सोमवार, 7 जनवरी 2013

गांव-ढाणी से राज्य स्तर तक महिला सशतीकरण के नये आयाम - प्रभात गोस्वामी


राजीव गांधी किशोरी बालिका सशतीकरण योजना राज्य के 10 जिलों, भीलवाड़ा, जोधपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, झालावाड़, डूंगरपुर, बीकानेर, जयपुर, बाड़मेर एवं श्रीगंगानगर का पायलट आधार पर चयन


घर की चार दीवारी के भीतर अपने परिवार के उत्थान् के साथ-साथ अब महिलाएं प्रदेश के विकास में भी सक्रिय भूमिका अदा कर रही हैं। ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद तक और नगर पालिका से लेकर नगर निगम तक महिलाओं ने विकास की शानदार पताका फहराई है। प्रशासनिक सेवाएं हों या कोई अन्य सेवा, उद्योग व्यवसाय से लेकर जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने महिलाओं के प्रति सम्मान के साथ उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से प्रदेश में महिला अधिकारिता निदेशालय का गठन करने के साथ ही उनके सामाजिक सशतीकरण की दिशा में सात सूत्रीय कार्यक्रम लागू किया। आज राजस्थान की महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में ना केवल आगे बढ़ रही हैं अपितु प्रदेश के विकास को परवान चढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही। प्रदेश में महिलाओं के सर्वांगीण विकास एवं सशतीकरण के उद्देश्य से लागू किये गये सात सूत्रीय कार्यक्रम से महिलाओं में आत्म विश्वास बढ़ा है। राज्य में सामूहिक विवाह को प्रोत्साहन एवं नियमन के उद्देश्य से “राजस्थान सामूहिक विवाह नियमन एवं अनुदान नियम, 2009” लागू किये गये। इसके तहत प्रति जोड़ा 6000 रुपये अनुदान का प्रावधान है। जिसमें से 75 प्रतिशत राशि वधु के नाम सावधि जमा की जा रही है। सामूहिक विवाह योजना के अन्तर्गत आयोजक संस्था एवं वधु को दिये जाने वाले अनुदान की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की गई है। महिला विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत कार्यरत साथिनों एवं आशा सहयोगिनियों के मानदेय में वर्ष 2011-12 से 2012-13 के मध्य 650 रुपये प्रतिमाह की वृद्धि की गई है। राज्य में जेण्डर की अवधारणा को प्रोन्नत करने एवं विभिन्न विभागों के बजट को जेण्डर उन्मुखी (जी.आर.बी.) बनाने के उद्देश्य से महिला अधिकारिता निदेशालय में “जेण्डर प्रकोष्ठ” की स्थापना की गई है। विभागों के बजट की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। राष्ट्रीय महिला सशतीकरण मिशन के अन्तर्गत राज्य के पाली जिले का चयन किया गया है। मिशन पूर्ण शति के तहत पायलट प्रोजेट का शुभारम्भ 16 सितम्बर, 2011 को किया गया। इसके तहत जिले के 150 चयनित गांवों में संदर्भ केन्द्र प्रारम्भ किये जा चुके हैं। इस मिशन का प्रमुख लक्ष्य केन्द्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों द्वारा संचालित उसकी विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को जोड़कर महिलाओं का सशतीकरण करना है। राज्य सरकार की बजट घोषणा 2010-11 के अनुसार कलेवा योजना को सभी 368 सामुदायिक केन्द्रों पर लागू किया गया था। अब इसका विस्तार करते हुए सभी राजकीय अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सेटेलाइट हॉस्पीटलों पर भी प्रसूता महिलाओं को निःशुल्क आहार की सुविधा सुलभ करवाई जा रही है। अब तक सात लाख 25 हजार प्रसूताओं को लाभान्वित किया जा चुका है। राज्य में महिलाओं के आर्थिक सशतीकरण के लिए भी अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये गये। अब तक राज्य में कुल 2 लाख 30 हजार 315 स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है। जिनमें से 1 लाख 86 हजार 986 समूहों को 552.52 करोड़ रुपये के बैंक ऋण उपलध करवाये जा चुके हैं। राज्य में प्रियदर्शिनी आदर्श स्वयं सहायता समूह योजना की क्रियान्विति भी निरन्तर की जा रही है। इसके तहत प्रत्येक जिले से चिन्हित 10 स्वयं सहायता समूहों को प्रियदर्रि्शनी आदर्श स्वयं सहायता समूह के रूप में विकसित किया जाता है। राज्य में सभी जिलों में कुल 330 समूहों का विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों द्वारा क्षमतावद्र्धन किया जा रहा है। इन समूहों के आदर्श स्थिति में पहुंचकर स्वरोजगार से जुड़ने तक 25 हजार रुपये प्रोत्साहन स्वरूप नकद प्रदान किये जाते हैं। अमृता पुरस्कार योजना की शुरूआत वर्ष 2009-10 में की गई थी। इसके तहत राज्य स्तर पर एक श्रेष्ठ स्वयं सहायता समूह को 50 हजार रुपये तथा एक श्रेष्ठ गैर सरकारी संगठन को 20 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाता है। राज्य में विधवा एवं परित्यकत्ता महिलाओं को स्वरोजगार उपलध कराकर स्वावलम्बी बनाने के लिए “स्वावलम्बन योजना” के तहत 7 हजार 88 महिलाओं को गैर सरकारी संगठन के माध्यम से पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक व्यवसायों में आय जनक गतिविधि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री की बजट घोषणा वर्ष-2010-11 के अन्तर्गत महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए 30 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा लिये जाने वाले बैंक ऋणों पर 50 प्रतिशत याज अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है। इसके तहत अब तक 16 हजार 283 समूहों को लाभान्वित कर एक करोड़ 66 लाख रुपये का याज अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिया जा चुका है। महिला स्वयं सहायता समूहों को स्वरोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से ही राशन की दुकानें आवंटित करने का निर्णय लिया गया। अब तक विभिन्न जिलों में 44 राशन की दुकानें महिला स्वयं सहायता समूहों को आवंटित की जा चुकी हैं। इन समूहों को प्रति दुकान 75 हजार रुपये की राशि कॉर्पस राशि के रूप में स्वीकृत की जाती है। जिससे समूह प्रतिमाह राशन सामग्री का क्रय कर सकते हैं। इन समूहों को सुदृढ़ कर इन्हें स्थायित्व प्रदान करने एवं माइक्रो फाइनेंस द्वारा स्वावलंबन के लिए प्रेरित करने के लिए मिशन ग्राम्याशति की स्थापना की गई है। बजट वर्ष 2011-12 में सहरिया महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की गई थी। इस पैकेज में बारां जिले के किशनगंज एवं शाहबाद में सहरिया जाति की महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों का गठन कर इनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए याज अनुदान तथा प्रोत्साहन प्रदान किये जा रहे हैं। अब तक 1360 सहरिया महिला समूहों का गठन एवं 830 समूहों को बैंक ऋण प्रदान किये जा चुके हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित सामग्री की सरकारी खरीद में प्राथमिकता देने के लिए सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियमों में आवश्यक प्रावधान किये गये हैं। राज्य में महिलाओं की सुरक्षा एवं संरक्षण की ओर भी उचित कार्यवाही कर महिलाओं को शोषण एवं उत्पीड़न से बचाने के साथ ही उन्हें संरक्षण प्रदान करने के लिए राज्य सरकार संवेदनशील प्रयास कर रही है। इस दिशा में राजस्थान महिला (अत्याचार निवारण) विधेयक-2012 प्रक्रियाधीन है। महिलाओं को शोषण एवं उत्पीड़न से बचाने के साथ उन्हें संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य महिला आयोग के तत्वावधान में “महिला हैल्प लाईन” स्थापित की गई है जो 24 घंटे कार्य कर रही है। महिला अधिकारिता निदेशालय ने एक “विशेष महिला सुरक्षा प्रकोष्ठ” की स्थापना की गई है। राज्य के सभी 39 पुलिस जिलों में एक-एक महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र की स्थापना की गई है। ये केन्द्र गैर शासकीय संस्थाओं के माध्यम से चलाये जाते हैं। इसके लिए महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र नियमन एवं अनुदान योजना-2010 लागू की गई है। केन्द्र के संचालन हेतु 3 लाख रु तक का अनुदान दिया जा रहा है। महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने, उन्हें संरक्षण दिये जाने और राहत एवं आपातकाल में संरक्षण प्रदान करने के लिए राज्य में घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम-2005 का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके लिए 607 अधिकारियों को संरक्षण अधिकारियों के रूप में अधिकृत किया गया है। साथ ही 13 संस्थाओं को आश्रय गृह के रूप में अधिसूचित किया गया है। राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों को चिकित्सा सुविधा के लिए अधिसूचित किया गया है। शोषित एवं उत्पीड़ित महिलाओं को अविलम्ब राहत देने, आवश्यक सहायता तथा मार्गदर्शन प्रदान करने तथा शोषण के प्रकरणों का पुनरीक्षण कर शीघ्र कार्यवाही करवाने के उद्देश्य से समस्त जिलों में जिला प्रमुख की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय महिला सहायता समिति का गठन किया गया है। इसकी पूरक इकाई के रूप में खण्ड स्तर पर भी सहायता समितियां गठित की जा रही है ताकि महिलाओं को स्थानीय स्तर पर यह सुविधा मिल सके। महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए भी अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। समेकित बाल विकास सेवा कार्यक्रम, राजीव गांधी किशोरी बालिका सशतीकरण योजना (सबला योजना) का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा राजीव गांधी किशोरी बालिका सशतीकरण योजना के तहत राज्य की 11-15 वर्ष आयु की स्कूल नहीं जाने वाली तथा 15-18 वर्ष की सभी बालिकाओं को वर्ष में 300 दिन पूरक पोषाहार जिसमें 600 किलो कैलोरी एवं 18-20 ग्राम माइक्रो न्यूट्रिएन्ट की मात्रा होगी, उपलध करवाई जा रही है। योजना के तहत प्रथम चरण में राज्य के 10 जिलों, भीलवाड़ा, जोधपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, झालावाड़, डूंगरपुर, बीकानेर, जयपुर, बाड़मेर एवं श्रीगंगानगर का पायलट आधार पर चयन किया गया है। वर्तमान में सबला कार्यक्रम के अन्तर्गत लगभग 6.68 लाख किशोरी बालिकाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना के तहत राज्य के 2 जिलों उदयपुर एवं भीलवाड़ा में 19 वर्ष या इससे अधिक की आयु की महिलाओं को मां एवं बच्चे के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ी कुछ निर्धारित शर्तें पूरी करने पर 4 हजार रुपये की नकद राशि 2 प्रसवों तक प्रदान की जा रही है। इसके तहत 11 हजार 643 महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में राज्य सरकार के गंभीर प्रयासों का ही परिणाम है कि आज प्रदेश में महिलाएं सामाजिक रूपान्तरण एवं चेतना में सक्रिय भूमिका निभाते हुए विकास की मुख्य धारा में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल हो रही है।

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