चुमुर पोस्ट की कीमत पर चीन से डील!
नई दिल्ली। सराकर लाख दावें करें कि गतिरोध खत्म करने के लिए चीन के साथ कोई डील नहीं हुई है लेकिन एक समाचार पत्र की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। समाचार पत्र के मुताबिक गतिरोध खत्म करने के लिए भारत को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।
समाचार पत्र कहता है कि भारतीय बलों ने जब वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब चुमुर सेक्टर में बनाए गए बंकर हटाने का वादा किया तभी चीन डीओबी सेक्टर से अपने सैनिकों को पीछे हटाने को तैयार हुआ। गौरतलब है कि चीन ने डीओबी सेक्टर में पांच तंबू गाड़ दिए थे। 15 अप्रेल को चीनी घुसपैठ के करीब तीन हफ्ते बाद रविवार को दोनों देशों के बीत गतिरोध खत्म हुआ था।
बातचीत और स्थानीय भौगोलिक स्थिति से परिचत सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों के मुताबिक जब सेना एलएसी के नजदीक चुमुर सेक्टर से बंकर हटाने पर राजी हुई तभी 21 दिन पुराना गतिरोध खत्म हो पाया। जिन बंकरों को लेकर सवाल हैं वे मौजूदा सीमा पर बने हुए हैं। भारत ने प्रोएक्टिव कदमों के तहत ये बंकर बनाए थे जिन पर चीन ने आपत्ति जताई थी।
कहा जा रहा है कि जब नई दिल्ली ने स्थायी ढांचे को हटाने की चीन की मांग पर सहमत हुआ तभी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी 15 अप्रेल से पहले वाली स्थिति बहाल करने पर राजी हुई। भारत ने ये बंकर काराकोरम हाईवे पर नजर रखने के लिए बनाए थे।
यह भी दावा किया गया है कि भारत ने चीन की आक्रामक गश्त से निपटने के लिए घुसपैठ की टैक्टिक्स अपनाई है। कुछ कदमों को वापस लेना बड़ा त्याग नहीं है। यह भी दावा किया गया है कि ये बंकर चीनी घुसपैठ का प्रतिकार करने के लिए बनाए गए थे।
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