कर्नल खुद तो साहूकार बने और मुझे कठघरे में खड़ा करे, ये मैं कैसे बर्दाश्त करता : हेमाराम
बाड़मेर राजस्व मंत्री के पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस सरकार के लिए नया सियासी संकट पैदा कर देने वाले हेमाराम चौधरी ने कहा है कि उनके इस्तीफे के लिए कर्नल सोनाराम जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस्तीफा वापस लेने के लिए नहीं दिया है। उन्होंने अपनी सभी सरकारी सुविधाएं लौटा दी हैं। गाड़ी और चालक को वापस भेज दिया है। प्रभारी मंत्री के नाते बुधवार का जैसलमेर का दौरा रद्द कर दिया गया है। उनसे बेबाक बातचीत :
आपने इस्तीफा क्यों दिया?
आज जब हम किसानों के प्रतिनिधियों से मिल रहे थे तो कर्नल सोनाराम कह रहे थे कि आप लीलाला में रिफाइनरी नहीं ला रहे हैं। अब मैं बिना जमीन कहां से रिफाइनरी लगवा दूं। जमीन के लिए पूछा तो किसान पहले तो एक करोड़ रुपए तक का मुआवजा मांग रहे थे और अब भी उन्होंने जो ज्ञापन दिया है, उसमें वे 15 लाख रुपए प्रति बीघा जमीन की कीमत और पता नहीं क्या-क्या पैकेज वे मांग रहे हैं। अब समय भी निकल गया है।
तो क्या यह झगड़ा आपका और कर्नल सोनाराम का है या कि लीलाला में रिफाइनरी लाने और किसानों के हितों की रक्षा का? आखिर प्राथमिकता क्या है?
बात तो किसानों के हित की ही थी। हमने भी कोशिश की थी कि रिफाइनरी लीलाला में लगे, लेकिन तब तो शर्त लगाई जा रही थी कि एक करोड़ रुपए प्रति बीघा की दर से मुआवजा दोगे तो ही रिफाइनरी के लिए जमीन देंगे। अब तो बहुत देर हो चुकी है, लेकिन कर्नल खुद इलाके से विधायक हैं। वे खुद तो असफल रहे और जिम्मेदारी डालना चाहते हैं मुझ पर। वे कहते हैं कि मैं सरकार में राजस्व मंत्री हूं और मैं रिफाइनरी नहीं ला रहा। कर्नल का कहना है कि सरकार किसानों को कितनी भी कीमत दे दे, उसे क्या फर्क पड़ता है। ये कोई बात हुई।
क्या आप इस्तीफा वापस ले लेंगे?
मैंने सरकार को मंजूरी के लिए इस्तीफा भेजा है। वापस लेने के लिए नहीं। मैंने गाड़ी वगैरह सभी सुविधाएं भी लौटा दी हैं। ड्राइवर डाक बंगले चला गया है। कल जयपुर वापस चला जाएगा। मैंने जैसलमेर का कल का कार्यक्रम भी रद्द कर दिया है। वहां का मैं प्रभारी मंत्री हूं। जब इस्तीफा ही दे दिया तो वहां जाने क्या अर्थ! मैं बहुत आहत हूं। मैं जनता के हित के लिए हूं या अहित के लिए! अगर मैं हित नहीं करवा सकता तो चलो मैं हट जाता हूं। मैं किसानों का हित नहीं कर पाऊं तो क्या, कर्नल सोनाराम तो हैं, वे करेंगे किसानों का हित!
आप इस्तीफा दे देंगे तो फिर किसानों के हितों की पैरवी कौन करेगा?
मैं तो मुख्यमंत्री और हमारी पार्टी के नेताओं को सलाह दूंगा कि कर्नल को मंत्री बना दो। वह लीलाला में रिफाइनरी लगवा देंगे। वह किसानों के हितों की मुझसे ज्यादा पैरवी कर सकते हैं। मैं तो अब तक यही समझता कि मैं किसानों के हितों के लिए ही सरकार में हूं, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि प्रचार तो कुछ और ही हो रहा है। जैसे सिर्फ कर्नल ही किसानों का एकमात्र हितैषी है! पिछले दिनों वसुंधरा राजे आईं तो उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्रियों ने पचपदरा में बेनामी जमीनें खरीद रखी हैं। मैंने तो कहीं एक इंच जमीन खरीदी नहीं है। मुझे तो ऐसे झूठे आरोप सुनकर बहुत बुरा लग रहा है। मैं ऐसे आधारहीन आरोपों को कब तक बर्दाश्त करूं।मैं सोचता हूं कि आखिर मैं ऐसी राजनीति में हूं ही क्यों! मुझे नहीं करनी ऐसी राजनीति!
