बुधवार, 24 जुलाई 2013

नौ सांसदों ने कहा,साइन नहीं किए

नौ सांसदों ने कहा,साइन नहीं किए
नई दिल्ली। 65 सांसदों के अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को गुजरात के मुख्यमंत्री को वीजा नहीं देने के लिए लिखे गए पत्र को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। बुधवार को नौ सांसदों ने ऎसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं जिन सांसदों ने मोदी के खिलाफ पत्र लिखने से इनकार किया है उनमें पांच सांसद कांग्रेस के हैं। दो कांग्रेस सांसदों ने कहा कि उन्हें पत्र पर हस्ताक्षर करने के बारे में याद नहीं।


बाहरी पक्ष का दखल गलत -

केंद्र सरकार ने कहा है कि घरेलू मामलों में किसी बाहरी पक्ष का दखल उचित नहीं है। विदेश राज्यमंत्री प्रणीत कौर ने कहा,हमें हमारे विवाद घर में ही सुलझाने चाहिए। सीताराम येचुरी पहले सांसद थे जिन्होंने इस पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया था। अब डीएमके के केपी रामलिंगम और भाकपा सांसद अचूतन ने भी किसी पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात को गलत बताया है। एनसीपी सांसद वंदना चव्हाण व संजीव नायक,कांग्रेस सांसद एम कवासे,अनिल लाड व जयंत्रो अवले ने भी ऎसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात को गलत बताया है। कांग्रेस सांसद प्रदीप भट्टाचार्य व जॉय अब्राहम ने कहा कि उन्हें पत्र पर हस्ताक्षर करने के बारे में याद नहीं।


अनवर ने कहा,मैंने साइन किए -

हालांकि जद यु के अली अनवर ने पुष्टि की कि उन्होंने पिछले साल ओबामा को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के अनुसार इस पत्र को रविवार को पुन: फैक्स किया गया। ओबामा को 65 सांसदों द्वारा लिखे गए पत्र में माकपा नेता सीताराम येचुरी खुद को फंसा हुआ पा रहे हैं। येचुरी ने ऎसा कोई पत्र लिखने से इनकार किया है। वहीं सांसदों का कहना है कि वे भूल गए होंगे कि उन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।


येचुरी का नाम नौवें नंबर पर -

साल 2012 के अंत में लिखे गए इस पत्र में येचुरी का नाम नौवें नंबर पर है। येचुरी ने उनके द्वारा ऎसा कोई पत्र लिखे जाने की बात को गलत बताया। येचुरी ने कहा,हम देश के अंदरूनी मामलों में बाहरी दखल नहीं चाहते। दूसरा यह अमरीकी सरकार पर निर्भर करता है कि वह वीजा दे या नहीं।


राज्यसभा में निर्दलीय सांसद मोहम्मद अदीब ने येचुरी की प्रतिक्रिया पर आश्चर्य प्रकट किया है। उन्होंने कहा,येचुरी ने हस्ताक्षर किए थे। वे भूल गए होंगे क्योंकि यह मामला छह माह पुराना है। यह वह पत्र है जिस पर येचुरी ने नवंबर 2012 में साइन किए थे। उनका नाम वहां है।


पुन: भेजा पत्र -

अदीब ने अपने अभियान की अगुआई की तथा कहा कि भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह द्वारा मोदी को वीजा दिलाए जाने संबंधी प्रयासों को देखते हुए उन्होंने फिर से यह पत्र ओबामा को भेजा। राजनाथ अभी अमरीका के दौरे पर हैं। उनका वहां अमरीकी सांसदों,विचारकों व सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने का कार्यक्रम है। राजनाथ ने कहा है कि वे अमरीकियों से मोदी पर लगाए गए वीजा बैन को हटाने के लिए कहेंगे। 65 सांसदों के हस्ताक्षर वाले इस पत्र को अमेरिकन काउंसिल ऑफ मुस्लिम्स ने फिर से जारी किया है।


जांच हो: भाजपा -

भाजपा का कहना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री को वीजा मामले की विस्तृत जांच होनी चाहिए। पार्टी का कहना है कि यह पता लगना चाहिए कि सांसदों ने ओबामा को पत्र भेजा भी या नहीं। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा,इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले आधे से अधिक सांसदों ने ऎसा कोई पत्र लिखने से इनकार किया है। अब इस पत्र के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वालों का पता लगना जरूरी है।


कांग्रेस की जुगलबंदी -

भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यह विदेश में कांग्रेस की जुगलबंदी लगती है। यह सांसदों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का भी मामला है क्योंकि वे चुने हुए मुख्यमंत्री के खिलाफ बोल रहे हैं। सांसदों के खिलाफ फर्जीवाड़े का मामला चलाया जाना चाहिए क्योंकि येचुरी ने कहा है कि उन्होंने इस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए।


मोदी पर है वीजा बैन -

उल्लेखनीय है कि मोदी को अमरीका पिछले कई साल से वीजा नहीं दे रहा है। गुजरात दंगों के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के चलते अमरीका ने यह बैन लगाया है। कुल 65 सांसदों ने ओबामा को 2012 में पत्र लिखा था। एक पत्र पर राज्यसभा के 25 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे जबकि दूसरे पर लोकसभा के 40 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे। ये पत्र 26 नवंबर और पांच दिसंबर 2012 को लिखे गए थे।

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