श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के रामबन इलाके में बीएसएफ की गोली से छह लोगों की मौत के बाद बवाल शुरू हो गया है। जम्मू कश्मीर पलिस के मुताबिक बीएसएफ के कैंप पर हिंसक हमले के बाद हुई गोलीबारी में इन लोगों की मौत हुई है। इन मौतों ने एक बार फिर कश्मीर में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू कर दिया है। कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। नाराज अलगाववादी संगठनों ने जहां 3 दिन के बंद का ऐलान कर किया तो जम्मू कश्मीर सरकार ने सतर्कता बरतते हुए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी है।
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक की रैली के दौरान ये बवाल शुरू हुआ। ये रैली रामबन में बीएसएफ के साथ हुई झड़प में मारे गए लोगों के विरोध में निकाली गई थी। मलिक और उनके समर्थक नारे लगाते हुए लाल चौक की तरफ जा रहे थे। मलिक को यहां रैली करनी थी। लेकन इन्हें रास्ते में ही पुलिस वालों ने रोक दिया। अलगाववादी नेता यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद मलिक समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी चलाई। कई जगहों पर वो पत्थर चलाने वालों का जवाब खुद पत्थर चलाकर देती नजर आई।
रामबन गोलीकांड के बाद से घाटी के अलग अलग इलाकों से ऐसे ही विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। विरोध और हिंसा को देखते हुए ही 300 किलोमीटर के श्रीनगर-जम्मू हाईवे को बंद कर दिया गया है। रामबन, बनिहाल और रामसू में भी धरने प्रदर्शन जारी हैं। सुरक्षा बलों और सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों का गुस्सा शांत होता नजर नहीं आ रहा है।
रामबन, जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से महज 160 किलोमीटर दूर है। जम्मू कश्मीर के गृह मंत्री सज्जान अहमद किचलू के मुताबिक बुधवार की रात तकरीबन एक बजे बीएसएफ के जवानों ने एक युवक को इलाके में चल रहे रेलवे प्रोजेक्ट के आसपास घूमते देखा। बीएसएफ की पेट्रोल टीम ने इस युवक को पूछताछ के लिए पकड़ा और उसकी पिटाई भी की। किचलू के मुताबिक इसके बाद गुरुवार सुबह स्थानीय मौलवी के भड़काऊं भाषणों की वजह से लोग हिंसा पर उतारू हो गए। लोगों ने बीएसएफ कैंप पर हमला कर दिया। बीएसएफ की इस गोली बारी में छह लोगों की मौत हो गई। जबकि 28 लोग घायल हो गए। इसमें से 9 लोगों की हालत गंभीर हैं।
केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि इस घटना की जांच होगी। जो भी दोषी होगा उसके साथ सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने जनता से शांति बनाने की अपील की है।
दूसरी ओर बीएसएफ का कहना है कि कैंप पर हमला करने वाले स्थानीय लोगों की संख्या बहुत बड़ी थी। इस कैंप में बड़ी मात्रा में हथियार और गोलाबारुद रखे गए हैं। बीएसएफ के मुताबिक इन लोगों ने गोली बारूद लूटने की कोशिश की। जिसकी वजह से बीएसएफ और स्थानीय पुलिस को अपनी सुरक्षा में गोली चलानी पड़ी। बीएसएफ के मुताबिक उसके एक जवान को भी गोली लगी है।
सवाल ये है कि क्या ऐसी परिस्थितियों से शांति पूर्ण तरीके से निपटने का सुरक्षा बलों के पास कोई उपाय नहीं है। क्या लोगों पर गोली चलाना ही आखिर तरीका है। जम्मू कश्मीर में हुई मौतों ने एक बार फिर घाटी की शांति पर खतरे की घंटी बजा दी है। हाल के दिनों में घाटी में आतंकी हमले भी बढ़े हैं। ऐसे में लोगों की मौत आग में घी का काम कर सकती है। जम्मू कश्मीर में चल रही शांति प्रक्रिया में रोड़े खड़ा कर सकती है।
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