गुरुवार, 25 जुलाई 2013

बाड़मेर पानी पर राजनीति!

बाड़मेर पानी पर राजनीति!

बाड़मेर।तेल के भंडार समेटे रेगिस्तान के लोगों की बड़ी जरूरत है पानी। सरकारें इसका इंतजाम आज तक नहीं कर पाई। पानी को लेकर राजनीति किस कदर हो रही है इसका उदाहरण बनी हुई है बाड़मेर लिफ्ट योजना। वर्ष 2002 में बनी यह योजना ग्यारह साल में पूरी तो नहीं हुई है, लेकिन इसके नाम पर चार-चार समारोह हुए लेकिन हलक आज भी सूखे है।

यह है योजना


4 जून 2002 को बाड़मेर शहर समेत जिले के 528 व जैसलमेर जिले के 162 गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए 424.91 करोड़ रूपए की बाड़मेर लिफ्ट योजना बनी। जैसलमेर के मोहनगढ़ से इंदिरा गांधी नहर के पानी को पाइप लाइन के जरिए यहां पहंुचाना तय हुआ।


तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका शिलान्यास किया। सरकार बदल गई और योजना आगे नहीं बढ़ी। वर्ष 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2008 में इसका शुभारंभ किया, फिर सरकार बदली और योजना कागजों में ही रह गई।

इस बार सोनिया से उद्घाटन



आधारभूत संरचना का कार्य पूर्ण होने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से 30 अगस्त 2012 को यहां समारोह में लोकार्पण करवा दिया गया।

चार बार हुए कार्यक्रम


लिफ्ट योजना के अधीक्षण अभियंता से ए के जैन से बातचीत
लिफ्ट योजना कब बनी थी?
जैन- इसको बने ग्यारह साल हो गए है।
कितने शिलान्यास हुए?
जैन- चार बार
सोनिया गांधी ने लोकार्पित किया, वह क्या था?
जैन- योजना का आधारभूत ढांचा तैयार हुआ था,उसका लोकार्पण हुआ था?


योजना पूरी कब होगी और पानी की आपूर्ति कब होगी?
जैन- अभी 238 गांवों के आदेश हुए है। कार्य चल रहा है। जैसे-जैसे बजट मिलेगा कार्य पूरा होगा। तीसरे चरण की योजना बन रही है। बाड़मेर शहर मे जलापूर्ति हो रही है।

अब यह स्थिति


बाड़मेर शहर में बिछी पुरानी पाइप लाइनों में 30 अगस्त 2012 के बाद पानी आपूर्ति प्रारंभ की है। शहर के कुछ इलाकों में यह पानी पहुंचा है। शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए आधारभूत ढांचा आरयूआईडीपी को बनाना है। इस पर 30 करोड़ रूपए खर्च होने है। आरयूआईडीपी सालभर बाद भी कार्य पूरा नहीं कर पाई है।


कार्यावधि से डेढ़ साल ऊपर हो गया है,अभी काफी कार्य बकाया है। सोनिया गांधी के दौरे के ठीक पहले 23 अगस्त 2012 को द्वितीय चरण के लिए 171 गांवों के लिए 202.36 करोड़ के कार्यादेश हुए है, जिनकी अवधि तीस माह की है। इसके बाद 16 मई 2013 को 67 गांवों के आदेश हुए है,जिनकी कार्यावधि इस आदेश के तीस माह बाद की है। कुल 238 गांवों में कार्य अभी चल रहा है।

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