रविवार, 28 अप्रैल 2013

किसानों का गुस्सा फूटा, औजार लेकर सड़कों पर उतरे

किसानों का गुस्सा फूटा, औजार लेकर सड़कों पर उतरे 

गुड़ामालानी कुदरत की मार से त्रस्त किसानों को राज से राहत नसीब नहीं हुई तो उनके सब्र का बांध टूट पड़ा। शनिवार को धरती पुत्र हल, कुदाल समेत खेती के औजार लेकर सड़कों पर उतर आए। क्षेत्र के दर्जनों गांवों से सैकड़ों किसानों ने विभिन्न मांगों को लेकर रैली निकालकर प्रदर्शन किया। मौसम आधारित बीमा योजना की बजाय क्रॉप कटिंग आधारित बीमा योजना लागू करने के लिए किसान लामबद्ध होकर धरने पर डटे हैं। उपखंड मुख्यालय पर किसानों का धरना बारहवें दिन भी जारी रहा। किसानों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा। साथ ही चेतावनी दी कि समय रहते मांगे पूरी नहीं की गई तो जिले भर में आंदोलन तेज किया जाएगा। विभिन्न मांगों को लेकर धरने पर डटे किसानों का शनिवार को गुस्सा फूटा। दर्जनों गांवों के किसान हल, कुदाल लेकर सड़कों पर उतर आए। धरना स्थल से किसान रैली के रूप में रवाना हुए। कस्बे के विभिन्न मार्गों से होते हुए उपखंड कार्यालय पहुंचे। जहां पर एसडीएम व तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। सभा को संबोधित करते हुए धरना प्रभारी अचलाराम जांणी ने कहा कि सरकार किसानों की वाजिब मांगे मान ले वरना परिणाम भुगतने को तैयार रहे। अब किसान आर पार की लड़ाई के मूड में है। संघ के जिलाध्यक्ष खंगाराराम चौधरी ने कहा कि सरकार किसानों के साथ कुठाराघात कर रही है। क्रॉप कटिंग आधारित बीमा योजना की बजाय मौसम आधारित बीमा योजना लागू कर किसानों के साथ धोखा किया। संघ के तहसील अध्यक्ष बाबूलाल मांजू ने कहा कि कुदरत की मार झेल रहे किसानों को सरकार राहत देने की बजाय परेशान कर रही है। फसल खराबे के बावजूद किसानों को न तो मुआवजा दिया गया और ना ही बीमा क्लेम। किसान दो सूत्री मांगों को लेकर धरने पर डटे है, मगर सरकार के नुमाइंदे किसानों के दर्द को समझ नहीं रहे हैं। इस मौके पर जिला उपाध्यक्ष आईदान राम सारण, लच्छाराम कलबी, घमंडीराम फौजी, खेमाराम समेत बड़ी तादाद में किसान धरने पर डटे हैं। 

जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लोगों में आक्रोश
विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन पर उतरे किसानों ने आरोप लगाया है कि जनप्रतिनिधियों को हमने चुनकर भेजा है। आज किसानों के साथ निभाने का अवसर आया तो जनप्रतिनिधि सुध लेने नहीं आ रहे हैं। किसानों की उपेक्षा करना दुर्भाग्यपूर्ण है। आगामी विधानसभा चुनावों में नेताओं को सबक सिखाएंगे। एक भी नेता ने किसानों की पैरवी नहीं की है। जिसके चलते किसान धरने व अनशन पर उतर आए है।
महिलाएं भी शामिल आंदोलन में
धरने पर डटे किसानों के समर्थन में महिलाएं भी सड़कों पर उतर आई। विभिन्न गांवों से आई महिलाएं धरने पर बैठ गई। महिलाओं ने बताया कि किसान वाजिब मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे है, मगर सरकार ध्यान ही नहीं दे रही है। इस स्थिति में मजबूर होकर उन्हें आंदोलन का रूख अख्तियार करना पड़ रहा है। धाई देवी ने बताया कि यह आंदोलन किसान वर्ग का है। जिसके लिए विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

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