लेकिन कर्नल को मंत्री बनाएगा कौन?
मैं खुद उनकी पैरवी करूंगा। मैं खुद मुख्यमंत्री और हमारे नेताओं से मिलूंगा कि उनको मंत्री बनाओ ताकि वे लीलाला में रिफाइनरी लगवाएं और किसानों का हित करें।
क्या आपसे मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष या किसी प्रमुख नेता ने अब तक बातचीत की?
अभी तक तो किसी ने बातचीत नहीं की। बातचीतकी बात ही क्या है, वह (कर्नल सोनाराम) खुद तो साहूकार बने और मुझे कठघरे में खड़ा करे यह मैं कैसे बर्दाश्त कर सकता हूं। अरे भई मैं ही सरकार हूं तो लो मैं सरकार से बाहर आ जाता हूं। आप बन जाओ मंत्री! आप आ जाओ सरकार में। आप आकर लगवा लो लीलाला में रिफाइनरी!
हेमाराम चौधरी मुझे मंत्री बना सकते हैं क्या! मेरे साथ मुख्यमंत्री और हेमाराम चौधरी मजाक कर रहे हैं। किसने मांगा एक करोड़ या 50 लाख रुपए! ये सब तो मुख्यमंत्री की प्लांटेड चीजें थीं। दरअसल हेमाराम की चल नहीं रही है। मुख्यमंत्री उनकी मान नहीं रहे हैं। मुझे ही क्या, पूरे इलाके को अफसोस है कि हेमाराम और हरीश चौधरी दोनों बायतू के हैं और दोनों ही ठीक से पैरवी नहीं कर पाए! मंत्री बनाने का ऑफर तो मुझे बहुत पहले से था, लेकिन मैंने खुद ही मना कर दिया था कि अब बहुत देर हो चुकी! -कर्नल सोनाराम चौधरी, बायतू विधायक
बाड़मेर राजस्व मंत्री के पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस सरकार के लिए नया सियासी संकट पैदा कर देने वाले हेमाराम चौधरी ने कहा है कि उनके इस्तीफे के लिए कर्नल सोनाराम जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस्तीफा वापस लेने के लिए नहीं दिया है। उन्होंने अपनी सभी सरकारी सुविधाएं लौटा दी हैं। गाड़ी और चालक को वापस भेज दिया है। प्रभारी मंत्री के नाते बुधवार का जैसलमेर का दौरा रद्द कर दिया गया है। उनसे बेबाक बातचीत :
आपने इस्तीफा क्यों दिया?
आज जब हम किसानों के प्रतिनिधियों से मिल रहे थे तो कर्नल सोनाराम कह रहे थे कि आप लीलाला में रिफाइनरी नहीं ला रहे हैं। अब मैं बिना जमीन कहां से रिफाइनरी लगवा दूं। जमीन के लिए पूछा तो किसान पहले तो एक करोड़ रुपए तक का मुआवजा मांग रहे थे और अब भी उन्होंने जो ज्ञापन दिया है, उसमें वे 15 लाख रुपए प्रति बीघा जमीन की कीमत और पता नहीं क्या-क्या पैकेज वे मांग रहे हैं। अब समय भी निकल गया है।
तो क्या यह झगड़ा आपका और कर्नल सोनाराम का है या कि लीलाला में रिफाइनरी लाने और किसानों के हितों की रक्षा का? आखिर प्राथमिकता क्या है?
बात तो किसानों के हित की ही थी। हमने भी कोशिश की थी कि रिफाइनरी लीलाला में लगे, लेकिन तब तो शर्त लगाई जा रही थी कि एक करोड़ रुपए प्रति बीघा की दर से मुआवजा दोगे तो ही रिफाइनरी के लिए जमीन देंगे। अब तो बहुत देर हो चुकी है, लेकिन कर्नल खुद इलाके से विधायक हैं। वे खुद तो असफल रहे और जिम्मेदारी डालना चाहते हैं मुझ पर। वे कहते हैं कि मैं सरकार में राजस्व मंत्री हूं और मैं रिफाइनरी नहीं ला रहा। कर्नल का कहना है कि सरकार किसानों को कितनी भी कीमत दे दे, उसे क्या फर्क पड़ता है। ये कोई बात हुई।
क्या आप इस्तीफा वापस ले लेंगे?
