सोमवार, 3 जून 2013

मैदान में जीता,नौकरी को तरसा



मैदान में जीता,नौकरी को तरसा


बाड़मेर। पाकिस्तान और शारजाह में उस समय हजारों हाथ गड़गड़ा उठे थे जब निशक्त इकबाल ने चौके-छक्के जड़ते हुए भारत को जीत दिलाई थी। साथी खिलाडियों ने कंधे पर उठाकर जीत का सेहरा उसके सिर बांधा। यही इकबाल जब "कनिष्ठ लिपिक" भर्ती की वरीयता देखने पहुंचा तो उसका कहीं नाम नहीं था। अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस खिलाड़ी को हैरत हुई लेकिन यहां किसी के पास कोई जवाब नहीं।




सिवाना निवासी निशक्त इकबाल खान क्रिकेट का दीवाना है। गुजरात की तरफ से खेलते हुए उसे राष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलने का अवसर मिला। राष्ट्रीय स्तर पर उम्दा प्रदर्शन के बाद उसे जून 2012 में पाकिस्तान व शारजाह में हुए राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारतीय टीम की कप्तानी दी गई। इकबाल ने तोहफे में देश के नाम जीत लिख दी।




नौकरी की तलाश

खेल में नाम कमाना अपनी जगह है लेकिन बीए अंतिम वर्ष के छात्र इकबाल को सरकारी नौकरी की तलाश है ताकि जिन्दगी की जरूरतों को पूरा कर सके।




पहली बार में ही हैरत

पहली बार उसने पंचायती राज की कनिष्ठ लिपिक भर्ती में आवेदन किया। इसमें उत्कृष्ट खिलाडियों के लिए दो प्रतिशत आरक्षण और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के लिए वरीयता है। लेकिन बाड़मेर जिला परिष्ाद की अभ्यर्थियों की सूची में इकबाल का नाम ही नहीं था।




जवाब देने वाला नहीं

इकबाल ने खेल में प्राप्त प्रमाण पत्र दिखाए तो जांचकर्ताओं को हैरत हुई, लेकिन वे यही कह पाए कि सूची जयपुर से आई है। इसमें उसका नाम क्यों नहीं है, इसका जवाब नहीं है। दूसरी सूची जारी होगी तब ही कुछ बता पाएंगे।




मुझे तो समझ नहीं आया

पहली सूची में नाम नहीं है। समझ में नहीं आया कि ऎसा क्यों हुआ? दूसरी सूची आने तक इंतजार करना पड़ेगा। इकबाल खान

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