सोमवार, 3 दिसंबर 2012

-राजस्थानी के बिना हम अपनी सांस्कृतिक पहचान खो देंगे





राजस्थानी भाषा मान्यता पोस्ट कार्ड अभियान


--राजस्थानी के बिना हम अपनी सांस्कृतिक पहचान खो देंगे

बाड़मेर। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति तथा राजस्थानी मोटियार परिषद के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के उद्देश्य से कलरव माध्यमिक विद्यालय में म्हारी जुबान रो तालो खोलो पोस्टकार्ड अभियान के द्वितीय चरण में अभियान के तहत संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी के मुख्य आतिथ्य जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता की अध्यक्षता में राजस्थानी भाषा रो हैलो जनजागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राजस्थानी रो हैलो जन जागरण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए चन्दन सिंह भाटी ने कहा कि राजस्थानी भाषा समृद्व भाषा है जो हमारी संस्कृति और परम्परा का प्रतीक है। उन्होने कहा कि राजस्थान की ओलखाण राजस्थानी से है। हम अपनी मायड़ भाषा को दरकिनार कर अपनी पहचान खोते जा रहे है। उन्होने कहा कि राजस्थान के विकास में राजस्थान की संस्कृति इतिहास और परंपरा का अहम योगदान रहा है। सात समंदर पार से आने वाला पर्यटक राजस्थानी संस्कृति परंपरा और इतिहास को देखने आता है जब हम अपनी पहचान ही खो देंगे तो पर्यटक राजस्थान क्यों आएगा।

उन्होने कहा कि घर की संस्कृति परंपरा को बरकरार रखना हमारा दायित्व हैं। हमें अपनी भाषा को मान्यता दिलाने का पुरजोर प्रयास करे। उन्होने कहा कि बाड़मेर जिले से राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का जो प्रयास हो रहे है उन्हें राष्ट्रपति तक पहूंचाने की जिम्मेदारी मेरी है। उन्होने कहा कि बाड़मेर के राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल को राष्ट्रपति से मुलाकात के पूरे प्रयास कर जल्द मिलवाने तथा पुरजोर तरीके से मान्यता की मांग रखेंगे। उन्होने कहा कि अपनी घर की बोली हमारी धरोहर है। इस धरोहर को ध्वस्त ना होने दे। इस अवसर पर रिड़मल सिंह दांता ने कहा कि वो इंसान ही क्या जिसे अपनी माँ, मातृभूमि तथा मायड़ भाषा से प्रेम ना हो।

उन्होने कहा कि देश के अन्य प्रांतो की छोटीछोटी बोलियों को संवैधानिक भाषा का दर्जा दिया गया मगर राजस्थानी भाषा आज भी वंचित है जो कष्टदायी है। इस अवसर पर जिला पाटवी रिड़मलसिंह दांता ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने तक आंदोलन तथा अभियान जारी रहेगा। उन्होने कहा कि पूरे जिले में समिति का नेटवर्क बन गया है। जनता का सीधा जुड़ाव अभियान से होना साबित करता है कि राजस्थानीयों के मन में मायड़ भाषा की हुक उठ चुकी है जो संसद तक जाएगी।

इस अवसर पर राजस्थानी मोटियार परिषद के नगर अध्यक्ष रमेश सिंह इन्दा ने कहा कि मायड़ भाषा का सम्मान है। जिसका हमे दिल से सम्मान करना होगा। विद्यालय व्यवस्थापक रमेश सांचिहर ने कहा कि अभियान से मातृ शक्ति को जोड़ने का भी पूर्ण प्रयास होगा। उन्होने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भागने की बजाए हमें अपनी संस्कृति और भाषा का निर्वहन करना चाहिए। इस अवसर परप्रधानाध्यापक लक्षमण सिंह राठोड ने कहा कि युवाओं का ऐसा दल तैयार हुआ जो निस्वार्थ भावना से अपनी मायड़ भाषा को मान्यता दिलाने का पुरजोर प्रयास कर रहा है। उन्होने कहा कि मायड़ भाषा के प्रति युवाओं में सकारात्मक सोच राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए पर्याप्त है। इस अवसर पर परिषद् के सह जिला संयोजक दिग्विजय सिंह चुली ने कहा कि बाड़मेर जिले में जो आवाज राजस्थानी भाषा को मान्यता की जुड़ी है वो पूरे राजस्थान में फैल चुकी है। उन्होने कहा कि हस्ताक्षर अभियान तथा पोस्टकार्ड अभियान में आमजन को भागीदारी ने मान्यता का रास्ता तय कर दिया है।समारोह में गिरीश व्यास ,हेमराज ,नवीन जोशी ,सवाई लाल ॐ प्रकाश ,किशोर कुमार ,तनुजा सांचिहर ,सुरेश सिंह कोमल सांवत ,सोनिया ,जीवन राम शांति सहित , ,सहित स्कूल के अध्यापक ,पार्षद और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ,इस अवसर पर शीत कालीन संसद सत्र में राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के लिए प्रधानमंत्री ,सांसद और गृह मंत्री के नाम सेकड़ो पोस्ट कार्ड लिखे गए ,.

राजस्थानी साहित्य किया भेंट

बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति और मोटियार परिषद् द्वारा राजस्थानी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए विद्यार्थियों के लिए राजस्थानी साहित्य स्कूलों में भेंट करने का भी आज आगाज़ किया ,समिति के पदाधिकारियों ने राजस्थानी साहित्य पत्रिका कठेसर की प्रतिया विद्यालय प्रबंधन को भेंट की ..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें