सोमवार, 13 मई 2013

जैसलमेर हजूरी समाज द्वारा अनूठी पहल नशा रहित रियाण का आयोजन

  जैसलमेर हजूरी समाज द्वारा अनूठी पहल नशा रहित
रियाण का आयोजन  

आखातीज पर देखे शगुन मिले सुकाल के संकेत 
 

 जैसलमेर सरहदी जिलो जैसलमेर में आखा तीज का पर्व परंपरागत रूप से हर्सौलाश के साथ मनाया गया .आखा तीज पर्व पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रो में रियाण का आयोजन किया गया .स्थानीय नगर सहित आसपास ग्रामीण अंचलों में आखातीज हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। मांगलिक कार्यों के इस अबूझ मुहूर्त पर विभिन्न स्थानों पर विवाह-समारोह की धूम रही। गांवों में बारिश के अनुमान के लिए शगुन देखने की परम्परा निभाई, जिसमें सुकाल के संकेत मिले। 


जैसलमेर के मेन पूरा में हजूरी समाज द्वारा नशा रहित रियाण का आयोजन कर अनूठी पहल की .मेन पूरा शिव मंदिर के पास समाज के लोगो ने आखा तीज पर रियान को नै शक्ल देकर स्नेहमिलन का आयोजन किया .रियाण में समाज के सेकड़ो ने शिरकत कर युवा वर्ग की इस पहल की मुक्तकंठ से प्रशंसा की .रियाण में अक्सर नशीली और मादक वस्तुओं अफीम ,डोडा पोस्त ,बीडी ,सिगरेट का चलन होता हें मगर इस रियाण में शरबत और परम्परागत भोजन का आयोजन किया गया .युवाओं ने बताया की समाज के लोगो के लिए स्नेहमिलन का आयोजन था .प्रतिवर्ष रियाण का आयोजन होता हें जिसमे अफीम ,डोडा पोस्ट आदी का प्रचलन रहता हें मगर इस बार युवाओं ने नशा विरोधी मुहीम चला रियान को नया रूप दिया जिसकी सभी ने सराहना की .परम्परागत रूप से आयोजित होने वाली रियाण से हट कर रियान को नया रूप दिया ,हजूरी समाज के सेकड़ो लोगों ने रियान में शिरकर कर एक दुसरे की कुशलक्षेम पूछी और रामा शामा की . 



आखातीज होने के कारण परम्परानुसार घरों में विभिन्न पकवान बनाए गए। गृहणियों ने गुड़ की गलवानी, बाजरे का खीच तथा ग्वारफली की सब्जी बनाई। भगवान को भोग लगाकर सभी ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। अक्षय तृतीया पर लोगों ने देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर खरीदारी एवं दानपुण्य भी किया। इस अवसर पर गांवों में कुंवारी युवतियों को दूल्हा-दुल्हन बनाकर मंगलगीत गाते हुए गांव की परिक्रमा लगवाई गई।

आखातीज पर शगुन लेने की परंपरा आज भी गांवों में निभाई जाती है। सोम वार कोशहर तथा    गांवों में ग्रामीणों ने काल व सुकाल के शगुन लिए। इसमें काल पर सकाल भारी पड़ा। परंपरा के तहत भगवान की पूजा-अर्चना के बाद दो ब'चों को आमने-सामने खड़ा कर उनके हाथों में दो बांस की लकडिय़ां दी जाती है। इनमें से एक पर काला धागा एवं दूसरे पर मोली बांधी जाती है, जिनके ऊपर या नीचे होने के अनुसार शगुन लिया जाता है।ग्रामीण क्षेत्रो में परंपरा रूप से रियान का आयोजन किया गया .रियान में गाँव के सभी लोगो ने एक दुसरे की आखा तीज की बधाई दे रामा शामा की .

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