रविवार, 2 जून 2013

श्रीगंगानगर गेहूं उठाव नहीं होने से 96 करोड़ अटके

श्रीगंगानगर। विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वार समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं का उठाव न होने से करीब 96 करोड़ रूपए का भुगतान अटका हुआ है। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले की मंडियों में 63 हजार टन से अधिक गेहूं का उठाव होना अभी शेष है। उठाव होने के बाद ही किसानों को भुगतान मिलेगा। दोनों जिलों में 8 लाख 8 हजार टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। एफसीआई, तिलम संघ, राजफैड व अन्य खरीद एजेंसियां ने श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में गेहूं की खरीद कर रही हैं।

खरीद की तुलना में उठाव की रफ्तार धीमी होने से 63834 टन गेहूं गोदाम में नहीं पहुंच सका है। एफसीआई को समुचित संख्या में श्रमिक न मिल पाने के कारण उठाव धीमी रफ्तार से चल रहा है। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि उनके पास गेहूं रखने के लिए पर्याप्त गोदाम हैं। उठाव न होने से दोनों जिलों के हजारों किसानों के 95 करोड़ 75लाख 10 हजार रूपए का भुगतान अटका हुआ है।

लक्ष्य से आधी खरीद : गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य इस बार पूरा होता नजर नहीं आ रहा। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में 15 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन मई अंत तक सरकारी खरीद एजेंसियों ने 8लाख 8 हजार टन गेहूं ही खरीद ही कर सकी हैं।

वर्तमान सत्र में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1350 रूपए है। इस पर राज्य सरकार की ओर से 150 रूपए प्रति क्विंटल पर बोनस दिया जा रहा है। इस हिसाब से गेहूं का सरकारी मूल्य प्रति क्विंटल 15 सौ रूपए हो गया है। उधर बाजार में खुले में गेहूं 16 सौ से 17 सौ रूपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। साथ ही भुगतान संबंधी कोई झंझट नहीं होने से बड़ी संख्या में किासान व्यापारियों को ही गेहूं बेचने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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