रविवार, 28 अप्रैल 2013

जहरीला चुग्गा खिलाकर सात मोर मारे

जहरीला चुग्गा खिलाकर सात मोर मारे 

. सिणधरी



हिरण शिकार प्रकरण अभी शांत नहीं हुआ है और शिकारियों ने राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार करने के लिए उन्हें जहरीला चुग्गा खिला दिया। इससे सात मोरोंं की मौत हो गई। शिकारी मृत मोरों की गर्दन काटकर कट्टों में डालकर ले जाने की तैयारी कर रहे थे तभी पास की ढाणी से ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। आरोपियों को पकड़ लिया और पुलिस को सूचना दी। दो शिकारियों को गिरफ्तार किया गया।

उपखंड मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर स्थित गादेसरा गांव की मेघवालों की ढाणी के पास दो शिकारियों ने मोरों के शिकार के लिए केर के पेड़ के पास जहर मिलाकर चुग्गा डाल दिया। चुग्गा खाते ही सात मोर गिर पड़े। मोरों के शिकार के बाद गर्दन काटकर कट्टों में डाल दी। शिकारी उन्हें ले जाने की फिराक में थे। इतने में कुछ ही दूरी पर स्थित ढाणी के ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। शिकारियों को पकड़ लिया। बाद में पुलिस को सूचना दी। इस पर सिणधरी पुलिस, वन विभाग के अधिकारी व तहसीलदार सिणधरी मौके पर पहुंचे। जहां पर मोरों के शिकार के आरोपी खेमाराम पुत्र गणेशाराम भील निवासी मिठुड़ा, बुद्धाराम पुत्र मानाराम भील निवासी सिणधरी को गिरफ्तार किया। जिनसे प्रारंभिक पूछताछ में मोरों का शिकार करना कबूल किया। मेडिकल बोर्ड से मृत मोरों का पोस्टमार्टम करवाया गया। डॉक्टरों ने मृत मोरों का विसरा लिया। इसके बाद उनका अग्नि संस्कार कर दिया। शिकारियों के कब्जे से जहरीला चुग्गा व बिना नंबर की बाइक जप्त की गई। इस दौरान डीएफओ एस.आर. यादव, सुयोग शशी, सिणधरी वन अधिकारी प्रकाश सिंह चारण, वनपाल आदूराम चौधरी, पुलिस अधिकारी सहदेव चौधरी, तहसीलदार अशोक पटेल मौजूद थे

होटलों व ढाबों पर बेचते हैं मांस
शिकारियों ने पूछताछ में बताया कि वे तीतर, खरगोश, हिरणों का शिकार करने के बाद मांस सिणधरी व बालोतरा में होटल व ढाबों पर बेचते हंै। जिसके बदले उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं। शिकारी खेमाराम भील ने बताया कि ग्राहकों की डिमांड पर खरगोश, हिरण व अन्य पक्षियों का शिकार करते हंै। यह सिलसिला लंबे अर्से से जारी है। बीते दिनों हिरणों का शिकार करने की बात भी कबूल की। 

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