नई दिल्ली. 16 दिसंबर को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में हुए गैंगरेप के मुख्य आरोपी राम सिंह ने सोमवार सुबह तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। आज ही उसे साकेत कोर्ट में ट्रायल के लिए पेश किया जाना था। उसके वकील का आरोप है कि राम सिंह की मौत आत्महत्या नहीं, बल्कि साजिश का नतीजा है। फिलहाल सरकार ने मामले की मजिस्ट्रेट से जांच करा कर सच सामने लाने की घोषणा की है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने इसके आदेश दे दिए हैं।
राम सिंह की मौत की जानकारी घरवालों को दे दी गई है और उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए दीन दयाल हॉस्पिटल ले जाया गया है।
सोमवार की सुबह तिहाड़ जेल नंबर 3 की सेल में जेल अधिकारीयों ने उसे करीब 5 बजे बैरक की सलाखों से लटकता पाया। राम सिंह ने ही कपड़ों को फंदा बनाकर फांसी लगाईं थी।
गौर करने वाली बात है कि पवन और मुकेश ने पुलिस के सामने मामले में अपनी भूमिका को मान लिया था वहीँ राम सिंह लगातार अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करता रहा था। जेल में अन्य कैदियों के मुताबिक़ उसका व्यबहार शुरू से ही बेहद असामन्य था। वह अक्सर उदास रहता था और बहुत कम बातचीत करता था। माना जा रहा है कि अफजल गुरु की फांसी के बाद से ही उसे इस बात का डर बढ़ गया था कि उसे भी फांसी मिल सकती है।
राम सिंह के वकील को है दूसरा ही शक :
राम सिंह के वकील वी के आनंद ने उसकी मौत के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि राम सिंह की मानसिक स्थिति बिल्कुल सामान्य थी और केस उसके पक्ष में था। खुद से फांसी लगाने जैसा कोई दबाव उसने जाहिर नहीं किया था। यह आत्महत्या नहीं बल्कि, 'फाउल प्ले' (साजिश का शक) है।
गौरतलब है कि राम सिंह को दिल्ली पुलिस ने गैंगरेप का मुख्य आरोपी बनाया था क्योंकि घटना की योजना इसी ने बनाई थी। इस मामले में कुल 6 आरोपी हैं, जिसमें पवन और मुकेश सहित राम सिंह को पुलिस ने मुख्य आरोपी बनाया था जबकि, एक आरोपी को कोर्ट द्वारा नाबालिग करार दिया जा चुका है। इस मामले में राम सिंह को ही सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था। हालांकि इससे दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा पर कोई फर्क नहीं पड़ा। रविवार को दामिनी की ही तरह एक महिला को दिन के उजाले में चलती कार में गैंगरेप का शिकार बनाया गया।
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