नि:शुल्क जांच पर ही आंच
बाड़मेर। राज्य सरकार की नि:शुल्क जांच योजना का राजकीय जिला चिकित्सालय में बुरा हाल है। जांच के लिए पैथोलोजिस्ट नहीं है। लेबटेक्निशन के दस पद स्वीकृत है जबकि नि:शुल्क जांच के लिए कार्यरत दो जने ही हैं। इसके चलते जांच प्रभावित हो रही है। ऎसे में पीबीएफ, टीईएल, एएसएलओ आदि की जांच इक्की-दुक्की ही हुई हैं।
राज्य सरकार ने नि:शुल्क जांच योजना 7 अपे्रल को आरम्भ की। इसमें करीब 44 जांचें नि:शुल्क रखी। जिला मुख्यालय के राजकीय चिकित्सालय में इन जांचों की हकीकत अलग है। जांच प्रक्रिया का प्रभारी पैथोलोजिस्ट होता है। इसके बिना जांच की रिपोर्ट कोई नहीं दे सकता, लेकिन यहां यह पद रिक्त है। ऎसे में लेब टेक्निशियन ही जांच रिपोर्ट दे देते हैं जो नियमानुसार गलत है। नि:शुल्क जांच के तहत दस लेबटेक्निशियन होने थे, लेकिन चिकित्सालय में मात्र दो जने ही कार्यरत हैं। ऎसे में जांच कार्य प्रभावित हो रहा है।
चिकित्सक पहुंचने तक जांच बंद
चिकित्सालय में जब चिकित्सक आकर जांच लिखते हैं तब तक जांच का समय बंद हो जाता है। नि:शुल्क जांच का समय सुबह आठ से ग्यारह बजे तक ही है। चिकित्सक आते ही वार्ड में राउण्ड पर रहते हैं। इसके बाद वे ओपीडी संभालते है। इसके बाद जांच प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन ग्यारह बजते ही जांच बंद हो जाती है। गांवों से आने वाले मरीज भी जब तक चिकित्सालय पहुंचते हैं, तब तक नि:शुल्क जांच बंद हो जाती है।
कमी है, सुधार होगा
चिकित्सालय में पैथोलोजिस्ट का पद रिक्त है। लेब्ा टैक्निशियन के पद अतिशीघ्र भरे जाएंगे। व्यवस्था सुधारी जाएगी। डॉ. हेमंत सिंघल, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, राजकीय जिला चिकित्सालय, बाड़मेर
ये है आंकड़ें
अप्रेल में 916 मरीज आए जिनकी 3147 जांच की गई। पैथोलोजी की 1153,केमेस्ट्री की 1355, बायो केमेस्ट्री व यूरिन की 639 जांच हुई। मई में अब तक 1120 मरीज आए और 3978 जांचे हुई। इसमें पैथोलोजी की 1318, केमेस्ट्री की 1843, बायो केमेस्ट्री व यूरिन की 817 जांच हुई। अप्रेल में पीबीएफ की 1, टीईएल की 1, एस. सीकेबीएम की 2, एएसएलओ की 2, सीआरपी की पांच जांच हुई। इनमें एमपी स्लाइड व एएफबी की जांच शामिल नहीं है, क्योंकि ये जांच एएनसी के अन्तर्गत आती है।
रविवार को परेशानी संविदा कार्यरत लेब्ाटेक्निशियन का रविवार को अवकाश रहता है। इस दौरान स्थायी लेबटेक्निशियन को जांच करनी होती है। उनके पास काम की अधिकता होने से कई बार मरीजों को जांच के लिए भटकना पड़ता है।
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