जैसलमेर में बिकता है कब्जा?
जैसलमेर पांच हज़ार में कब्जा करो लाखो में बेच दो
जैसलमेर।जैसलमेर के आसपास यही हो रहा हें .अमर सागर और मूल सागर ऐसे ही भूमाफियो ने बेच दिए .अब लोगो का रुझान धावा जियाई की और बढ़ा हें ,--
पांच हजार रूपए खर्च कर कब्जा करो और लाखो मे बेच दो। जी हां, जैसलमेर मे इन दिनो यह गोरखधंधा जोर-शोर से चल रहा है। राजनीतिक लोगो की शह व कुछ अफसरो की मिलीभगत के कारण चल रहे इस गड़बड़झाले को देखकर स्थानीय जनता काफी दु:खी है। प्रशासनिक व सरकारी तंत्र की शिथिलता का ही यह परिणाम है कि इस गोरखधंधे से जुड़े जैसलमेर मे भू-माफिया व अतिक्रमियो के हौसलें आसमां पर है और नियम व कायदे हवा हो चुके हैं। जैसलमेर से जुड़े मुख्य मार्गो पर इन दिनो खाली सरकारी जमीन चाहे वो नगरपरिष्ाद की हो या यूआईटी या फिर राजस्व भूमि, जगह-जगह कब्जे की नीयत से पत्थर जमा कर दिए गए हैं।
जैसलमेर की सरकारी जमीनो पर कई जगह अतिक्रमण करने की नीयत से कुछ लोगो ने ट्रैक्टरो से पत्थर जमा करवा दिए हैं। हालत यह है कि महज पांच हजार रूपए खर्च कर ट्रैक्टर भरकर पत्थर सरकारी जमीन पर कब्जे की मंशा से रखवा दिए जाते हैं और बाद मे उसी जमीन को लाखो मे बेच दिया जाता है। दिनो-दिन गड़बड़झाले का यह खेल सांठ-गांठ के कारण लगातार फल-फूल रहा है। सरकारी भूखंड पर कब्जा करने व उसे आगे बेच देने के व्यापार मे कई अधिकारी, रसूखदार लोग व जनप्रतिनिधि भी शामिल है। हकीकत यह भी है कि कुछ लोगो ने इसी कार्य को अपना व्यवसाय ही बना लिया है।
पुराने स्टांप के लिए जद्दोजहद
जमीन पर कब्जा कर उसे आगे बेच देने के इस खेले मे इन दिनो पुराने स्टांपो का महत्व बढ़ गया है। पुरानी तारीख पर इकरारनामे पर समझौता जताने के लिए जैसलमेर से लेकर जोधपुर तक पुराने स्टाम्प एकत्रित करने की होड़ लगी हुई है। इस तरह वर्षों पुरानी तारीखो मे इकरारनामे पेश कर नगरपरिषद मे दावे पेश किए जा रहे हैं। जैसलमेर जोधपुर मार्ग, बाड़मेर मार्ग, सम मार्ग सहित शहरी सीमा से सटे कई स्थानो पर सरकारी जमीन पर रखे पत्थरो के ढेर व भूखंड पर पत्थरो को खाली करते ट्रैक्टरो को देखकर यह आसानी से समझा जा सकता है कि आखिर चल क्या रहा है?
भू-माफियो व अतिक्रमियो की ओर से खेले जा रहे अवैध कब्जो के "खेल" मे जहां एक ओर सरकारी व प्रशासनिक तंत्र की शिथिलता एक मुख्य कारण है, वहीं चुनावी वर्ष होने के कारण राजनीतिक वर्ग भी हस्तक्षेप करने से बच रहा है। जनप्रतिनिधियो की यही राजनीतिक मजबूरी अवैध कब्जो के गोरखधंधे से जुड़े लोगो के लिए संजीवनी साबित हो रही है।
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