शुक्रवार, 29 मार्च 2013

मां मांग रही है बेटी की मौत

मां मांग रही है बेटी की मौत

श्रीगंगानगर। तेरह वर्ष तक बड़ी नाज से बेटी को पाला पोसा, उसकी हर ख्वाहिश पूरी की, हर पल उसकी लम्बी उम्र की दुआ करने वाली मां की बदनियति है कि आज वह उसी बेटी के लिए मौत मांग रही है। उसकी रीढ़ की हड्डी व पेट में जख्म उससे देखे नहीं जाते। चिकित्सकों की भी समझ मेें नहीं आ रहा कि इस बच्ची को क्या बीमारी है? दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिजन बच्ची को किसी बड़े शहर में भी नहीं दिखा सकते। आर्थिक तंगी के कारण इलाज न करवा पाने की मजबूरी के चलते परिजन बेबस है, कहीं से कोई मदद की उम्मीद नजर नहीं आ रही।

गांव श्यामगढ़ (59 एनपी) के माडूराम की पुत्री इंद्रबाला पिछले नौ साल से रीढ़ की हaी, पेट एवं पेशाब की गंभीर बीमारी से ग्रस्त है। माता-पिता गरीब एवं अनपढ़ है। इस कारण बच्ची का इलाज नहीं करवा पाए। बच्ची की मां सोना देवी कहती है कि चार साल तक उसे कोई बीमारी नहीं थी, लेकिन अब यह हालत है कि वह चारपाई से भी नहीं उठ पा रही है। कुछ भी खाने पर उल्टी-दस्त शुरू हो जाते हैं। रीढ़ की हaी व पेट में जख्म बने हुए हैं। कई चिकित्सकों को बताया, किसी के रोग समझ में नहीं आया तो किसी ने बहुत ज्यादा खर्चा होना बताया। आर्थिक रूप से कमजोर इस परिवार के लिए बच्ची का दूसरे शहर में इलाज करवाने बस की बात नहीं है। परिजन ने बताया कि इन्द्रबाला को रायसिंहनगर-श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में कई चिकित्सकों को दिखाया। उन्होंने जयपुर ले जाने के सलाह दी, लेकिन आर्थिक तंगी बड़ी बाधा है।

बुलंद हौसले से लड़ रही जंग

गंभीर बीमारी के बावजूद इंद्रबाला का हौसला बुलंद है और उसमें पढ़ने का जज्बा भी है। हालांकि वह पिछले छह माह से स्कूल नहीं जा पा रही, लेकिन छोटे भाई के साथ अपनी कॉपी रोजना भिजवाती है और जो भी होमवर्क मिलता है, उसे पूरा कर अगले दिन वापस भिजवा देती है। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक राजेंद्र सांखला का कहना है कि ड्रॉप आउट बच्चों का सर्वे करवाया तो पहले इस बच्ची के स्कूल नहीं जाने की जानकारी मिली। इसके बाद उसके माता-पिता को कहकर स्कूल में प्रवेश दिलवाया। पैदल स्कूल नहीं आ-जा सकती थी। इसलिए ट्राईसाइकिल दिलवाई गई। दिनोदिन बीमारी बढ़ने के कारण अब वह ट्राईसाइकिल पर भी स्कूल नहीं आ पा रही।

बच्ची को गंभीर बीमारी हो सकती है। जांच के बाद ही बीमारी, उपचार व इस पर होने वाले खर्च के बारे में बताया जा सकता है।
-डॉ. पीयूष राजवंशी, राजकीय जिला चिकित्सालय, श्रीगंंगानगर

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