सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

सरहद के 'सहरा' में फू टी पानी की धार


सरहद के 'सहरा' में फू टी पानी की धार 

आधा दर्जन गांवों में बढ़ा भूजल स्तर, पेयजल समस्या खत्म, खेतों में लहलहाने लगी फसलें 

बाड़मेर
रेत की रग रग में पानी सहेजकर रखना तो सरहदी गांवों के लोगों कि फितरत में शुमार है। बीते छह दशक से पानी पानी करते कई पीढिय़ां गुजर गई। हलक तर करने के लिए मीलों लंबा सफर तय करने की मशक्कत जारी है। हाल ही में कुछ गांवों में पाताल से फूटी मीठे पानी की धार से पेयजल की समस्या से निजात मिला है। धोरों पर सिंचाई से फसलें लहलहा रही है। जहां कल दूर दूर तक सहरा नजर आ रहा था, वहां अब नखलिस्तान की तस्वीर उभर रही है। यह कहानी आधा दर्जन सरहदी गांवों की है। जहां पर सिलसिलेवार करीब पचास अधिक ट्यूवबेल खोदने के बाद तकदीर बदल रही है। उप तहसील गडरारोड के खलीफे की बावड़ी, पाबूसरी, शाहमीर का पार, जयसिंधर, बांडासर, गडरारोड, खानियानी, सरगिला, रावतसर, त्रिमोही समेत कई गांवों में भूजल स्तर में बढ़ोत्तरी के बाद पांच सौ से साढ़े पांच सौ फीट की गहराई में अथाह पानी निकल आया है। बीते कुछ माह पूर्व ही खलीफे की बावड़ी के एक किसान ने ट्यूबवेल खोदा तो की धार फूट पड़ी। इस खुशखबरी के बाद बॉर्डर के गांवों के लोगों की उम्मीदों को पंख लग गए। सरकार से आस छोड़ चुके लोगों ने अपने ही बूते पर खेतों में ट्यूबवैल खोदने शुरू कर दिए। हर जगह मीठा पानी निकला तो लोगों का विश्वास ओर मजबूत हो गया। यह सिलसिला अनवरत जारी है। अब तक पचास से अधिक ट्यूबवैल अलग अलग गांवों में खोदे जा चुके हैं। जहां पर पानी से फसलों की सिंचाई के साथ आस पास के गांवों व ढाणियों के लोगों को मीठा पानी नसीब हो रहा है। 

नाकाफी साबित हुए सरकारी इंतजाम 

गडरा उप तहसील क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में पेयजल सुविधाएं मुहैया करवाने के सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। जिन गांवों में जी एलआर बनाकर पाइप लाइनों से जोड़ दिया, मगर नए जल स्त्रोत विकसित नहीं होने से नियमित जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। सरहदी गांवों की पेयजल समस्या के समाधान को प्रस्तावित गडरा लिफ्ट केनाल जनप्रतिनिधियों की दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में अधरझूल में अटकी है। इस स्थिति में लोग अपने बूते पर ही पेयजल के इंतजाम कर रहे हैं।

खेतों में खुशहाली, पूरी हो गई मुरादें 
सरहदी गांवों में साल दर साल अकाल पडऩे से किसानों खरीफ की बुवाई नहीं कर पा रहे थे। अब पाताल से निकले पानी से खेतों में फसलों की सिंचाई की जा रही है। धोरों पर दूर दूर तक हरितिमा छाई है। खुशहाली की दस्तक किसानों को सुकून दे रही है। दशकों बाद ग्रामीणों की मुरादें पूरी हो गई है।


॥सरहदी के गांवों में भूजल स्तर में अचानक बढ़ोत्तरी होने के बाद ट्यूवबेल खोदे जा रहे हैं। इन गांवों में अथाह मीठा पानी मिलने से लोगों की उम्मीदें परवान चढ़ रही है। पहले कई बार ट्यूवबेल खोदने पर पानी नहीं निकला था। अब पांच सौ से साढ़े पांच सौ फीट की गहराई में पानी निकल रहा है। 

अशोक कुमार, भूजल वैज्ञानिक बाड़मेर

॥यहां के लोगों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि धोरों में पानी की धार फूटेगी। बीते कुछ वर्षों में मानसून मेहरबान होने के बाद जलस्तर बढऩे से यह सपना साकार हुआ। कई गांवों में फसलों की सिंचाई के साथ लोगों को मीठा पानी नसीब हो रहा है।

प्रेमसिंह सोढ़ा, जयसिंधर

॥दशकों लंबे इंतजार के बाद मीठा पानी नसीब हो रहा है। यह किसी वरदान से कम नहीं है। कुछ माह पूर्व खोदे गए ट्यूवबेल के बाद खेतों में रबी की फसलें लहलहा रही है। यह सबसे बड़ी सौगात है।

रोशन खां, सरपंच खलीफे की बावड़ी

खलीफे की बावड़ी गांव में ट्यूबवैल से हो रही सिंचाई।

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