समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीति में भूचाल ला दिया है. उनका कहना है कि 1992 में बाबरी विध्वंस की जानकारी तब के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा थी, लेकिन उन्होंने इसे रुकवाने का प्रयास नहीं किया. मुलायम ने यह भी कहा कि उन्होंने काफी कोशिश की कि ऐसा न हो, लेकिन 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद गिरा दी गई.
सपा चीफ ने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद वे एक किताब लिखने जा रहे थे. किताब शुरू भी कर दी थी, लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया. उन्होंने कहा, 'मुझे रोका गया. मुझसे कहा गया कि कई नेताओं का पर्दाफाश हो जाएगा.'
मुलायम सिंह यादव ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, '4 दिसंबर 1992 को हालात पर चर्चा करने के लिए एक बैठक हुई थी, जब बीजेपी और उसके समर्थकों ने अयोध्या में मस्जिद को गिराने का फैसला किया था. राष्ट्रपति से मिलने और उनसे हस्तक्षेप की मांग करने का फैसला किया गया. शंकर दयाल शर्मा उस समय राष्ट्रपति थे. हमने उन्हें एक पत्र दिया. हमने उनसे कहा कि मस्जिद को गिराया जाएगा. शंकर दयाल शर्मा ने पत्र पढ़ा और हमसे चर्चा की. उन्होंने इधर-उधर देखा और तब उन्होंने हमसे कहा कि उम्मीद है कि आप किसी से नहीं कहेंगे. उसके बाद उन्होंने कहा कि मस्जिद निश्चित तौर पर गिराई जाएगी. शंकर दयाल शर्मा ने यह कहा.'
यादव ने कहा कि उन्होंने उस वक्त सरकार से काफी बातचीत करने का प्रयास किया, लेकिन किसी ने नहीं सुना और 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद गिरा दी गई.
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