मंगलवार, 12 मार्च 2013

लीलाला गांव को दुनिया के नक्शे पर लाएगी ऑयल रिफाइनरी

लीलाला (रिफाइनरी प्वाइंट).अथाह धोरों के बीच छितरी ढाणियों से बना लीलाला गांव आने वाले वक्त में भले ही देश के नक्शे पर उभरे, मगर अभी तक तो वह बाड़मेर के नक्शे पर भी नजर नहीं आता। गांव में पानी का कोई इंतजाम नहीं है। माध्यमिक स्तर की एक स्कूल में पढ़ाई का स्तर भूजल की तरह गहराई में बैठा हुआ है। अस्पताल, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड का नामोनिशान भी गांव में नहीं है। अभावों में जीने के अभ्यस्त यहां के लोगों को रिफाइनरी की सहमति मिलने से अचानक विकसित क्षेत्र की तस्वीर दिखने लगी है।
लीलाला गांव को दुनिया के नक्शे पर लाएगी ऑयल रिफाइनरी
रिफाइनरी के साथ गांव की सामाजिक व आर्थिक स्थिति बिल्कुल बदल जाएगी। गांव वाले फिलहाल हतप्रभ है। जो जमीन बमुश्किल अनाज पैदा करती थी, अब पैसा बरसाने को तैयार है। रिफाइनरी के लिए करीब 9 हजार 600 बीघा जमीन अवाप्त होनी है। नोटिस निकल चुके हैं, जमीन कभी भी अवाप्त हो सकती है। हालांकि उन्हें लगभग 4-5 लाख रुपए बीघा की दर से लगभग 500 करोड़ रुपए का मुआवजा मिलने की उम्मीद है।

मगर पुरखों की इस जमीन को कोई आसानी से छोड़ने को तैयार नहीं है। उन्हें मुआवजे के साथ ही आवासीय योजना, रोजगार व सुव्यवस्थित विकास की जरूरत है। भावनात्मक लगाव के चलते रिफाइनरी के लिए भी भूमि आसानी से नहीं देंगे। शुक्रवार को लीलाला व निकट गांवों के लोगों ने एक साथ विरोध के स्वर उठाए। आंदोलन की रूपरेखा बना कर लीलाला में अनिश्चितकालीन धरने का आह्वान किया है।


आज का लीलाला


बायतु उपखंड मुख्यालय से 8 किमी दूर हैं लीलाला की ढाणियां। अब यहां विकास की हलचल शुरू हो चुकी है। एक बैंक के कर्मचारी दो कमरों में अस्थाई ऑफिस खोल रहे थे। क्षेत्रवासी चतुराराम ने बताया कि बाड़मेर, बायतु तक संपर्क सड़कों से आवागमन होता है। बिजली के तार खींचे हुए हैं जिनसे बल्ब जलते हैं। चुन्नीदेवी ने बताया कि पानी के लिए जीएलआर व टैंकर ही हैं। भीखाराम ने बताया एक उप्रा स्कूल है। और इलाज के लिए बायतु चिमनजी जाना पड़ता है।

..और अब बदलाव की सुगबुगाहट

1 से 7 लाख रु. बीघा हुई जमीन

क्षेत्र में दो साल पहले जमीन की दर एक लाख रु. बीघा थी। रिफाइनरी सर्वे के वक्त यह 3 लाख हुई थी। अवाप्ति के नोटिस जारी होने व रिफाइनरी की खबर के बाद ये छह-सात गुना हो गई। हाल ही में मीठिया गांव में जमीन 7 लाख रु. बीघा बिकी। हालांकि सरकार ने अवाप्तशुदा जमीन की दर तय नहीं की, मगर पूर्व में कपूरड़ी लिग्नाइट परियोजना की अवाप्ति में ढाई से तीन लाख रु. बीघा मुआवजा दिया गया था। माना जा रहा है यह दर भी 4-5 लाख रुपए बीघा से कम नहीं होगी।

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