल को नहीं भूलते, जब जगमाल की मौत की सूचना मिली थी। वह बताते हैं, जगमाल छुट्टी काटकर डयूटी के लिए गया था कि उसके विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर मिली।
पैगाम में लिपटी आई खुशी
सेना ने पड़ताल के बाद मीरपुर पैगाम भिजवाया, सैनिक जगमाल का पार्थिव शरीर लेकर रविवार को मीरपुर पहुंचेंगे। इसी सूचना के साथ परिजनों समेत पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों में अपनी तरह के इस दुर्लभ पल का साक्षी बनने की उत्सुकता है।
सात साल की उम्र में पिता को खो देने वाले 52 वर्षीय बेटे रामचंद्र ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें पिता को मुखाग्नि देने का सुख मिलेगा। जगमाल की अंत्येष्टि रविवार को सैन्य सम्मान से होगी।
...पर रह गया मलाल
रामचंद्र ने बताया, मां का 2008 में देहांत हो गया था। वे जिंदा होतीं तो सुख मिलता, पर अफसोस कि वह उन्हें आखिरी बार देख न सकीं। सेना ने पेंशन तो चालू कर दी थी, पर शव न मिलने का मलाल लिए ही वे दुनिया को अलविदा कह गईं।
"छुट्टी काटकर गया ही था"
मीरपुर के पूर्व सरपंच कंवर सिंह आज भी उस पल को नहीं भूलते, जब जगमाल की मौत की सूचना मिली थी। वह बताते हैं, जगमाल छुट्टी काटकर डयूटी के लिए गया था कि उसके विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर मिली।
पैगाम में लिपटी आई खुशी
सेना ने पड़ताल के बाद मीरपुर पैगाम भिजवाया, सैनिक जगमाल का पार्थिव शरीर लेकर रविवार को मीरपुर पहुंचेंगे। इसी सूचना के साथ परिजनों समेत पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों में अपनी तरह के इस दुर्लभ पल का साक्षी बनने की उत्सुकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें