मंगलवार, 1 जनवरी 2013

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आईदान सिंह भाटी का नागरिक अभिनंदन


वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आईदान सिंह भाटी का नागरिक अभिनंदन
       
जैसलमेर, 1 जनवरी/ राजस्थानी भाषा के लम्बप्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. आईदानसिंह भाटी का एक भव्य समारोह में जिले के साहित्यकारोंपत्रकारों एवं गणमान्य नागरिको द्वारा भव्य अभिनन्दन किया गया। उल्लेखनीय है कि डॉ. भाटी को हाल ही में राजस्थानी भाषासाहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है।
       मरू सांस्कृतिक संस्थान में आयोजित भव्य कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने-माने साहित्य चिंतन और मनीषी दीनदयाल ओझा ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में ओझा ने कहा डॉ. भाटी मरूधरा के गौरव हैंउन्होंने अपनी काव्यधारा में विचार और सवाल को प्रमुखता प्रदान की है। उनकी कविता सवाल उठाती है व्यवस्थासंस्कृति और बाजारवाद के विरूद्ध।
       समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक किशनसिंह भाटी ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ. भाटी की कविता राजस्थानी भाषा और लोक शब्दावली से समृद्ध एवं सम्पन्न है,उन्होंने लोक मुहावरों के अनुठे प्रयोग किये है।
       मुख्य अतिथि पूर्व विधायक गोवद्र्धन कल्ला ने इस अवसर पर कहा कि डा. भाटी ने जैसलमेर की कीर्ति को राष्ट्रीय फलक तक पहुंचाया है। वे इस माटी के कवि हैं उनकी कविता लोक जीवन की पैरवी करती हुई आधुनिक विद्रुपताओं को ललकारती है।
       इस अवसर पर डॉ. ओमप्रकाश भाटिया ने भाटी की कविताओं के शिल्प और कथ्य पर पत्र वाचन किया। डॉ. अशोक तंवर ने डॉ. भाटी के साथ बिताए निजी अनुभव बांटे। इससे पहले डॉ. भाटी का तिलक लगाकर श्रीफल भेट कर विभिन्न नागरिको द्वारा माल्यार्पण करसाफा पहनाकरशॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया। डॉ. भाटी ने अपने जैसलमेर-बाड़मेर प्रवार के दौरान अपनी साहित्यिक यात्रा के बारे में अवगत कराया तथा एकल काव्य पाठ पेश किया।
       मरु सांस्कृतिक केन्द्र के संचालनवरिष्ठ इतिहासविद नंद किशोर शर्मा ने डॉ. भाटी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर सांगीदान भाटिया एवं गजेन्द्र जैन ने डॉ. भाटी का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। इस अवसर पर डॉ. रघुवीर सिंह भाटीलक्ष्मीनारायण खत्रीमोहनलाल बरसापरमानन्द पुरोहितगिरधर भाटियाप्रयाग सिंह भाटीरतन सिंह भाटीभंवरदान माडवादलपत सिंहदाउदयाल भाटिया तथा नेमीचन्द गर्ग आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार मनोहर महेचा ने किया।

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