सोमवार, 3 जून 2013

मेगा क्लस्टर का एक तिहाई हिस्सा बाड़मेर को देने की तैयारी

जोधपुर. जोधपुर में घोषित हैंडीक्राफ्ट मेगा क्लस्टर में से ३क् प्रतिशत हिस्सा छिन जाने का खतरा पैदा हो गया है। टेक्सटाइल से जुड़े प्रोजेक्ट बाड़मेर को देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। अगर ऐसा हुआ तो जोधपुर के निर्यातकों और यहां के दस्तकारों को बड़ा नुकसान होगा। गुरुवार को टेक्सटाइल सेक्रेटरी जोरा चटर्जी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित बैठक में एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट की तरफ से बंटवारे का प्रस्ताव रखा गया है।

ईपीसीएच डायरेक्टर राकेश कुमार ने बताया कि बाड़मेर में टेक्सटाइल का अच्छा काम होने के कारण उन्हें मौका देने का प्रस्ताव है। उधर, इस प्रस्ताव के बाद जोधपुर के निर्यातकों में रोष व्याप्त हो गया है। जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निर्मल भंडारी ने बताया कि वे ईपीसीएच के सीओ मैंबर भी है।

इस प्रस्ताव का विरोध किया जाएगा। जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. भरत दिनेश का कहना है कि हैंडीक्राफ्ट मेगा क्लस्टर की घोषणा केवल जोधपुर के लिए हुई थी। बाड़मेर में प्रोजेक्ट देने का प्रस्ताव रखना गलत है। एसोसिएशन इसका विरोध करेगा। ईपीसीएच के चेयरमैन लेखराज माहेश्वरी ने बताया कि टेक्सटाइल से जुड़े प्रोजेक्ट बाड़मेर को देने के संबंध में मुझे जानकारी नहीं है।

तीन साल से रेंग रहा है क्लस्टर : जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए तीन वर्ष पहले केंद्र सरकार ने अपने बजट में जोधपुर को हैंडीक्राफ्ट का मेगा क्लस्टर घोषित किया था। बजट घोषणा के बाद वस्त्र मंत्रालय ने एक निजी कंपनी को जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए आवश्यकताओं की जानकारी जुटाने के लिए सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी थी। कंपनी ने सर्वे करके वस्त्र मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मद में 100 करोड़ के फंड की जरूरत बताई, लेकिन यह रिपोर्ट हस्तशिल्प आयुक्त के पास ही अटक गई।


आखिर जोधपुर से क्यों छीना जा रहा है हक
असलियत में इसके पीछे है- राजनीति। पहले अटका कर रखने की। अब बांटने की। हाल में ईपीसीएच में लेखराज माहेश्वरी चेयरमैन बने हैं। वे बाड़मेर के हैं। ऐसे में उन्होंने यहां दम तोड़ रही टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के लिए यह कदम उठाया है। उधर, जानकार कहते हैं कि पहले किसी न किसी तरह क्लस्टर को खिसका दिया गया अब बांटने की तैयारी।

हक तो जोधपुर का ही है, फिर क्यों हो रहा है बंटवारा

..क्योंकि जोधपुर से हैंडीक्राफ्ट का सालाना निर्यात औसतन 1500 करोड़ रुपए का है। यहां से वुडन, आयरन, मेटल, टेक्सटाइल, ग्लास व स्टोन हैंडीक्राफ्ट के प्रॉडक्ट एक्सपोर्ट होते हैं।
..जबकि बाड़मेर से कुछ भी एक्सपोर्ट नहीं होता।
..क्योंकि जोधपुर में टेक्सटाइल, हैंड प्रोसेसिंग और बंधेज का कार्य होता है। जोधपुर से प्रतिदिन 8 लाख मीटर से अधिक का कपड़ा हैंड प्रोसेस होता है।
..जबकि बाड़मेर में टेक्सटाइल के कसीदे, प्रिंटिंग व पेच वर्क का कार्य होता है। अप्रत्यक्ष रूप से जयपुर से एक्सपोर्ट होता है। बाड़मेर के एक्सपोर्ट प्रिंटिंग का कार्य चौहटन में होता है।


- निर्यातकों को नई तकनीक और सुविधाएं कम मिलेंगी

मेगा क्लस्टर 400 करोड़ का प्रोजेक्ट है। इसकी घोषणा वर्ष 2010 के आम बजट में हुई थी। पहले चरण में 100 करोड़ के कार्य होने हैं। क्लस्टर के आने के बाद यहां के हैंडीक्राफ्ट मैन्युफैक्चर्स, निर्यातकों, दस्तकारों व कारीगरों को नई तकनीक और सुविधाएं मिलनी थीं। क्लस्टर का सीधा फायदा यह होता कि कई ऐसी मशीनरी जो कि यहां के उद्यमियों और दस्तकारों के लिए खरीदना आसान नहीं है, वह इस क्लस्टर में मिल जाती। फायदा यह होता कि 1500 करोड़ का निर्यात दोगुना तक पहुंच जाता।


मेगा क्लस्टर के बंटवारे में जोधपुर डिजाइन डवलपमेंट एंड इनोवेशन सेंटर, स्किल डवलपमेंट और कम्युनिटी प्रॉडक्शन सेंटर फॉर आर्टिजन्स के यहां से बाड़मेर जाने की आशंका है। तीनों सेंटर यहां से जाते हैं तो पहले चरण में जोधपुर के हाथ से करीब 30 करोड़ के प्रोजेक्ट छिन जाएंगे। बड़ा नुकसान यह है कि आधुनिक सुविधाओं से युक्त मशीनरी से जोधपुर के निर्यातक और दस्तकार वंचित रह जाएंगे।

- ..जबकि बाड़मेर को तो सीएफएसी दे दें तो ही काम चल जाए
बाड़मेर और आसपास के क्षेत्रों में सिर्फ टेक्सटाइल का ही काम होता है, जो जोधपुर से मात्र दस फीसदी है। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट (ईपीसीएच)की ओर से यदि बाड़मेर में एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) स्थापित कर दिया जाए तो ये सभी सुविधाएं वहां मुहैया करवाई जा सकती हैं। ज्ञात रहे कि जोधपुर में करीब एक दशक पहले ईपीसीएच की ओर से सीएफसी स्थापित किया गया था, जो आज भी निर्यातकों द्वारा उपयोग में लिया जाता है। बाड़मेर में ईपीसीएच सिर्फ सीएफसी सेंटर दे तो वहां की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। यह काम अब मुश्किल भी नहीं रहा, क्योंकि ईपीसीएच के चेयरमैन लेखराज माहेश्वरी बाड़मेर के हैं।

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