मैंने सरकार को मंजूरी के लिए इस्तीफा भेजा है। वापस लेने के लिए नहीं। मैंने गाड़ी वगैरह सभी सुविधाएं भी लौटा दी हैं। ड्राइवर डाक बंगले चला गया है। कल जयपुर वापस चला जाएगा। मैंने जैसलमेर का कल का कार्यक्रम भी रद्द कर दिया है। वहां का मैं प्रभारी मंत्री हूं। जब इस्तीफा ही दे दिया तो वहां जाने क्या अर्थ! मैं बहुत आहत हूं। मैं जनता के हित के लिए हूं या अहित के लिए! अगर मैं हित नहीं करवा सकता तो चलो मैं हट जाता हूं। मैं किसानों का हित नहीं कर पाऊं तो क्या, कर्नल सोनाराम तो हैं, वे करेंगे किसानों का हित!
आप इस्तीफा दे देंगे तो फिर किसानों के हितों की पैरवी कौन करेगा?
मैं तो मुख्यमंत्री और हमारी पार्टी के नेताओं को सलाह दूंगा कि कर्नल को मंत्री बना दो। वह लीलाला में रिफाइनरी लगवा देंगे। वह किसानों के हितों की मुझसे ज्यादा पैरवी कर सकते हैं। मैं तो अब तक यही समझता कि मैं किसानों के हितों के लिए ही सरकार में हूं, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि प्रचार तो कुछ और ही हो रहा है। जैसे सिर्फ कर्नल ही किसानों का एकमात्र हितैषी है! पिछले दिनों वसुंधरा राजे आईं तो उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्रियों ने पचपदरा में बेनामी जमीनें खरीद रखी हैं। मैंने तो कहीं एक इंच जमीन खरीदी नहीं है। मुझे तो ऐसे झूठे आरोप सुनकर बहुत बुरा लग रहा है। मैं ऐसे आधारहीन आरोपों को कब तक बर्दाश्त करूं।मैं सोचता हूं कि आखिर मैं ऐसी राजनीति में हूं ही क्यों! मुझे नहीं करनी ऐसी राजनीति!
लेकिन कर्नल को मंत्री बनाएगा कौन?
मैं खुद उनकी पैरवी करूंगा। मैं खुद मुख्यमंत्री और हमारे नेताओं से मिलूंगा कि उनको मंत्री बनाओ ताकि वे लीलाला में रिफाइनरी लगवाएं और किसानों का हित करें।
क्या आपसे मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष या किसी प्रमुख नेता ने अब तक बातचीत की?
अभी तक तो किसी ने बातचीत नहीं की। बातचीतकी बात ही क्या है, वह (कर्नल सोनाराम) खुद तो साहूकार बने और मुझे कठघरे में खड़ा करे यह मैं कैसे बर्दाश्त कर सकता हूं। अरे भई मैं ही सरकार हूं तो लो मैं सरकार से बाहर आ जाता हूं। आप बन जाओ मंत्री! आप आ जाओ सरकार में। आप आकर लगवा लो लीलाला में रिफाइनरी!
हेमाराम चौधरी मुझे मंत्री बना सकते हैं क्या! मेरे साथ मुख्यमंत्री और हेमाराम चौधरी मजाक कर रहे हैं। किसने मांगा एक करोड़ या 50 लाख रुपए! ये सब तो मुख्यमंत्री की प्लांटेड चीजें थीं। दरअसल हेमाराम की चल नहीं रही है। मुख्यमंत्री उनकी मान नहीं रहे हैं। मुझे ही क्या, पूरे इलाके को अफसोस है कि हेमाराम और हरीश चौधरी दोनों बायतू के हैं और दोनों ही ठीक से पैरवी नहीं कर पाए! मंत्री बनाने का ऑफर तो मुझे बहुत पहले से था, लेकिन मैंने खुद ही मना कर दिया था कि अब बहुत देर हो चुकी! -कर्नल सोनाराम चौधरी, बायतू विधायक
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