मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

बाड़मेर का नाम फिर बुलंदियों पर लिखा कृष्ण ने



बाड़मेर का नाम फिर बुलंदियों पर लिखा कृष्ण ने 



बाड़मेर स्कूली पढ़ाई के दौरान फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं थे। स्कूल से लौटकर खेत में जाना व शाम को पिता के साथ दूध बेचना मजबूरी था। इसी संघर्ष के बीच गांव की सरकारी स्कूल से आठवीं 91.75 प्रतिशत अंकों से पास की लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए फीस व खर्चे की समस्या फिर खड़ी हो गई। सीकर के एक स्कूल ने प्रतिभा देखी तो दसवीं तक फ्री में पढ़ाया। ग्यारहवीं के लिए जब जोधपुर आए तो निजी स्कूलों ने यह कहते हुए एडमिशन नहीं दिया कि वे हिंदी के स्टूडेंट हैं। ऐसा संघर्ष करने वाले बाड़मेर जिले के धोरीमन्ना निवासी कृष्णकुमार विश्नोई अब फ्रांस की पेरिस स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स से इंटरनेशनल सिक्यूरिटी में मास्टर डिग्री करेंगे।

800 शब्दों में संघर्ष लिखा, साक्षात्कार के लिए बुलावा आया

कृष्ण ने पेरिस स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में आवेदन के साथ ही 800 शब्दों में अपनी पढ़ाई व जीवन के बारे में लिखा। यह भी लिखा कि उसके लिए एडमिशन कितना जरूरी है। चयन प्रक्रिया की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए तीन नामी लोगों ने उनकी अनुशंसा भी की। कुछ ही दिनों में उन्हें दिल्ली में ही साक्षात्कार के लिए बुला लिया गया।

खुद पर विश्वास के साथ बढ़ते रहे आगे 

किसान सुजानाराम और उनकी गृहिणी पत्नी गंगादेवी के बेटे कृष्ण को जब निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिला तो वे एयरफोर्स केंद्रीय विद्यालय नं.-1 की प्रिंसिपल से मिले। उन्होंने कृष्ण के कौशल को पहचाना और प्रवेश दिया। यहां 12वीं तक की पढ़ाई करते हुए वे स्कूल कैप्टन भी रहे। कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इसी दौरान वर्ष 2010 में अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित यूथ कांग्रेस में दूसरे स्थान पर रहे। इसी वजह से दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला मिला।

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