देवालयों में लिखे जाएँगे जल चालीसा
रेतीले बाड़मेर में होगी नव पहल , सीसीडीयू शुरू करेगा अभियान
बाड़मेर , मंदिर और गिरजे हो या चर्च या मस्जिदे यह सभी बरसो से इन्शानो के लिए आस्था के प्रतिक है । यहा हजारो लोग उम्मीदों और अपने जीवन में सफलता की कामना के लिए आते रहते है . अब यह दर लोगो में पानी को बचाने और उसके अपव्यय को का सन्देश देते नजर आएँगे . सी सी डी यू जिले के ख्यातनाम मंदिरों ,गिरजाघरो , मस्जिदों और गिरजा घरो में जल चालीसा लिखने जा रही है . इस जल चालीसा में आम जनता को इस बात की तरफ समझाईस की जाएगी की अगर जल का इसी तरह अन्धाधुन्ध दोहन चलता रहा तो वह दूर नही जब बिन पानी के मानव सभ्यता का अंत हो जायेगा . सी सी डी यू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोक सिंह ने बताया की सरकार जिस तह आम जनता को विभिन्न जलप्रदाय से जोड़ कर साफ़ पानी मुहेया करवा रही है उसी तरह जल के अपव्यय को रोकने के लिए भी कई कार्य कर रही है जिससे आम जनता में पानी को बचाने के पार्टी जागरूकता बढे उसी क्रम में राजस्थान में पहली मर्तबा सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा बाड़मेर के ख्यातनाम मंदिरों ,गिरजाघरो , मस्जिदों और गिरजा घरो में जल चालीसा लिखे जाएँगे . हजरों लोगो की जहा भीड़ लगी रहती है उन जगहों पर सहज नजर आने वाले स्थलों का चयन कर जल चालीसा लिखे जंगे . जिससे की सहजता से लोगो द्वारा इसे पढ़ा जाये और सरकार का पानी बचाने का नारा कई लोगो तक पहुचे . सिंह के मुताबित ‘जल को जाने और पहचाने ’ अभियान का उद्देश्य जल का महत्व, संबंधित विचार, स्रोतों की बुनियादी समझ, पानी के प्रति पारंपरिक व आधुनिक दृष्टि, चुनौती व समाधान जैसे मसलों को लोगों के मध्य ले जाना है। अभियान खासतौर पर शिक्षण संस्थाओं और अन्य युवाओं के बीच पानी की बात पहुंचाने का मन रखता है। जल चालीसा इसी अभियान का मुख्य अंग होगा . सीसीड़ीयू का आईईसी अनुभाग छोटी-छोटी बुनियादी जानकारियों, पानी का काम कर रहे व्यक्तियों, संगठनों के कार्यों से जन-जन को अवगत कराने से लेकर अंतरराष्ट्रीय हो चुके पानी मुद्दों को इस अभियान में शामिल करेगा। विभिन्न स्तरीय प्रतियोगिता, अध्ययन, कार्यशाला, व्याख्यान, शिविर, प्रदर्शनी, कविता पाठ, नुक्कड़ नाटक, फिल्म-स्लाइड शो, सहित्य-पर्चे-बैज आदि का वितरण और यात्राओं के अलावा कई ज़मीनी और श्रम आधारित गतिविधियों को भी इस अभियान का हिस्सा बनाया गया है। आगामी मई, 2013 से मई, 2014 के दौरान एक विशेष अभियान ‘जल को जाने और पहचाने ’ में आम जनता के सामने रखा जायेगा इस अभियान में हर वर्ग को शामिल किया जायेगा . इतना ही नही इस अभियान की शुरुवात तो शहर से होगी लेकिन बात सरहद के आखिरी छोर तक बेठे आम आदमी तक पहुचाई जाएगी जिसमे जल चालीसा लिखना सबसे ख़ास नजर आएगा ..
