सोमवार, 3 दिसंबर 2012

सीसीडीयू कंसलटेंट व उने कार्य के निजीकरण की तैयारी


केंद्र  सरकार की राशि के  बंदरबांट की तैयारी 

- सीसीडीयू कंसलटेंट व उने कार्य के  निजीकरण की तैयारी 

- दो माह से नहीं बढ़ा अनुबंध 

जयपुर। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडबल्यूपी) े तहत ेन्द्र सरकार से प्राप्त होने वाली राशि े बंदरबांट चल रही है। इस कार्यक्रम े तहत सम्प्रेषण एवं क्षमता संवर्द्धन इकाई (सीसीडीयू) में लगे परामर्शदाताओं को गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को देने की तैयारी चल रही है। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग े अधिकारियों ने इसकी तैयारी लगभग पूरी कर ली है। सीसीडीयू े तहत राज्य े सभी जिलों में लगे कंसलटेंट का अनुबंध सितम्बर 2012 े बाद अभी तक नहीं बढ़ाया गया है। अनुबंध बढ़ाने की मांग को लेकर जिला कंसलटेंट आंदोलन पर उतारू हो गए हैं और उन्होंने आंदोलन का आगाज कर दिया है। सभी जिलों े कंसलटैंटों ने सोमवार को विभाग े मुख्य अभियंता (ग्रामीण) कार्यालय में धरना लगाया और नारेबाजी की। धरने का नेतृत्व अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) े प्रदेशाध्यक्ष महेन्द्र सिंह ने किया। उन्होंने कंसलटेंटों की मांग को लेकर अधिकारियों को जमकर कोसा। 

ेन्द्र सरकार की ओर से चल रहे एनआरडीडबल्यूपी े तहत एसडबल्यूएसएम, सीसीडीयू े अंतर्गत प्रत्येक जिला मुख्यालय पर जिला कलक्टरों की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने जिला परामर्शदाताओं की नियुक्ति की गई थी। इन परामर्शदाताओं ने अनुबंध अवधि बढ़ाने की मांग को लेकर विभाग े अधिकारियों से कई बार सम्पर्क किया, परन्तु कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। ये परामर्शदाता एसडबल्यूएसएम, सीसीडीयू े तहत लगे हुए हैं, जो कि राज्य सरकार की पंजीकृत संस्था है। ऐसी स्थिति े बावजूद इन परामर्शदाताओं को एनजीओ े मार्त करने की तैयारी चल रही है। इन परामर्शदाताओं को एनजीओ े मार्त लगाने े लिए विभाग अड़ा हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में सीधा विभाग े मार्त अनुबंध नहीं किया जा सकता, जबकि अन्य विभाग जैसे एनआरएचएम व अन्य योजनाओं े तहत अनुबंध अवधि बढ़ाइर जा रही है। इसे अलावा जहां ेन्द्र सरकार का शतप्रतिशत फंड होता है, वहां परामर्शदाताओं को सीधे अनुबंध पर लिया जा सकता है। इस संबंध में रेपसार नियम भी है और इस नियम की प्रति भी अधिकारियों को उपलब्ध करवा दी गई, इसे बावजूद अधिकारी नहीं मान रहे और सीसीडीयू े कार्य एनजीओ को देने की तैयारी कर रहे हैं। इस कार्य में अधिकारियों व एनजीओ की मिलीभगत स्पष्ट नजर आ रही है। एनआरडीडबल्यूपी ेन्द्र सरकार का एक फ्लेगशिप कार्यक्रम है, जिसमें समस्त कार्य ग्र्रामीण जनता े लिए किए जाते हैं। सरकारी अधिकारी ग्रामीण जनता े हितों का ध्यान नहीं रखते हुए परामर्शदाताओं को हटाने पर आमदा है। दिनांक 21 नवम्बर को परामर्शदाताओं ने श्रीमान मुख्य सचिव से सम्पर्क किया, इसमें मुख्य सचिव महोदय ने स्पष्ट निदेर्श दिए भी, इसे बावजूद विभाग े आला अधिकारियों ने इन निदेर्शों की पालना नहीं की। इस सम्बंध में अधिकारियों का कहना था कि ऐसे आदेश बहुत आते हैं। समस्त परामर्शताओं की अनुबंध अवधि जून 2012 में समाप्त होने े पश्चात विभाग की ओर से यह अवधि आगामी तीन माह अर्थात सितम्बर 2012 तक बढ़ा दी गई, लेकिन सितम्बर माह े बाद आज दो माह से अधिक समय बीतने े बावजूद इन परामर्शदाताओं की अनुंबंध अवधि नहीं बढ़ाई गई। जबकि नियुक्ति े समय टीआओर एवं अनुबंध पत्र में स्पष्ट उल्लेख था कि एक वर्ष की अनुबंध अवधि पूरी होने पर दस प्रतिशत मानदेय में बढ़ोतरी करते हुए कार्य अवधि बढ़ा दी जाएगी। 

चुनावी वर्ष होने की वजह से रोजगार पा चुे युवाओं को बेरोजगार करते हुए किसी एनजीओ या ठेदार े माध्यम से लगाना यह कुछ अधिकारियों की सोची समझी रणनीति े तहत किया जा रहा है। हमारा सरकार से आग्रह है कि एसडबल्यूएसएम, सीसीडीयू े परामर्शदाताओं की अनुबंध अवधि को बढ़ाया जाए, जिससे राजस्थान प्रदेश पूर्व की भांति एनआरडीडबल्यूपी में प्रथम स्थान पर काबिज हो से। प्रत्येक जिला मुख्यालय पर चार जिला स्तरीय परामर्शदाता हैं, जिनका पिछले दो माह से अनुबंध अवधि नहीं बढ़ने से सभी े परिवारों पर रोजगार एवं रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया है। 


सीसीडीयू में एक सी प्रिक्रया में दो नियम 
सी सी डी  यू  के तहत नियुक्त किए गए राज्य स्तरीय परामर्शदाता एवं जिला स्तरीय परामर्शदाताओं की नियुक्ति में अलग-अलग नियम बरते जा रहे हैं। राज्य स्तरीय परामर्शदाताओं का अनुबंध विभाग े मार्त नियमित रूप से बढ़ रहा है, परन्तु जिला स्तरीय परामर्शदाताओं े अनुबंध अवधि को नहीं बढ़ाकर अपने निजी स्वार्थ े लिए एनजीओ को देने की तैयारी की जा रही है। 

पिछड़ रहा है राजस्थान 

एनआरडीडबल्यूपी े तहत जून 2012 में जिला स्तरीय परामर्शदाताओं की नियुक्ति े पश्चात ऐसा कार्य हुआ कि राजस्थान प्रदेश प्रथम स्थान पर काबिज हुआ। एक वर्ष पश्चात परामर्शदाताओं की अनुबंध अवधि नहीं बढ़ने से योजना में गिरावट आई है और राजस्थान वर्तमान में छठे पायदान पर आ चुका है। ेन्द्र सरकार े निदेर्शानुसार एनआरडीडबल्यूपी े तहत स्पोर्ट एक्टीविटी े लिए एसएलएससी अर्थात स्टेट लेवल सेक्शन कोमिटी अधिकृत है। एसएलएससी की बैठक मार्च 2012 में हुई, इसमें समस्त परामर्शदाताओं े पद मार्च 2013 तक स्वीकृत किए जा चुे हैं तथा बजट भी ेन्द्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को भिजवाया जा चुका है। परन्तु अनुबंध अवधि नहीं बढ़ने से इस बजट से कार्य भी नहीं हो रहे।



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