शुक्रवार, 24 मई 2013

रासायनिक पानी के दलदल में फंसने से 12 हिरण मरे


रासायनिक पानी के दलदल में फंसने से 12 हिरण मरे 


डोली व धवा सरहद के आसपास मृत मिले हिरण, तेज गर्मी के चलते रासायनिक पानी के बहाव क्षेत्र में बना दलदल, अब ग्रामीणों की भावनाएं आहत करने लगा रासायनिक पानी का दंश

कल्याणपुर




जोधपुर की सीवरेज व फैक्ट्रियों का रासायनिक पानी डोली क्षेत्र में जहर का काम रहा है। पहले इस पानी ने ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाले पेयजल स्रोतों को अपनी चपेट में लिया और अब पशुधन के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहा है। डोली व धवा सरहद में गुरुवार को रासायनिक पानी में फंसने से 12 हिरण मृत मिले। इस घटना के बाद विश्नोई समाज के लोगों ने गहरा रोष प्रकट किया।

ग्रामीणों का कहना है कि इस भीषण गर्मी में रासायनिक पानी के प्रकोप से पेयजल के सारे स्त्रोत खराब हो गए थे। दूसरी ओर गर्मी से नाडिय़ां व तालाब भी सूख गए हैं। पेयजल की किल्लत के चलते ग्रामीणों की हालत खस्ता हो गई है। पशुधन भी प्यास बुझाने के लिए नाडिय़ां व तालाब सूखने के कारण रासायनिक पानी की ओर जा रहे हैं। हिरण भी अपनी प्यास बुझाने के लिए रासायनिक पानी पर गए थे और वहां बने दलदल में फंस गए, जिसमें से बाहर नहीं निकल पाने से उनकी मौत हो गई। ग्रामीण छोगाराम, मानाराम, खेताराम व भैपाराम विश्नोई बताते हैं कि यह क्षेत्र कभी हिरणों के लिए सबसे सुरक्षित अभ्यारण्य था, लेकिन अब हिरण यहां सुरक्षित नहीं है।
विश्नोई समाज में शोक की लहर
डोली गांव में रासायनिक पानी के कीचड़ में फंसने से 12 हिरणों की मौत हो जाने से विश्नोई समाज में शोक की लहर फैल गई। समाज के बुजुर्गों ने बताया कि एक ओर रासायनिक पानी से लोग त्रस्त है। दूसरी ओर पेयजल के लिए पशुधन भी अब असुरक्षित है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतने वर्षों की समस्या का प्रशासन हल नहीं निकाल पाया है और न ही फैक्ट्री संचालकों पर लगाम कस पाया है। इसका नतीजा आज सामने आ रहा है।
माकूल सुरक्षा के बंदोबस्त नहीं
क्षेत्र के डोली, अराबा, ग्वालनाडा, मूलकी ढाणी, परालिया, सरवड़ी पुरोहितान, सीतली, बांकियावास व तिरसींगड़ी सोढ़ा सहित गांवों में हिरणों की सुरक्षा के लिए कोई माकूल बंदोबस्त नहीं है। इस क्षेत्र में ज्यादातर विश्नोई समाज के लोग निवास करते हैं और रेतीला इलाका होने से जंगली जानवरों में हिरण ज्यादा पाए जाते हैं, लेकिन इनकी सुरक्षा को लेकर माकूल प्रबंध नहीं है। क्षेत्र में कई बार हिरण शिकार व ऐसी घटनाएं होती रहती है, जिनमें केवल विश्नोई समाज के लोग ही इनकी सुरक्षा के लिए अपनी भूमिका निर्वहन करते हैं।



॥ डोली में 3 वर्षों से रासायनिक पानी के साथ-साथ कई हिरणों की मौत हो चुकी है। इस क्षेत्र में करीब 400-500 हिरण विचरण करते हैं, लेकिन वन्य जीव संरक्षण विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
उदाराम डारा, जीएसएस अध्यक्ष, डोली ॥
डोली सहित आसपास के क्षेत्र में जहां-जहां हिरण पाए जाते हैं, वहां उनकी सुरक्षा के लिए कोई न कोई सुरक्षा के बंदोबस्त होने चाहिए। वन्य जीव सुरक्षा विभाग को जिम्मेदारी लेनी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं नहीं हो। भेपाराम विश्नोई, ग्रामीण डोली

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