यह है जल चालीसा
जल मंदिर, जल देवता, जल पूजा जल ध्यान।
जीवन का पर्याय जल, सभी सुखों की खान।।
जल की महिमा क्या कहें, जाने सकल जहान।
बूंद-बूंद बहुमूल्य है, दें पूरा सम्मान।।
जय जलदेव सकल सुखदाता,
मात पिता भ्राता सम त्राता।
सागर जल में विष्णु बिराजे,
शंभु शीश गंगा जल साजे।
इंद्र देव है जल बरसाता,
वरुणदेव जलपति कहलाता।
रामायण की सरयू मैया,
कालिंदी का कृष्ण कन्हैया।
गंगा यमुना नाम धरे जल,
जन्म-जन्म के पाप हरे जल।
ऋषिकेश है, हरिद्वार है,
जल ही काशी मोक्ष द्वार है।
राम नाम की मीठी बानी,
नदिया तट पर केवट जानी।
माता भूमि पिता है पानी,
यही कह रही है गुरबानी।
जन जन हेतु नीर ले आईं,
नदियां तब माता कहलाईं।
सूर्य देव को अर्पण जल से,
पितरों का भी तर्पण जल से।
चाहे हवन करें या पूजा,
पानी के सम और न दूजा।
चाहे नभ हो, या हो जल-थल,
जीव-जंतु की जान सदा जल।
बूंद-बूंद से भरता गागर,
गागर से बन जाता सागर।
नीर क्षीर मधु खिलता तन-मन,
नीर बिना नीरस है जीवन।
नदी सरोवर जब भर जाए,
लहरे खेती मन हरषाए।
तीन भाग जल काया भीतर,
फिर भी चाहिए पानी दिन भर।
तीरथ व्रत निष्फल हो जाएं,
समुचित जल जब हम ना पाएं।
जल बिन कैसे बने रसोई,
भोजन कैसे खाये कोई।
नदियों में जब ना होगा जल,
खाली होंगे सब के ही नल।
घटता भू जल सूखी नदियां,
जाने तो अच्छी हो दुनिया।
पाइप से हम फर्श न धोएं,
गाड़ी पर हम जल ना खोएं।
टूंटी कभी न खुल्ली छोड़ें,
व्यर्थ बहे झटपट दौड़ें।
बिन मतलब छिड़काव करें ना,
जल का व्यर्थ बहाव करें ना।
जल की सोचें, कल की सोचें,
जीवन के पल-पल की सोचें।
बड़ी भूल है भूजल दोहन,
यही बताता है भूकम्पन।
कम वर्षा है अति तड़पाती,
बिन पानी खेती जल जाती।
वर्षा जल एकत्र करेंगे,
इसी बात का ध्यान धरेंगे।
बर्तन मांजें वस्त्र खंगालें,
उस जल को बेकार न डालें।
पौधे सींचें आंगन धोलें,
कण-कण में जीवन रस घोलें।
जीवन जीवाधार सदा जल,
कुदरत का उपहार सदा जल।
धन संचय तो करते हैं सब,
जल-संचय भी हम कर लें अब।
हम सब मिल संकल्प करेंगे,
पानी कभी न नष्ट करेंगे।
सोचें जल बर्बादी का हल,
ताकि न आए संकट का कल।
सुनलें जरा नदी की कल कल,
उसमें कभी नहीं डालें मल।
जीवन का अनमोल रतन जल,
जैसे बचे बचाएं हर पल।
हरे-भरे हम पेड़ लगाएं,
उमड़-घुमड़ घन बरखा लाएं।
पेड़ों के बिन मेघ ना बरसें,
लगें पेड़ तो फिर क्यों तरसें।
जल से जीवन, जीवन ही जल,
समझें जब यह तभी बचे जल।
हम सुधरेंगे जग सुधरेगा,
बूंद-बूंद से घड़ा भरेगा।
जन जन हमें जगाना होगा,
जल सब तरह बचाना होगा।
कूएं नदियां बावड़ी, जब लौं जल भरपूर।
तब लौं जीवन सुखभरा, बरसे चहुं दिस नूर।।
जल बचाव अभियान की, मन में लिए उमंग।
आओ सब मिलकर चलें, “सीसीडीयू ” संग।।
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