सोमवार, 13 मई 2013

चिकित्सक और जांच अधिकारी की मिलीभगत से कलेक्टर की जांच दरकिनार

चिकित्सक और जांच अधिकारी की मिलीभगत से कलेक्टर की जांच दरकिनार


बाड़मेर।  एक चिकित्सक को उसके जाति के चिकित्सक ने जांच में दोषी होने के बाद भी निर्दोष घोषित कर दिया। यह मामला बाड़मेर का हैं। बाड़मेर के लंगेरा गाँव के निवासी दुर्गसिंह राजपुरोहित ने अगस्त माह में अपने स्तर पर मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना की बजाय ब्रांडेड दवाएं लिखने वाले एक चिकित्सक की करीब आठ सौ से ज्यादा पर्चियां एकत्रित करके डॉ समित शर्मा , प्रबंध निदेशक राजस्थान मेडिकल कॉरप्रेशन को शिकायती पत्र दिया गया था जिसमे कई अस्पताल में आने वाले मरीजो की पर्चियां भी संलग्न की थी। उन पर्चियों की जांच के बाद तत्कालीन बाड़मेर जिला कलक्टर डॉ वीणा प्रधान ने चिकित्सक लंगेरा रोड स्थित पीरचंद हंजारीमल डिस्पेंसरी के डॉ सुरेश माली को कारण बताओ नोटिस भी दिया था जिसमे उन्होंने स्पष्ट लिखा था कि जांच के दौरान अस्पताल की उनके द्वारा लिखी गई पर्चियों पर एक कम्पनी विशेष की दवाइयां लिखी गिया थी। तत्कालीन जिला कलेक्टर के द्वारा नोटिस देने की कार्यवाही के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से अतिआवश्यक पत्र लिख कर इस मामले की जांच के आदेश बाड़मेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिए गये थे। बाड़मेर के सीएमएचओ ने इस मामले की जांच के आदेश डॉ बीएस गहलोत को दिए थे, जो वर्तमान में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना प्रभारी हैं। डॉ गहलोत ने परिवादी दुर्गसिंह के बयान लेकर खानापूर्ति करते हुए अंतिम रिपोर्ट में यह लिखा कि सबूतों के आभाव में मामला सत्य प्रतीत नहीं होता। इसमें पूरी जालसाजी का आरोप परिवादी ने जांच अधिकारी पर लगाते हुए जांच अधिकारी को कटघरे में खड़ा किया हैं और मुख्यमंत्री समेत स्वास्थ्य विभाग निदेशालय को वापस पत्र लिख कर इस मामले की जांच ईमानदार अधिकारी से करवाने की मांग की हैं। साथ ही आरोपी चिकित्सक के अलावा जांच अधिकारी डॉ बीएस गहलोत पर इस मामले की जांच के दौरान आर्थिक लाभ लेकर डॉक्टर को बचाने का आरोप लगाते हुए जांच अधिकारी के खिलाफ भी जांच की मांग मुख्यमंत्री से की गई और बाड़मेर के सीएमएचओ को ज्ञापन देकर जांच करवाने की भी मांग की गई। परिवादी दुर्गसिंह की मांग पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस भ्रष्टाचार को गम्भीरता से लेते हुए वापस इस मामले के जांच के आदेश दे दिए हैं। अब इस मामले की जांच बाड़मेर के आरसीएचओ को दी गई हैं जिसमे वे जांच अधिकारी की इस मामले में फर्जी फाइनल रिपोर्ट के आरोपों की जांच करेंगे। वहीँ इस मामले में परिवादी द्वारा पूर्व में पर्चियां देकर मामले कोई जांच की अपील करने पर ही बाड़मेर की तत्कालीन जिला कलेक्टर डॉ वीणा प्रधान ने आरोपी चिकित्सक पर लगाए गये आरोपों की जांच करवाकर इस शिकायत को सही पाया था और नोटिस जारी किया था लेकिन उस नोटिस को जांच अधिकारी ने दरकिनार कर दिया और जिला कलेक्टर की जांच पर भी सवाल खड़े कर दिए। अब मामले की जांच वापस शुरू से की जायेगी और जांच अधिकारी को भी मामले में लीपापोती के लिए जांच से गुजरना पड़ेगा।

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